मज़दूर की चिट्ठीः क्या इतने में अपना और घर का खर्च निकल सकता है क्या?

worker construction

मैं उत्तराखंड का रहने वाला हूँ और नोएडा में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करता हूँ।

मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि कंपनी में हम लोगों को इतनी कम सैलरी मिलती है कि महीने का खर्चा तक नहीं निकल पाता है।

हमें 5,000 रुपये किराए का तो कमरा लेना पड़ता है और बिजली का बिल अलग से होता है।

अगर खाना और दवा इलाज़ आदि मिला दें तो जितनी सैलरी मिलती है उतने में महीने का खर्च भी नहीं निकल पाता है।

अगर अपनी बात करूं तो मैं घर का अकेला कमाने वाला हूँ। छोटा भाई पढ़ाई करता है मुझे कंपनी से 10,700 रुपये सैलरी मिलती हैं।

कोई बताए कि इसमें क्या घर का खर्च और अपना खर्च निकल सकता है क्या?

मैंने आज आपका पोस्ट पढ़ा और मेरा भी मन किया कि आप लोगों से अपना दर्द बयां करूं क्योंकि और तो हम कुछ कर सकते नहीं।

ये बात सभी जानते हैं कि हम वर्करों का किस तरह फैक्ट्रियों, कारखानों और आफ़िसों में शोषण किया जा रहा है।

सरकार ने कानून तो बनाया है लेकिन उनके भी कुछ लोग कंपनी वालों से मिलकर सैलरी का पैसा निकाल लेते हैं और कागजों में कुछ और दिखा दिया जाता है।

बस इतनी कम सैलरी में कैसे कोई पैसा बचा पायेगा। कंपनी के अन्दर का हाल तो इतना ख़राब है कि जो मैनजर लोगों के प्रिय होते हैं उन लोगो की कमाई होती है।

ओवर टाइम लगता और भी बहुत तरीक़े से उन्हें छूट मिलती है।

नाम से कंपनी बहुत बड़ी है लेकिन पैसा इतना कम मिलता है कि बच ही नही पाता है।

आपको ये लिख कर अपना दर्द इसलिए बता रहा हूं जिससे मुझे उमीद है कुछ तो होगा।

आप हम लोगों की बात प्रधानमंत्री जी तक पहुंचाओगे और हम लोगों को अपने हक का पैसा मिलेगा।

(सुरक्षा की दृष्ठि से नाम और कंपनी का नाम गोपनीय रखा गया है। अगर आपके पास भी कुछ कहने को है तो लिख भेजिए – [email protected] पर।)

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