शकूर बस्ती दिल्ली में रेलवे ने झुग्गियों को ढहाया, बिना नोटिस बुलडोजर पहुंचा, दर्जनों परिवार बेघर

भारतीय रेलवे ने शुक्रवार को उत्तर पश्चिमी दिल्ली के शकूर बस्ती में दर्जनों झुग्गियों को बुलडोज़र चला कर तोड़ दिया। बस्तीवालों का आरोप है कि उन्हें इस बात का कोई पूर्व नोटिस नहीं दिया गया था।

रेलवे ट्रैक के पास बस्ती के प्रधान वीरेंद्र कोहली का कहना है कि, “कल रेलवे के कुछ कर्मचारियों ने दिल्ली पुलिस और रेलवे सुरक्षा बल के साथ आये और बस्ती की लगभग 70 से 80 झुग्गियों को ढहाया दिया।”

घरों पर बुलडोजर सुबह करीब 10 बजे से शाम 5 बजे तक चला। उन्होंने बताया कि हमें इस बात की कोई सूचना नहीं दी गई थी।

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इंडियन एक्सप्रेस से मिली जानकारी के मुताबिक, बीते सात सालों से बस्ती में रहने वाली राधा रानी (40) का कहना है कि कुछ लोग सुबह-सुबह आये और बोलने लगे की जल्दी घर को खाली कर दो। हम लोग आनन फानन में जितना सामान सहेज सके वो हमने किया। लेकिन हमारा ज्यादातर सामान टूट गया।”

एक घरेलू कामगार के रूप में काम करने वाली राधा का कहना है कि “रेलवे की इस कार्रवाई ने हमारा सब कुछ खत्म कर दिया। उन्होंने बताया कि झुग्गी में हमारा के पक्का मकान था जिसको पूरी तरह से तोड़ दिया गया है, यहां तक कि नीचे बने पक्के फर्श को भी उखाड़ दिया।”

राधा में बताया कि ” मेरे परिवार में सात लोग रहते थे। मेरी दो बेटियां और एक बहू है। मेरे दोनों बेटे दिहाड़ी मज़दूरी करते हैं हम किराये के मकान में नहीं रह सकते। अब हम कहाँ जायेंगे?”

शकूर बस्ती इलाके में 1,700 से ज्यादा झुग्गियां हैं और लोग वहां 15 से 20 साल से रह रहे हैं।

घरेलू कामगार के रूप में भी काम करने वाली एक अन्य निवासी, गुड्डी (35) ने कहा, “जब मैंने डेमोलिशन के बारे में सुना, तो मैंने तुरंत नोटिस तलाशने की कोशिश की लेकिन मेरे हाथ कुछ नहीं लगा। जिसके बाद झुग्गी के सभी लोगों ने बुलडोजर चलाने के लिए मना किया लेकिन अधिकारियों में हमारी एक न सुनी और घरों को तोड़ना शुरू कर दिया। हमारी सालों की मेहनत कुछ सेकंडों में हुए ख़त्म हो गई।”

गुड्डी ने कहा कि उनके घर में चार लोग रहते थे। जो अब फुटपाथ पर रहने को मज़बूर हैं।

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उत्तर रेलवे के एक प्रवक्ता का कहना है कि “रेलवे को सिविल पुलिस और आरपीएफ ने अतिक्रमणकारियों को नोटिस देकर आगामी परियोजनाओं के मद्देनजर करीब 22,000 वर्गमीटर जमीन को खाली कराने को कहा था।

गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब इस क्षेत्र में घर ठहाए गए हैं। 2015 में, शकूर बस्ती में लगभग 5,000 लोगों के घरों को भारतीय रेलवे वाली जमीन से हटा दिया गया था, जिनका आज तक कोई ठिकान नहीं है।

टीयूसीआई के उमाकांत ने कहा कि अभी कुछ ही समय पहले शकूर बस्ती समेत दिल्ली में रेलवे के किनारे बसी तमाम झुग्गियों को ढहाने के आदेश के खिलाफ़ काफी हंगामा मचा था और हाईकोर्ट से स्टे का आदेश आ गया जिसके बाद रेलवे की मनमानी पर रोक लग गया लेकिन ऐसा लगता है कि अब रेलवे ने गैरकानूनी तरीके से घरों को ढहाने पर अमादा हो गया है।

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