जिस राज्य के मज़दूर सबसे ज़्यादा तड़पाए गए, उन्हीं से अमित शाह जिताने की अपील कर रहे

amit shah

अचानक लॉकडाउन की घोषणा के कारण 600 से अधिक मज़दूरों की मौत हो चुकी है, रेलवे पुलिस बल के आकड़ों के अनुसार श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 80 मज़दूरों की मौत हुई।

मज़दूरों की मौत का यह पहला डाटा पेश किया गया है यानि की मौत के आकड़ों में अभी बढ़ोतरी हो सकती है। इन सभी मुद्दों को छोड़कर देश के गृहमंत्री अमित शाह अक्टूबर-नवंबर में बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं।

मज़दूरों का पलायन अभी भी जारी है तपती धूप में मज़दूर पैदल चलकर अपने गांव की तरफ जा रहे हैं।

इन मज़दूरों की मौत का जिम्मेदार कौन है इस सवाल का जवाब अभी तक सरकार नहीं दे पाई है, ये मज़दूर क्यों पैदल चलकर अपने गांव की तरफ जा रहे हैं, इन पर सरकार की निगाह नहीं पड़ी।

केंद्रीय गृह मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह आज शाम 4 बजे पार्टी के लिए बिहार में पहली वर्चुअल रैली ‘बिहार जनसंवाद’ को संबोधित करेंगे।

हालांकि यह रैली पूरी तरह से ऑनलाइन होगी और अमित शाह के साथ-साथ कार्यकर्ता भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इसमें शामिल होंगे।

बिहार में इस साल अक्टूबर या नवंबर में विधानसभा चुनाव  कराए जा सकते हैं। अमित शाह की इस ऑनलाइन रैली को बिहार में बीजेपी के चुनाव प्रचार के आगाज के रूप में देखा जा रहा है। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल ने चुनावी तैयारी कुछ दिन पहले ही शुरू की है।

मज़दूरों को तबाह करने के बाद मोदी सरकार ने किसानों पर लगाया हाथ, कंपनियों के हवाले करने साजिश

मोदी सरकार का रोजगार मेगा प्लान या जनता को बरगलाने का है नया उपाय ?

मज़दूर अभी भी कई राज्यों में फंसे हुए हैं उसके पहले ही, मोदी सरकार ने ऐसे मज़दूरों के लिए एक मेगा प्लान तैयार किया है।

केंद्र की मोदी सरकार की ओर से देश के छह राज्यों के उन 116 जिलों की पहचान की गई है, जहां पर सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूरों ने लॉकडाउन के दौरान घर वापसी की है।

लॉकडाउन से क्या फायदा हुआ? 20 लाख करोड़ कहां गए? पीएम केर्य़स फंड के पैसे कहां हैं? इन सभी मुद्दों को सरकार जनता को समझा नहीं पाई और अब एक नया मुद्दा लेकर आ रही है मोदी सरकार।

विपक्षी इसे एक और छलावा या जुमला कह रहे हैं।

इसे नाम दिया है ‘मोदी सरकार का रोजगार मेगा प्लान’। इस के तहत सरकार का दावा है कि 116 जिलों की पहचान की गई है, जहां सबसे अधिक प्रवासी मज़दूर लॉकडाउन के समय घर वापस आए हैं।

इसी प्लान के तहत मज़दूरों के लिए रोजगार का पिटारा खोला जाएगा।

एटलस 60 साल पुरानी कंपनी थी, अचानक ताला लगा 700 मज़दूरों को बाहर कर दिया, ज़िम्मेदार कौन?

मज़दूरों को लाखों खर्च कर वापस बुला रहे पंजाब के किसान

इस देश की जनता अब सरकार के भरोसे नहीं है, ये बात साबित होने लगी है।

खेतों में धान की रोपाई के लिए पंजाब के किसान बिहार और उत्तर प्रदेश गए मजदूरों को बसें भेजकर वापस बुला रहे हैं।

मजदूरों को अपने निजी खर्चे पर बुला रहे किसान उनका कोरोना टेस्ट भी करवा रहे हैं।

अचानक लॉकडाउन की घोषणा के कारण रोजीरोटी छिन जाने से प्रवासी मज़दूर अपने गृहराज्य चले गए हैं पर धान की खेती का मौसम होने के कारण पंजाब के किसानों के सामने समस्या खड़ी हो गई है।

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