टाटा स्टील के निकाले गए कर्मचारी ने सीनियर मैनेजर को गोली मारी

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फ़रीदाबाद टाटा स्टील के स्टॉप यार्ड में प्लांट के एक पूर्व कर्मचारी ने शुक्रवार को सीनियर मैनेजर की गोली मारकर हत्या कर दी।

नौकरी से निकाले जाने से गुस्साए पूर्व कर्मचारी ने सीनियर मैनेजर के पेट में 5 गोलियां मारीं, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

बताया जाता है कि 4 महीने पहले इस कर्मचारी को कंपनी से निकाल दिया गया था।

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निकाले जाने से गुस्से में था पूर्व कर्मचारी

शुक्रवार दोपहर एक बजे के करीब जब लंच का समय था।

उसी समय यह पूर्व कर्मचारी हिसाब के बहाने दफ्तर में जा पहुंचा।

वहीं सीनियर मैनेजर अरिंदम पाल से नोकझोंक हुई उसके बाद कर्मचारी ने पिस्तौल निकालकर गोली चलानी शुरू कर दी।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया की गोलीबारी से वहां दहशत का माहौल पैदा हो गया और हत्या करने के बाद कर्मचारी फरार हो गया।

निकाले जाने से वो गुस्से में था।

काम के हालात को लेकर कर्मचारियों में गुस्सा

अभी कुछ दिन पहले ही मानेसर के मारुति प्लांट में एक कर्मचारी ने कटर से अपना रेत कर आत्महत्या करने की कोशिश की थी।

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बताया जाता है कि उसे कई दिनों से रात की शिफ्ट में जबरदस्ती बुलाया जा रहा था।

पिछले महीने ही गुड़गांव में एडीशनल सेशन जज कृष्णकांत की पत्नी और बच्चे को उनके गनर नहीं गोली मार दी थी।

हालांकि इस हत्या की पीछे मंशा का साफ पता नहीं चला लेकिन स्थानीय निवासियों ने इस बात से इंकार नहीं किया कि वह सिपाही तनाव में था और किसी बात पर जज की पत्नी और बेटे से उसकी बहस हो गई थी।

उत्पीड़न और असुरक्षित भविष्य को लेकर बढ़ी असुक्षा

मजदूरों और कर्मचारियों मैं अत्यधिक उत्पीड़न शोषण और असुरक्षित भविष्य को लेकर काफी तनाव है।

इस तरह यहां वहां प्रतिशोध की कार्रवाइयों से यही लगता है की काम की स्थितियां निजी और सरकारी क्षेत्रों में काफी बदतर हो गई है।

जहां संगठित प्रतिरोध है वहां कर्मचारी मजदूर विरोध प्रदर्शन और रैलियों का सहारा ले रहे हैं।

जबकि असंगठित और अकेले पड़ चुके मजदूर कर्मचारी हताशा के चरम पर ऐसी कार्यवाही या करने पर उतारू हैं।

फौरी तौर पर इन हताशा से भरी कार्रवाइयों को कानून व्यवस्था का मामला बताया जाता है लेकिन जमीनी स्तर पर काम के हालात में सुधार की तत्काल जरूरत है।

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