भारत में युवाओं ने तो फ्रांस में मजदूरों ने सरकार को दिखाया आईना, सडक़ों पर हजारों का प्रदर्शन

17 सितंबर का दिन दुनिया के लिए खास रहा। इसलिए नहीं कि किसी का जन्मदिन था या किसी पूजा पाठ का। बल्कि इसलिए कि दुनिया के दो अहम देशों की जनता सडक़ों पर हक की आवाज उठाने को उतरी।

जिस तरह भारत में 18 घंटे तक बेरोजगार दिवस का हैश टैग ट्रेंड करता रहा और युवा सडक़ों पर सरकार के सामने सीना तानकर खड़े हुए। उसी ताप और तेवर में क्रांतियों का इतिहास लिखने और लोकतंत्र की परिभाषा सिखाने वाले फ्रांस की जनता अपनी सरकार की दक्षिणपंथी नीतियों के खिलाफ हजारों की तादात में उतर आई।

बास्तील दिवस पर फ्रांसीसी जनता ने हिला दिया मैंक्रों का ‘किला’, पुलिस से तीखी झड़प

ट्रेड यूनियनों के नेतृत्व में राजधानी पेरिस की सडक़ों पर हुए जुलूस प्रदर्शन को रोकने और तितर बितर करने को बड़ी संख्या में सशस्त्र बल तैनात किए गए, लेकिन उनकी एक न चली। उलटा वे प्रदर्शनकारियों के लिए रास्ता साफ करते हुए उल्टे पैरों चलते नजर आए।

ट्रेड यूनियनों के महासंघ की अगुवाई में यलो वेस्ट आंदोलन और एंटी फासिस्ट समूह के लोग भी सक्रिय तौर पर जुलूस का हिस्सा बने। क्रांतिकारी अर्नेस्टो चे ग्वेरा की तस्वीरों और लाल झंडों के साथ नारे और गीतों से पेरिस घंटों गूंजता रहा।

प्रदर्शनकारियों ने मैक्रों सरकार पर आरोप लगाया कि कोरोना महामारी के नाम पर जनता को सुविधाओं से महरूम किया जा रहा है। मजदूरों से उनके अधिकार छीने जा रहे हैं, जबकि पूंजीपतियों का खजाना भरने को सरकार के पास नीतियों और धन की कोई कमी नहीं दिखाई दे रही।

उन्होंने सरकार को तत्काल स्वास्थ्य सुविधाएं व्यवस्थित और आम जन की पहुंच में आने, श्रम कानूनों को मजबूत बनाने और फासीवादी नीतियों को रद न करने पर बड़े आंदोलन का सामना करने की चेतावनी दी।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.