ग्रेटर नोएडा के दादरी क्षेत्र में स्थित एनटीपीसी प्लांट के गेट पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस प्रशासन द्वारा लाठीचार्ज किया गया। इस प्रदर्शन में रसूलपुर गांव से 24 गांवों के किसानों और महिला किसानों ने हिस्सा लिया था। यह घटना मंगलवार शाम की है।
प्रदर्शन को ख़त्म करवाने के लिए पुलिस ने पहले वाटर कैनन चलाई और फिर लाठीचार्ज कर दिया। इस झड़प में आठ किसान गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनमें महिला किसान भी शामिल हैं।
यह प्रदर्शन भारतीय किसान परिषद के नेता सुखबीर खलीफा के नेतृत्व में किया जा रहा था। इस मामले में पुलिस ने 13 किसानों को गिरफ्तार किया है और करीब 100 किसानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
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प्रदर्शन कर रहे किसान समान मुआवजा व स्थाई रोजगार की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। किसानों का आरोप है कि धरने को समाप्त करने के उद्देश्य से पानी की बौछार करवाई गई। किसानों पर बल प्रयोग किया गया। मिली जानकारी के मुताबिक इस टकराव में किसान नेता सुरेंद्र सिंह (नरौली) व सूरजपाल सिंह (श्योराजपुर) घायल हुए हैं।
35 साल पुरानी है मागें
ज्ञात हो कि भारतीय किसान परिषद के बैनर तले पिछले कई हफ्तों से किसान अपनी मांगों को पूरा करने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके लिए पहले गांव-गांव में सभा की गई, फिर ऐलान किया गया कि अगर 31 अक्टूबर तक एनटीपीसी किसानों की मांग नहीं मानता तो उग्र प्रदर्शन किया जायेगा।
In Uttar Pradesh's Greater Noida, Police used water canon to disperse protestors agitating outside NTPC plant in Jarcha with their demands of compensation in the land acquisition. Several protestors were allegedly injured in the lathicharge. pic.twitter.com/PtaM151xmU
— The Jamia Times (@thejamiatimes) November 1, 2022
NDTV से मिली जानकारी के मुताबिक लाठीचार्ज में घायल किसान दलजीत सिंह ने बताया, “हम पहले शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। हमारी 35 साल पुरानी मांग है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। हम गांव-गांव सभाएं कर रहे हैं, कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं लेकिन हमारी मांगे हर बार अनसुनी कर दी जाती हैं।
प्रदर्शन करने से पहले भी हमने एनटीपीसी को ज्ञापन दिया था कि हमारी मांगे मान ली जाएं, लेकिन एनटीपीसी ने हमारी मांग नहीं मानी जिसकी वजह से हमें घेराव करना पड़ा।”
महिलाएं व बुजुर्ग पर बल प्रयोग का आरोप
किसानों का कहना है कि पुलिस द्वारा बल प्रयोग से नाराज होकर सभी लोग दादरी विधायक तेजपाल नागर के घर के बाहर धरने पर बैठ गए। विधायक के घर के घेराव के दौरान पुलिस भी मौके पर पहुंच गई।
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किसानों का आरोप है कि धरने पर बैठी महिलाओं पर फायर की गाड़ियों से पानी की बौछार करवाई गई। उनका आरोप है कि चार बजे धरना समाप्त कर लौट रहे किसानों व महिलाओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। जिसमें काफी महिलाएं व बुजुर्ग किसान घायल हुए हैं।
पुलिस का लाठीचार्ज के आरोपों से इनकार
ग्रेटर नोएडा के डीसीपी अभिषेक वर्मा ने बताया कि लाठी चार्ज नहीं किया गया है। स्थिति नियंत्रित करने के लिए हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। पुलिस के मुताबिक सिपाही रविकांत पथराव में घायल हुआ है। उसको अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पुलिस ने दावा किया है कि किसानों ने पथराव किया। एसटीपीसी परिसर में जबरन घुसने का प्रयास किया गया। सुखवीर खलीफा समेत अन्य किसानों की रिहाई की मांग को लेकर किसानों ने विधायक के घर का घेराव किया।
पुलिस ने किसान नेता सुखवीर खलीफा समेत 13 किसानों को गिरफ्तार किया है।
प्रबंधन ने दी सफाई
एनटीपीसी प्रबंधन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि स्थाई रोजगार प्रदान करना संभव नहीं है। वही अन्य मांगो को लेकर एनटीपीसी का सीएसआर विभाग गंभीरता से सभी मांगों पर विचार कर रहा है। रिक्तियों की अनुपलब्धता के कारण स्थाई रोजगार प्रदान करना संभव नहीं है। रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए कौशल विकास सीएसआर एजेंडा की उच्च प्राथमिकता में है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 1985 में ग्रेटर नोएडा के दादरी के पास नेशनल थर्मल पॉवर कारपोरेशन का विद्युत उत्पादन संयंत्र लगाने के लिए 30 गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया था। इसके लिए किसानों को पांच से दस रुपए प्रति गज के हिसाब से मुआवजा दिया गया था। जबकि इसी दौर में एनटीपीसी की रेलवे लाइन के नाम पर 150 प्रति गज के हिसाब से मुआवजा दिया गया था।
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जिसके बाद से ही किसान समान मुआवजा की मांग कर रहे हैं। इस दौरान सरकार ने किसानों से वादा किया था कि भूमि अधिग्रहण से प्रभावित गांवों के लोगों को एनटीपीसी में रोजगार के अवसर दिए जाएंगे। लेकिन 35 वर्ष बाद भी सरकार ने अपने वादों को पूरा नहीं किया है।
किसान नेताओं का आरोप है कि न तो किसानों को समान मुआवजा दिया गया, न रोजगार दिया गया और न ही गांवों का विकास किया गया।”
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