छंटनी की होड़ लगी, बेलसोनिका में 300, रिको में 119, श्रीराम इंजीनियर्स में 50 मज़दूरों को निकाला

rico dharuhera

दो महीने के लॉकडाउन के बाद आंशिक रूप से खुली कंपनियों में वर्करों को निकालने की होड़ सी शुरू हो गई है।

हरियाणा के औद्योगिक बेल्ट गुड़गांव और मानेसर में कंपनियों ने अपने नए पुराने वर्करों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है।

मारुति की वेंडर कंपनी बेलसोनिका ने शनिवार को 300 ठेका मज़दूरों को एक झटके में निकाल बाहर किया।

बाकी कम्पनियों से भी इसी तरह से छंटनी की आंशका जताई जा रही है।

ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनी रिको ने अपने धारूहेड़ा प्लांट से 22 मई को ही एक नोटिस जारी कर 119 परमानेंट वर्करों को लेऑफ़ दे दिया है।

नोटिस में कहा गया है कि ये ले ऑफ़ औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के तहत किया जा रहा है।

शनिवार को एफ़एमआई कंपनी में भी यूनियन और मैनजमेंट के बीच मीटिंग हुई। ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों के अनुसार, यहां भी प्रबंधन की छंटनी की मंशा है।

मानेसर में होंडा के पार्ट्स बनाने वाली कंपनी श्रीराम इंजीनियर्स ने ढाई दशक से काम कर रहे क़रीब 50 परमानेंट वर्करों की मार्च महीने की पूरी सैलरी नहीं दी और अब काम पर बुलाने से भी मना कर दिया है।

गुड़गांव और मानेसर में सबसे बड़ा उद्योग कार निर्माता कंपनी मारुति है।

बेलसोनिका के जनरल सेक्रेटरी जसवीर सिंह ने बताया कि प्रबंधन के साथ मीटिंग में बताया गया कि मारुति जून तक 15 फीसदी मज़दूरों के साथ उत्पादन करेगी।

साथ ही यह भी पता चला है कि कंपनी का इरादा आगामी दिसंबर तक 40 फीसदी मज़दूरों के साथ काम करने का है। यानी 60 प्रतिशत मज़दूरों की नौकरी नहीं बचेगी।

आरबीआई के अनुमान के मुताबिक लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था शून्य से भी नीचे जा चुकी है और बाज़ार में मांग शून्य हो गई है।

ऐसे में पहले का स्टॉक बड़े पैमाने पर मौजूद होने कारण नए उत्पादन की उतनी ज़रूरत नहीं रह गई है। इसलिए कंपनियां अपने अस्थाई मज़दूरों से पीछा छुड़ा रही हैं।

मज़दूरों के बीच काम करने वाले ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता श्यामबीर शुक्ला ने कहा कि लॉकडाउन के पहले ही छंटनी और तालाबंदी का दौर इस इलाके में चल रहा था। अब कोरोना के बहाने कंपनियां परमानेंट मज़दूरों को भी बाहर का रास्ता दिखाने पर अमादा हैं।

वर्कर्स यूनिटी को पिछले दो हफ़्ते से ऐसी ख़बरें मिलने लगी थीं कि कंपनियां मज़दूरों को गैरक़ानूनी तरीक़े से निकाल रही हैं। कई मज़दूरों कर्मचारियों ने इसकी लिखित शिकायत वर्कर्स यूनिटी को भेजी हैं।

22 मई को देश की दस सबसे बड़ी ट्रेड यूनियनों ने राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस का आयोजन कर श्रम क़ानूनों को ख़त्म किए जाने का विरोध किया।

लेकिन जिस पैमाने पर छंटनी की शुरुआत हुई है उसे देखकर लगता है कि आने वाला दिन मज़दूरों के लिए बहुत आसान नहीं रहने वाला।

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