राज्य में ओपीडी बंद करने पर, हाईकोर्ट ने योगी सरकार से किया जवाब तलब

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By आशीष सक्सेना

ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता एसआर दारापुरी द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका संख्या 605/2020 पर हाईकोर्ट ने योगी सरकार से जवाब तलब किया है।

आईपीएफ ने उत्तर प्रदेश में सरकारी व निजी अस्पतालों की ओपीडी और आईपीडी बंद करने, कोविड-19 की इलाज की अलग से व्यवस्था करने और कोरोना योद्धा डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टॉफ़ को सुरक्षा उपकरण देने के लिए जनहित याचिका दाखिल की थी।

इस जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की खंडपीठ ने सरकार से जवाब तलब किया है और बृहस्पतिवार तक अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

हाईकोर्ट में आइपीएफ की तरफ से अधिवक्ता प्रांजल शुक्ला ने अपना पक्ष रखा।

एसआर दारापुरी

आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता एसआर दारापुरी ने इसे जनता के लिए राहत की उम्मीद की तरह बताया।

उनका कहना है कि एक ऐसे दौर में जब उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के इस संकटकालीन परिस्थिति में सरकार की तरफ से स्वास्थ्य को लेकर बड़ी-बड़ी बयानबाजी की जा रही हो, जबकि लोग इलाज के अभाव में मर रहे हों तो सरकार से जवाब मांगा ही जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ‘हमने हाईकोर्ट के संज्ञान में उत्तर प्रदेश में सरकार द्वारा आदेश देकर सरकारी व निजी अस्पतालों को बंद करने के फैसले लाया। लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद, आजमगढ़, बस्ती, सोनभद्र, चंदौली समेत पूरे प्रदेश की जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था से अवगत कराया है।’

याचिका में कहा गया है कि संविधान का अनुच्छेद 21 और 47 हमें जीने का अधिकार और स्वास्थ्य का अधिकार देता है और सरकार का यह कर्तव्य है कि वह हर नागरिक के इस अधिकार को पूरा करें।

हाईकोर्ट से अपील की गई है कि बार-बार पत्रक देने के बावजूद सरकार की तरफ से अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया जा रहा है। इसलिए न्याय पाने के लिए आपका दरवाजा खटखटाने के अलावा हमारे पास कोई रास्ता नहीं है और न्यायालय से लोगों की जिंदगी की रक्षा के लिए आदेश देने की अपील की गई है।

साथ ही इस रिट में यह भी कहा गया की कोविड-19 अब हमारी जिंदगी का हिस्सा हो गया है इसलिए इसके लिए एक अलग स्वास्थ्य व्यवस्था निर्मित की जानी चाहिए।

रिट में स्वास्थ्य कर्मियों को विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुरूप पीपीई किट समेत स्वास्थ्य उपकरण न देने के प्रश्न को भी उठाया गया है।

यह भी संज्ञान में लाया गया है कि भाजपा व संघ के नेताओं द्वारा डॉक्टरों के ऊपर हमले हुए और सरकार की बड़ी बातों के बावजूद आज तक हमलावरों की गिरफ्तारी नहीं की गई। इस संबंध में हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है।

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