सनबीम प्रबंधन ने 46 ठेका मज़दूरों की घोषित छंटनी को दी मंजूरी, पीड़ित मजदूरों की मांग बेअसर!

गुड़गांव में स्थित सनबीम लाइटवेटिंग सोल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड  प्रबंधन  ने  जिन  46 मज़दूरों को बीते 11 अक्टूबर  को काम से निकालने  का  नोटिस जारी किया था, उसे 1 नवंबर  से लागू  करते हुए  सभी की छंटनी को मंजूरी  दे दी है।

सनबीम प्रबंधन द्वारा  जारी नोटिस में Gross Educare Private Limited द्वारा  कंपनी  को कॉन्ट्रैक्ट पर उपलब्ध कराये गये  46 मज़दूरों को काम से निकालने की घोषणा की गयी थी। साथ ही सभी मज़दूरों से 31 अक्टूबर को अपना बकाया हिसाब को लेने की बता कही गयी थी। नोटिस के मुताबिक कंपनी में 31 अक्टूबर उन मजदूरों का आखिरी कार्य दिवस था।

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ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के फेसबुक पेज से मिली जानकारी के मुताबिक निकाले गए सभी मज़दूरों का 31 अक्टूबर तक का हिसाब कर दिया गया है।

काम से निकाले गए मज़दूरों ने इस छंटनी को गैरकानूनी करार दिया है। इस सम्बन्ध में मज़दूरों ने सितंबर के महीने में अपनी मांगों का एक पत्र गुरुग्राम डीसी ऑफिस में लगाया था। जिसमें   उनको तत्काल कार्यबहाली  की मांग की गई थी।

इस मामले में अगली सुनवाई 7 नवंबर को है।

निकाले गए मज़दूरों का आरोप है कि प्रबंधन 10 से 20 साल से काम कर रहे पुराने ठेका मज़दूरों को निकाल कर नए और कम वेतन वाले ठेका मज़दूरों को भर्ती करने की मंशा के से मज़दूरों को काम से निकाल रहा है।

सनबीम का गुड़गांव प्लांट, दिल्ली-जयपुर हाईवे पर स्थित हीरो बाइक बनाने वाले प्लांट से महज 1-2 किलोमीटर की दूरी पर है। यह फैक्ट्री ऑटो सेक्टर की बड़ी वेंडर कम्पनियों में से एक है, जो ऑटोसेक्टर की कई मदर व वेंडर कम्पनियों के कलपुर्जे बनाती है। जिसमें  करीब1000 स्थायी और 2000 से अधिक ठेका मज़दूर काम करते हैं।

‘प्रबंधन काम न होने का बना रहा है बहाना’

ज्ञात हो कि वर्कर्स यूनिटी को बीते 14 सितम्बर को मिली जानकारी के मुताबिक सनबीम फैक्ट्री में काम नहीं है, इसलिए वह ठेका मज़दूरों को काम से निकाल रह है।

मज़दूरों का आरोप था कि अगर काम नहीं है तो फिर नए ठेका मज़दूरों की भर्तियां क्यों की जा रही हैं ? उनका आरोप था कि प्रबंधन सस्ते मज़दूर चाहता है, इसलिए वह पुराने मज़दूरों को काम से निकाल रहा है।

जानकारी के मुताबिक प्रबंधन कुछ ठेकेदारों का ठेका कैंसिल करने की भी तैयारी कर रहा है। यदि ऐसा होता है तो लगभग 500 ठेका मज़दूरों की आजीविका पर संकट गहरा सकता है।

इतना ही नहीं इससे पहले बीते महीने पीड़ित मजदूरों  के अधिकारों  के लिए  सक्रीय पांच पुराने मज़दूरों के पंचिंग कार्ड भी ब्लॉक कर दिये गये  थे  और उन्हें  बिना किसी  अग्रिम नोटिस के गैरकानूनी तरीके से बाहर कर दिया था।

हरियाणा में ठेका मज़दूरों के हालात ख़राब

गौरतलब है कि हरियाणा में ठेका मज़दूरों के हालात बहुत ख़राब है। फैक्ट्री प्रबंधन लगातार बिना कारण बताये मज़दूरों को काम से निकाल रहा है।

मानेसर स्थित हिटाची प्रा. लि. के ठेका मज़दूरों ने जब स्थायी रोज़गार की मांग की  तो, प्रबंधन ने करीब 20 ठेका मज़दूरों को कुल 12 दिनों के अंदर काम से निकला दिया। जिसको लेकर मज़दूर लगातार कार्य बहाली की मांग कर रहे हैं । इस संबंधन में मज़दूरों ने श्रम विभाग को मांग पत्र भी सौंपा है।

उससे पहले नपिनो (मानेसर) और मुंजाल शोवा (गुड़गाँव) के स्थायी मज़दूरों की छंटनी के मामले सामने आये हैं। वहीं, मानेसर स्थित बेलसोनिका मज़दूर यूनियन द्वारा एक ठेका मज़दूर को यूनियन की सदस्यता देने के बाद प्रबंधन लगातार यूनियन को तोड़ने व पुराने कैजुअल/ठेका मज़दूरों को काम से निकालने की कोशिश कर रहा है।

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ऑटोमोबाइल इण्डस्ट्री काण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन का मानना है कि सस्ते व नये अस्थायी मज़दूरों  की भर्ती के कारण को  समझना जरूरी है। वास्तव में इन  कंपनियों के द्वारा  गिरते मुनाफ़े की दर का सारा बोझ मज़दूरों पर डाला जा रहा है।

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