छह साल से 13 मज़दूर अभी भी जेल में बंद हैं, मज़दूरों ने मनाया काला दिवस

छह साल पहले गुड़गांव के मानेसर प्लांट में मारुति के मज़दूरों पर चला मैनेजमेंट और सरकारी दमन के ख़िलाफ़ 18 जुलाई को गुड़गांव के मिनी सेक्रेटेरियट पर क़रीब दो दर्जन यूनियन के कर्मचारियों ने प्रदर्शन कर काला दिवस मनाया.

गुरुवार को मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन ने काला दिवस मनाने का आह्वान किया था. गौरतलब है कि 18 जुलाई 2012 के मानेरसर प्लांट में कार्यरत परमानें और ठेका मज़दूरों की यूनियन बनाने की मांग पर मैनेजमेंट ने साजिश और सरकारी शह पर मज़दूरों के ख़िलाफ़ अभूतपूर्व दमनचक्र चलाया था. और क्षणिक हिंसा में आगजनी के कारण दुर्भाग्य से एक मैनेजर की मौत हो गई थी.

मैनेजमेंट ने यही बहाना बनाकर सैकड़ों मज़दूरों पर हत्या और अन्य कई धाराओं में एफ़आईआर दर्ज कराया और नौकरी से निकाल दिया.

यही नहीं इन मज़दूरों की व्यापक पैमाने पर धर पकड़ की गई और उन्हें सालों से जेल में बंद किए रखा. आखिरकार 13 मज़दूरों को छोड़कर बाकी मज़दूरों को पांच साल की जेल के बाद कोर्ट ने छोड़ दिया लेकिन इन 13 मज़दूरों को आजीवन कारावास की सज़ा दी गई. वो छह साल से जेल में बंद हैं और अभी भी मुकदमा चल रहा है.

इस बीच दमन के खिलाफ़ गुड़गांव के मज़दूरों ने अभूतपूर्व वर्गीय एकता दिखाते हुए पीड़ित मज़दूरों के परिवारों की अपनी सामर्थ्य भर पूरी मदद की. मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष अजमेर यादव के मुताबिक अभी तक पीड़ित मज़दूर परिवारों को विभिन्न यूनियनों ने मज़दूरों के सहयोग से 40 लाख रुपये इकट्ठा कर मदद किया है.

गुरुवार को तीन बजे से मारुति के चारों प्लांटों और क़रीब डेढ़ दर्जन यूनियनों के श्रमिक गुड़गांव के मिनी सेक्रेटेरियट पर इकट्ठा होने शुरू हुए और देखते देखते मज़दूरों का एक पूरा सैलाब सड़क पर उतर आया.

मारुति मज़दूरों को न्याय दो, निर्दोष मज़दूरों को तुरंत रिहा करो, इंकलाब ज़िंदाबाद, पूंजीवाद हो बर्बाद के नारे लगाते हुए हज़ारों की भीड़ जब क़रीब एक किलोमीटर की पदयात्रा कर जब सेक्रेटेरियट पहुंची तो वहां पुलिस और सुरक्षा बलों का भारी बंदोबस्त पहले से ही मौजूद था.

यूनियन ने छह साल से जेल में बंद मज़दूरों के न्याय देने से संबंधित मांगपत्र प्रशासन को सौंपा और मिनी सेक्रेटेरियट के गेट पर ही मीटिंग की.

यूनियन की तरफ से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, 13 मज़दूरों को लगातार छह साल से जेल में बंद किए जाने के पीछे कंपनी राज के मंसूबों को सरकार की ओर से हर हाल में पूरा किए जाने का संकल्प दिखाई देता है.

विज्ञप्ति में कहा गया है कि “वर्ग युद्धबंदी हैं और सभी जानते हैं कि ये लंबी लड़ाई है और इसे सामूहिक ताकत से ही लड़ा जाएगा और जीता जाएगा.”

प्रदर्शन में भागीदारी करने वाली यूनियनें हैं- मारुति के चारों प्लांट की यूनियनें, रिको, होंडा मानेसर, होंडा टापुकारा, ल्यूमैक्स, सत्यम ऑटो, यूनिप्रोडक्ट, डायकिन, बेल्सोनिका, एसपीएम, आस्टी, एफसीसी, मुंजल शोवा, एंड्यूरेंस, नापिनो समेत क़रीब दो दर्जन यूनियनें थीं.

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