मोदी सरकार ने खुद खोली अपनी पोल, 8 करोड़ में सिर्फ 20.26 लाख मज़दूरों को ही मिला राशन

लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मज़दूरों को तीन टाइम पकवान खिलाने के केंद्रीय वित्त मंत्री के दावों की पोल खुद सरकार के जारी आंकड़ों ने ही कर दी है।

केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, ‘राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 4.42 लाख टन खाद्यान्न उठाया है और 20.26 लाख लाभार्थियों को 10,131 टन खाद्यान्न वितरित किया है।’

आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि मुक्त अनाज योजना का लाभ पाने वाले प्रवासी लाभार्थियों की संख्या कुल लक्ष्य का केवल 2.25 प्रतिशत है।

प्रवासियों को मुफ्त खाद्यान्न वितरण के लिये राज्यों ने अलग-अलग मॉडल अपनाये हैं।

कुछ राज्य सूखे राशन के साथ पका हुआ भोजन वितरित कर रहे हैं, जबकि कुछ राज्य भोजन कूपन जारी कर रहे हैं।

आंकड़ों के अनुसार, राज्यों ने अभी तक 105.10 लाख टन अनाज उठाया है।

इनमें से अप्रैल में 36.98 लाख टन, मई में 34.93 लाख टन और जून में अब तक 6.99 लाख टन का उठाव शामिल है।

राज्य सरकारें अभी तक सिर्फ 20.36 लाख प्रवासी श्रमिकों को ही मुफ्त खाद्यान्न की आपूर्ति कर पायी हैं।

हालांकि, केंद्र सरकार या राज्य सरकारों ने राशन कार्ड नहीं रखने वाले 8 करोड़ प्रवासी श्रमिकों को मुफ्त अनाज पहुंचाने का लक्ष्य तय किया था।

केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के द्वारा रविवार को जारी आंकड़ों में इसका पता चला।

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