मुंडका सफाई मज़दूर मौत मामला: जल बोर्ड व एमसीडी ने मुआवजा देने से किया इंकार, HC ने जारी किया नोटिस

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को मुंडका सफाई मज़दूरों की मौत के मामले ने दिल्ली विकास प्राधिकरण, दिल्ली पुलिस और राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग को नोटिस जारी किया है।

पिछली सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने मामले पर एक जनहित याचिका दर्ज करने का आदेश दिया था। अब इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव को भी न्याय मित्र के तौर पर नियुक्त किया गया है।

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बुधवार को, अदालत ने DLB और MCD के वकीलों से पूछा कि क्या उनके मुवक्किल मृतक मज़दूरों के परिवार को मुआवजा देने या परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के लिए तैयार हैं। जिसका जवाब देते हुई DLB के वकील का कहना है कि ” जहां घटना हुई है वह इलाका एक DDA के अंदर आता है। इसलिए दिल्ली जल बोर्ड ने मुआवजा दें से इंकार कर दिया है। वही MCD के वकील ने कहा कि इस मामले में MCD जिम्मेदार नहीं है।

न्याय मित्र, वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने प्रासंगिक निर्णयों और विधियों का एक संकलन प्रस्तुत किया। साथ ही HC ने एक जनहित याचिका सहित दो मामलों को संज्ञान में लेते हुई DLB से पूछा है कि उन्होंने मैला ढोने के संबंध में क्या कदम उठाए हैं।

सफाई मज़दूरों की सूची तैयार करने का दिया आदेश

कोर्ट ने DLB को फटकार लगते हुई कहा है कि देश में हाथ के मैला ढोने पर प्रतिबंध पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा हुआ अगर इसके बाद भी ऐसे हादसे हो रहे हैं तो इसके लिए DLB ही जिम्मेदार है। साथ ही HC ने दिल्ली जल बॉर्ड से ऐसे मज़दूरों कि एक सूची तैयार करने को कहा है जो बिना लाइसेंस सीवर सफाई के काम में शामिल हैं।

इस मामले पर आगे कि सुनवाई आगामी 27 सितंबर को निर्धारित की गयी है। मुख्य न्यायाधीश शर्मा ने कहा था कि “इस तरह के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही एक फैसला लिया है कि सीवर सफाई के दौरान मज़दूर की मृत्यु हो जाने पर उनका परिवार 10 लाख रुपये का हकदार है। तुरंत और परिवार के किसी एक सदस्य को नौकरी भी देने का जिक्र किया है।”

manual scavenging man in gutter safai karmchari

कब और कहां हुआ था हादसा

आप को बता दें कि 9 सितम्बर को आउटर दिल्ली के मुंडका स्थित एक अपार्टमेंट में सीवर सफाई के लिए उतरे एक ठेका सफाई मज़दूर और सिक्योरिटी गार्ड की मौत का दर्दनाक मामला सामने आया था।

हरियाणा झज्जर के रहने वाले अशोक कुमार (30) डीडीए में सिक्योरिटी गार्ड तौर पर काम करते थे और बक्करवाला जेजे कॉलोनी निवासी रोहित (32) एक ठेका सफाई मज़दूर के तौर पर काम करते थे।

सोसाइटी में सीवर सफाई का काम चल रहा था। रोहित जैसे ही अंदर उतरा वैसे ही सीवर में जहरीली गैस होने के कारण वो अंदर ही बेहोश हो गए। तभी पास खड़े सिक्योरिटी गार्ड अशोक कुमार रोहित को बचने के लिए सीवर में उतरे और वह भी बेहोश हो गए।

स्थानीय लोगों ने घटना की जानकारी पुलिस विभाग को दी। घटना स्थल पर पहले पुलिस अधिकारी में उन्हें तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।

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गौरतलब है कि 2010 में आये राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग द्वारा लगाए गए प्रतिबन्ध के बाद भी सफाई मज़दूरों को सीवेज में उतने के लिए मज़बूर किया जाता है।

सफाईकर्मी अपनी जान हथेली पर लेकर सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करने उतरते हैं और आय दिन इस दौरान उनकी मौत की घटनाएं सामने आती रहती हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 5 सालों में भारत में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 347 लोगों की मौत हुई है, जिसमें 40 फीसदी मौतें उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली में हुई हैं।

लोकसभा में 19 जुलाई को एक सवाल के जवाब में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री, वीरेंद्र कुमार ने कहा कि 2017 में 92, 2018 में 67, 2019 में 116, 2020 में 19, 2021 में 36 और 2022 में अब तक 17 सफाईकर्मियों की मौतें सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान दर्ज की गई है।

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