फ़्रांस में मज़दूरों ने खाना बांटने के लिए मैकडोनल्ड रेस्टोरेंट को अपने कब्ज़े में लिया

Mcdonalds france workers took over

By चंदन कुमार, ट्रेड यूनियन एक्टिविस्ट

फ्रांस के मार्सिले (marseille) शहर में मज़दूरों ने मैकडोनल्ड के होटल को अपने कब्जे में ले लिया है। उन्होंने इसे कोरोना संकट के समय जरूरतमंदों की मदद और भोजन वितरण के लिए एकता केंद्र में बदल दिया है।

मजदूरों द्वारा घरों और स्थानीय दुकानों से भोजन इकट्ठा कर लिया जाता है। मैकडोनल्ड की बड़ी बड़ी फ्रिजों का इस्तेमाल जल्दी खराब होने वाले समान को जमा करने के लिए किया जाता है।

20 वालंटियर 24 घण्टे मौजूद रहते हैं जो भोजन देने आए लोगों से भोजन लेकर उसका रखरखाव करते हैं और जरूरतमंद परिवारों तक पहुंचाने के लिए पैकेट तैयार करते हैं।

एक मज़दूर नेता के अनुसार “हमारे पास कई टन भोजन पहुँचाया गया है। हमारे पास इतना सामान है कि हम रोजाना 100 buckets तैयार कर सकते हैं।”

मैकडोनल्ड के प्रबंधकों ने इस कार्रवाई का विरोध किया है पर मज़दूर कोई परवाह ना करते हुए आगे बढ़ रहे हैं।

एक ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता कमल गुमेरी ने कहा कि अगर इस मुसीबत की घड़ी में हम अपने अपनों के लिए कुछ नही करेंगे तो और कौन करेगा?

हिंदुस्तान जैसे देश में हम मजदूरों के बीच वो इंकलाबी जज्बात पैदा ही नहीं होने दे रहे हैं। हमारा पूरा रिलीफ़ का कार्यक्रम केवल और केवल, दान /पुण्य के सिद्धांतों पर चल रहा है।

यह वक़्त है तय करने का, कि हमारा इस लोकतंत्र और राज्य के साथ क्या रिश्ता है, और अगर चुनी हुई सरकार अपने नागरिकों के लिए कुछ नहीं कर सकती, तो उनका क्या हक है की वो कुर्सी पर बैठे रहे।

यह सवाल सभी मज़दूरों को अपने चुने हुए प्रतिनिधि से पूछने का सही समय है। लॉकडाउन खुलने के बाद दक्षिणपंथी अपने अपने राजनैतिक कार्यक्रमों में लग जाएंगे।

औद्योगिक क्षेत्र के लोग अभी से परेशान होने लगे हैं कि, किया मजदूर गांव से वापस आएंगे? उनको यह चिंता सता रहा है की बिना इन मज़दूरों के शोषण किए बग़ैर उनकी पूंजीवादी व्यवस्था का भट्टा ही बैठ जाएगा।

मुझे लगता है यह एक सुनहरा अवसर है की मज़दूर अपनी मज़दूरी और सामाजिक सुरक्षा अपने श्रम देने से पहले तय करें?

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