नेक्टर लाइफ़ सांइस ने 500 मज़दूरों को निकाला, कहा- मेडिकल सर्टिफिकेट लाओ कि तुम्हें कोरोना नहीं हुआ

By खुशबू सिंह

कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन ने देश की कई बड़ी कंपनियों को मज़दूरों को काम से निकालने और वेतन काटने का सुनहरा अवसर दे दिया है। बड़ी-बड़ी कंपनियां लगातार मंदी का हवाला देकर मज़दूरों को काम से निकाल रही हैं साथ ही उनका वेतन भी नहीं दे रही हैं।

मंदी का हवाला देकर मज़दूरों को काम से निकालने और वेतन का भुगतान न करने में फार्मास्यूटिकल कंपनियां भी पीछे नहीं हैं।

इसी तरह की एक कंपनी पंजाब के मोहाली में स्थति है, नाम नेक्टर लाइफ़ सांइस लिमिटेड है। इसी कंपनी ने 500 से अधिक मज़दूरों को लॉकडाउन का वेतन नहीं दिया है। साथ ही इन मज़दूरों को लॉकडाउन के बाद से कंपनी के भीतर नहीं लिया है।

नेक्टर लाइफ़ सांइस ने 500 मज़दूरों को वेतन का भुगतान किए बिना गेट बंद कर दिया है। कंपनी मज़दूरों को न तो काम पर रखने को तैयार है न ही काम से निकाल रही है।

ये सभी स्थाई मज़दूर हैं और लंबे समय से नेक्टर लाइफ सांइस लिमिटेड में काम कर रहे थे।

इसी में काम करने वाले एक मज़दूर ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि, “जब भी हम काम पर न रखने का कारण पूछते हैं तो, कंपनी प्रबंधन हमसे कहता है कि मेडिकल सर्टिफिकेट बना कर लाओ की तुम्हें कोरोना नहीं हुआ है।”

उन्होंने आगे बताया “मेडिकल सर्टिफिकेट देने के बाद भी कंपनी काम पर रखने को तैयार नहीं हैं। कई मज़दूरों को 15 दिन के लिए क्वारंटाइन रहने को कहा है। प्रबंधन हमें ज़लील कर के काम से निकालना चाहता है।”

दरअसल अचानक हुए लॉकडाउन के कारण मज़दूर अपने गृहराज्य चले गए थे। जो मज़दूर लॉकडाउन के बाद खुली कंपनियों में समय से नहीं पहुच पाए हैं। कंपनी प्रबंधन उनका वेतन हड़प रहा है। साथ ही काम से भी निकाल रहा है।

फार्मास्यूटिकल कंपनी मज़दूरों के साथ इस तरह का बर्ताव ऐसे समय पर कर रही है। जब दवाईयों की मांग सबसे अधिक हो गई है। अगर फार्मास्यूटिकल कंपनियां आर्थिक तंगी का हवाला दे रही हैं तो, ये बात कुछ हज़म नहीं होती है।

कुछ इसी तरह से मुसाशी ऑटो पार्ट्स ने भी ठेके पर काम कर रहे मज़दूरों के साथ किया है। कंपनी न तो काम पर बुला रही है न ही मई माह का वेतन दे रही है। मज़दूरों के भीरत डर बैठा हुआ है, यदि वे कही इस बात की शिकायत करते हैं तो उन्हें काम से निकाल दिया जाएगा।

मोदी सरकार ने मज़दूरों के सर से अपना हाथ उठा लिया है। मज़दूरों को वेतन मिले या न मिले इससे सरकार को कोई र्फक नही पड़ता है इसीलिए तो अपने ही किए हुए वादे से सरकार कोर्ट में मुकर गई।

दरअसल 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा करते समय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपील की थी कि, किसी भी कर्मचारी का वेतन कोई भी नियोक्ता न काटे। पर यहां पर तो कई कंपनियां लॉकडाउन के पहले का वेतन मज़दूरों को नहीं दे रही है।

लेकिन 4 जून को वेतन को लेकर सुनवाई के दौरान सरकार सुप्रीम कोर्ट में  वादे से पीछे हट गई।

सरकार का तर्क था कि, ‘जब लॉकडाउन शुरू हुआ था, तब कर्मचारियों के काम वाली जगह को छोड़कर अपने गृहराज्यों की ओर पलायन करने से रोकने की मंशा के तहत अधिसूचना जारी की गई थी। लेकिन अंततः ये मामला कर्मचारियों और कंपनी के बीच का है और सरकार इसमें दखल नहीं देगी।’

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