झारखंड में कोरोना वॉरियर्स का हाल, बिना सुरक्षा किट सैनेटाइज कर रहे दो सफ़ाईकर्मी झुलसे

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By रूपेश कुमार सिंह, स्वतंत्र पत्रकार 

पंद्रह अप्रैल को झारखंड के हजारीबाग जिला के विष्णुगढ़ प्रखंड के चानो गांव में सेनेटाइज कर रहे दो मजदूरों नागेश्वर महतो और हीरामन महतो का पीठ बुरी तरह से केमिकल से झुलस गया ।

मालूम हो कि इसी विष्णुगढ़ प्रखंड में दो कोरोना के पाॅजिटीव मरीज पाये गये हैं, जिस कारण पंचायत के मुखिया के देखरेख में कई गांवों को सेनेटाइज कराया जा रहा है।

जब चानो गांव में मुखिया ने इन दोनों को सेनेटाइज करने का काम सौंपा, तो इन्हें कोई विशेष पोशाक (सुरक्षा किट) नहीं दिया गया।

मजदूरों ने अपने पीठ पर ही सेनेटाइजर बाॅक्स को टांगकर काम करना शुरु कर दिया, जिस कारण सेनेटाइजर बाॅक्स से कैमिकल का रिसाव होने के कारण दोनों मजदूरों का पीठ बुरी तरह से झुलस गया।

बाद में आनन-फानन में इन्हें  विष्णुगढ़ सीएचसी ले जाया गया, जहाँ डाॅक्टरों ने इन दोनों का इलाज किया।

इलाज करने वाले डाॅक्टर अरूण कुमार ने बताया कि बगैर सुरक्षा किट हुए सेनेटाइज करना अनुचित था, चूंकि जहरीली पदार्थ का छिड़काव सेनेटाइज के लिए किया जाता है।

इससे पहले भी अंतिम मार्च में हजारीबाग नगर निगम के दो-तीन कर्मचारी सेनेटाइज के दौरान झुलस गये थे, जिसके बाद नगर निगम के कर्मचारियों ने काफी हंगामा भी किया था। बाद में इन कर्मचारियों को उपमेयर ने रैनकोट दिया था।

इससे पहले झारखंड में कोरोना वारियर्स के प्रति सरकार की बड़ी लापरवाही 13 अप्रैल को भी सामने आयी थी, जब बोकारो जनरल अस्पताल की लगभग 300 नर्सों ने कार्य का बहिष्कार कर दिया था।

मालूम हो कि झारखंड में कोरोना से पहली मौत इसी अस्पताल में हुई थी।

इन नर्सों का अस्पताल प्रबंधन पर आरोप था कि अस्पताल में कोरोना पाॅजिटीव व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने कोरोना से नर्सों के बचाव के लिए कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं किये हैं। यहाँ तक कि सीसीयू को सेनेटाइज भी नहीं कराया गया है।

साथ ही कोविड-19 वार्ड में नर्सों से लगातार 8 घंटे ड्यूटी करायी जा रही है जबकि डब्ल्यूएचओ के गाइडलाइन के अनुसार 4 घंटे का ही शिफ्ट कोविड-19 वार्ड में होना चाहिए।

नर्सों ने यह भी आरोप लगाया था कि कोरोना से बचाव के लिए सुरक्षा किट मांगने या फिर अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का विरोध करने पर रजिस्ट्रेशन रद्द करने व एफआईआर करने की धमकी दी जाती है।

हमारी सरकारें कोरोना वारियर्स की सुरक्षा के लिए कितनी चिंतित है, झारखंड की यह दो घटना तो मात्र इसका एक उदाहरण है।

केन्द्र की सरकार हो चाहे राज्य सरकार हो, किसी को भी कोरोना वारियर्स की सुरक्षा की चिंता नहीं है।

ये सरकारें सिर्फ व सिर्फ अपना पीठ खुद से ही थपथपाना चाहती है। चाहे मजदूरों की पीठ झुलस ही क्यों ना जाए, इन्हें सिर्फ अपनी पीठ थपथपानी है।

आज जब पूरा विश्व इस वैश्विक महामारी कोरोना से भयाक्रांत है और सभी देश की सरकारें अपने कोरोना वारियर्स को भरपूर सुरक्षा इंतजाम देने की कोशिश कर रही है।

ऐसे हालात में हमारे देश की सरकारें सिर्फ व सिर्फ भाषणबाजी से काम चलाना चाहती है और उनके सिपहसालार कोरोना फैलाने की जिम्मेवारी एक विशेष समुदाय के मत्थे मड़कर सरकार को जिम्मेदारी से मुक्त कर देना चाहती है।

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