अरबन कंपनी के खिलाफ धरना उठा, फाइन लगाने के नियम से वर्करों में असंतोष

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गुड़गांव के उद्योग विहार फेज टू में स्थित कंपनी अरबन क्लैप के बाहर बैठे वर्करों ने धरना खत्म कर दिया है।

बीते सोमवार को कंपनी के साथ काम करने वाले दर्जनों वर्करों ने कंपनी गेट और पार्किंग में अड्डा जमा लिया था और दिल्ली एनसीआर की कड़ी ठंड में भी रात को खुले आसमान के नीचे ही रहे।

बीते अक्टूबर महीने में भी कंपनी के बाहर वर्करों ने धरना प्रदर्शन किया था और बेहतर भुगतान, सुरक्षित काम के हालात और सामाजिक सुरक्षा के लाभ की मांग की थी।

लेकिन इस बार कंपनी जनवरी 2022 से सदस्यता की दो नई कैटेगरी लागू कर रही है।

नई कैटेगरी

इंडियन एक्सप्रेस ने एक वर्कर के हवाले से कहा है कि प्राइम सदस्यता लेने वाले वर्कर को पहले ही 3000 रुपये एडवांस देना होगा जबकि क्लासिक सदस्यता लेने वाले वर्कर को 2000 रुपये देना होगा।

इन दो नई कैटेगरी में न्यूनतम काम मिलने की गारंटी होगी।

इसके तहत महीेने में न्यूनत 40 काम निर्धारित किया गया है। अगर कोई वर्कर इस टार्गेट को पूरा नहीं करता है तो 3000 रुपये की एडवांस राशि जब्त हो जाएगी।

वर्करों का कहना है कि काम में जो लचीलापन था वो छिन जाएगा और वर्करों पर अनावश्यक दबाव पैदा हो जाएगा।

असल में कंपनी इन वर्करों को अपना कर्मचारी नहीं पार्टनर कहती है और ये वर्कर भी एक तरह की फ्रीलांसिंग करते हैं यानी अपनी मर्जी से काम का वक्त चुनते हैं।

वर्करों की कोई जिम्मेदारी कंपनी नहीं लेती है। लेकिन अब कंपनी उनसे अधिका काम कराना चाहती है।

असल में अरबन क्लैप, ऐप प्लेटफार्म पर घरेलू सर्विस देने वाली कंपनी है जहां कमीशन पर प्लंबर से लेकर ब्यूटीशियन और कारपेंटर और मसाजर तक मुहैया कराया जाता है।

क्यों हो रहा है विरोध

वर्कर कैटेगरी में बदलाव और फाइन का विरोध कर रहे थे। इन वर्करों ने कंपनी प्रबंधन से बात करने की कोशिश की लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला जिसके बाद वो कंपनी गेट पर ही धरने पर बैठ गए।

कंपनी अपने ही वर्करों के खिलाफ़ कोर्ट चली गई और 22 दिसम्बर को कोर्ट ने धरनारत वर्करों को तलब कर लिया। असल में गेट पर धरने के ख़िलाफ़ कंपनी ने स्टे के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

कंपनी वर्कर के भुगतान से ही उपभोक्ता को छूट देती है, वर्करों की मांग है कि कम्पनी अपने कमीशन से उपभोक्ताओं को छूट दे।

इसके अलावा स्मार्ट और प्लस कैटगरी को हटा कर एक करने की मांग भी वर्कर कर रहे हैं।

वर्करों के साथ कंपनी का रिश्ता

गिग वर्कर्स को वर्कर की श्रेणी में नहीं रखा जाता इनको पार्टनर वर्कर बोला जाता है।

जब अर्बन कम्पनी के ब्यूटीशियन ने गेट पर प्रदर्शन किया तो उनको कम्पनी ने बाथरूम तक जाने नहीं दिया।

फैक्ट्री वर्कर को जहां मजदूर की मान्यता है वहीं गिग वर्कर उस श्रेणी से बाहर हैं। फैक्ट्री मजदूर के लिए जहां तथाकथित रूप से ही कुछ कानूनी संरक्षण है वहीं गिग वर्कर सारे जोखिमों के हवाले हैं।

ऑल इंडिया गिग वर्कर्स यूनियन ने एक बयान जारी कर कहा है कि गिग वर्कर्स को कर्मचारी का दर्जा देने की सख़्त ज़रूरत है ताकि कानूनी और सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आएं।

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