जब महिला मज़दूरों ने जेएनएस कंपनी के गेट पर मिठाई फेंक कर ढेर लगा दिया

jns protest manesar

लॉकडाउन के बाद मनाई गई यह दीपावली भले ही मध्यवर्ग के लिए बहुत शुभ रही हो लेकिन मज़दूर वर्ग की मुसीबतों के बीच ये कहीं से भी खुशी नहीं बांट पाई।

हरियाणा के मानेसर में स्थित जेएनएस कंपनी में दीपावली के एक दिन पहले कंपनी की ओर से दिए गए ख़राब मिठाई और बोनस को लेकर मज़दूरों ने हंगामा किया।

कंपनी में अधिकांश महिला मज़दूर काम करती हैं जिन्हें लॉकडाउन में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था और कंपनी ने तब अपने हाथ खींच लिए थे। कंपनी ने बोनस के बारे में कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया लेकिन मज़दूरों का गुस्सा तब और बढ़ गया जब उन्हें मिली मिठाई ख़राब क्वालिटी की थी।

शाम को जब मज़दूर काम से छुट्टी कर घर जाने लगे तो उन्हें मिठाई के डिब्बे दिए गए। ख़राब मिठाई से आक्रोशित मज़दूरों ने वहीं गेट पर ही मिठाई के डिब्बे उलट दिए और मैनेजमेंट से शिकायत की।

जो वीडियो वर्कर्स यूनिटी को प्राप्त हुआ है उसमें साफ़ दिख रहा है कि आक्रोषित महिला मज़दूर मैनेजमेंट के लोगों को भला बुरा कह रही हैं और मिठाई को बीमार बनाने वाला बताकर सवाल जवाब कर रही हैं।

jns Manesar Bonus

कई कंपनियों में हंगामा

मज़दूरों का ये गुस्सा लॉकडाउन में उनके साथ कंपनी की ओर से हुई ज़्यादती को लेकर भी था। उस दौरान कंपनी ने कोई अतिरिक्त आर्थिक मदद नहीं दी। इस दौरान कई लोगों की नौकरी गई और बहुत सारे लोग आर्थिक परेशानियों से घिर भी गए।

एक महिला ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि “कंपनी ने मज़बूरी का फ़ायदा उठाया, बहुत सारे लोगों को लॉकडाउऩ की सैलरी नहीं दी। जब दुबारा बुलाया तो सैलरी कट किया गया। वेतन बढ़ाने की बात पर वो काम से निकाल देने की धमकी देते हैं। हमारे लिए ये काली दीपावली है।”

सोमवार को जब कंपनी खुली तो बोनस को लेकर कोई हंगामा नहीं हुआ और सबकुछ शांत रहा। मज़दूर शांतिपूर्वक अपने काम पर वापस पहुंचे।

दीपावली के बोनस को लेकर हरियाणा की कई अन्य फ़ैक्ट्रियों में भी दीपावली के एक दिन पहले हंगामा हो चुका है।

13 नवंबर को ही गुड़गांव के (सेक्टर – 37, प्लांट – 761) ओरियंट क्राफ़्ट कम्पनी के मजदूरों को दिपावली पर मजदूरों को वेतन नहीं दिया गया, जिसे लेकर गेट पर हंगामा हुआ और पुलिस प्रशासन ने हस्तक्षेप कर मजदूरों को जबरदस्ती कम्पनी गेट से से भगा दिया।

इससे पहले 11 नवंबर को राजस्थान के भिवाड़ी में कॉटिनेंटल इंजंस कंपनी में तो सभी मज़दूर प्लांट के अंदर ही धरने पर बैठ गए और 26 घंटे की भूख हड़ताल के बाद जाकर उन्हें बोनस मिला।

Bhiwadi continental engines strike

मोदी ने ख़त्म कर दिया बोनस का अधिकार

11 नवंबर को ही फरीदाबाद के सेक्टर 24 में लखानी के महिला मज़दूरों ने बोनस के लिए प्रदर्शन किया।

मजदूरों कहना है कि पिछले साल का बोनस है इस साल देना है। कम्पनी बोनस देने से मना कर रही है। कोरोना व लॉकडाउन की वजह से कम्पनी घाटे चल रही है, ये सिर्फ बहना है।
ओरियंट क्राफ़्ट की तरह ही प्रबंधन ने पुलिस बुला लिया और सैकड़ों पुलिस कम्पनी के अंदर पहुंच गए। कुछ मजदूर कम्पनी के अंदर ही थे। बाद में उन्हें ज़बरदस्ती निकाला गया।
असल में मज़दूरों को बोनस का अधिकार कोई ख़ैरात में नहीं मिला है। इसे उन्होंने लड़कर हासिल किया है इसलिए ये उनका हक है। हक तो ये भी है कि कंपनी के मुनाफ़े को भी मज़दूरों के बीच बांटा जाए लेकिन मोदी सरकार अब बोनस को ही ख़त्म करने जा रही है।

मोदी सरकार ने कोरोना के समय संसद सत्र बुलाकर जिन मज़दूर विरोधी तीन लेबर कोड को ज़बरदस्ती पारित किया, उसमें बोनस एक्ट ही ख़त्म कर दिया गया है।

29 श्रम क़ानूनों को ख़त्म कर जिन तीन लेबर कोड को सरकार लेकर आई है उसे एक अप्रैल 2021 से लागू किया जाएगा, जिसके बाद कई ऐसे अधिकार जिन्हें मज़दूर लड़ भिड़ कर हासिल कर भी लेते थे, उसकी क़ानूनी वैधानिकता ही ख़त्म करने की साज़िश रची जा चुकी है।

ये मज़दूरों और मज़दूर यूनियनों के लिए सोचने का विषय है कि आने वाले समय में संघर्ष की रणनीति क्या होगी क्योंकि एक कंपनी के अंदर संघर्ष कर अपने अधिकारों को हासिल करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा।

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