700 सफाईकर्मियों को बिना किसी पूर्व सूचना और नोटिस के नौकरी से निकाला गया

पोंगल के मौके पर करीब तमिलनाडु में करीब 700 सफाईकर्मियों को नौकरी से निकाल दिया गया।

कोरोना महामारी के दौरान फ्रंटलाइन योद्धाओं की तरह काम करने वाले इन वर्करों को नौकरी से निकाले जाने से पहले न कोई नोटिस दिया गया और न ही इसकी सूचना दी गई।

ग्रेटर चेन्नई कारपोरेशन की इस कार्रवाई के खिलापफ वर्करों ने विरोध प्रदर्शन भी किया।

रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से तमाम वर्कर कारपोरेशन के साथ कई सालों से काम कर रहे थे।

कोरोना महामारी के दौरान ये वर्कर संक्रमित लोगों के सीघे संपर्क में आने के बावजूद काम कर रहे थे। नौकरी से निकाले जाने के बाद फिलहाल राज्य सरकार की ओर से उनके लिए किसी भी तरह के    राहत राशि का एलान नहीं किया गया है।

वर्करों का कहना है कि कोरोना के दौरान वे तब भी संक्रमित लोगों के इलाज में मदद कर रहे थे, जब उनके परिवार वालों तक ने उनसे सपर्क तोड लिया था।

एक महिला वर्कर ने बताया कि उसे अपने पति की मौत के बाद उनकी जगह यह नौकरी मिली थी। उसने कहा, मैंने महामारी और वर्धा तूफान के दौरान भी जी जान से डयूटी की लेकिन कारपोरेशन ने इसका कुछ खयाल नहीं किया और हमारी रोजी रोटी छीन ली।

बिना नोटिस दिए इतनी बडी तादाद में वर्करों को नौकरी से निकालने पर कारपोरेशन के साथ ही राज्य की पलानीस्वामी सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है।

डीएमके सांसद कनिमोझी ने पलानीस्वामी सरकार की इस कार्रवाई की आलोचना उन्होंने करते हुए कहा की कोविड योद्धाओं को सम्मानित करने की बजाए  तमिलनाडु सरकार ने सात सौ वर्करों की नौकरी छीन ली है, बेराजगारी के इस दौर में राज्य सरकार का ये निर्णय क्रूरतापूर्ण है।

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