10 लाख कर्मचारियों ने दिल्ली ठप की, संसद के बाहर धरना, अंदर हंगामा

दिल्ली में आज 10 लाख श्रमिक हड़ताल पर हैं ठीक संसद के बाहर, लेकिन मीडिया में सन्नाटा पसरा है. वहां एक और शोर है संसद में स्थगन प्रस्ताव का. संसद से महज चंद मीटर की दूरी मेहनकशों की हज़ारों की भीड़ के इस सवाल का कि उनका हक उन्हें क्यों नहीं दिया जा रहा है, इस पर संसद और मीडिया दोनों खामोश हैं.

दिल्ली की सभी यूनियनों ने मिलकर राज्यस्तरीय आम हड़ताल का 20 जुलाई को आह्वान किया था. उनकी मांग है कि ‘दिल्ली में न्यूनतम मज़दूरी की घोषणा किए जाने के बाद भी ये लागू क्यों नहीं हुई? ये ऐलान 3 मार्च 2017 को हुआ था. फैक्ट्रियों और औद्योगिक उपक्रमों में काम करने वाले 99 फीसदी मज़दूरों को न्यूनतम मज़दूरी तक नहीं मिल रही है और केंद्र मोदी सरकार और राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार दोनों खामोश हैं.’

यूनियनों का कहना है कि आम आदमी पार्टी की केजरीवाल सरकार ने ठेका मज़दूरों को बार बार नियमित किए जाने की बात कही लेकिन अभी तक उस ओर कोई पहल नहीं दिखाई देती है.

एक अनुमान के मुताबिक इस हड़ताल में 10 लाख कर्मचारियों और मज़दूरों ने हिस्सा लिया. हड़ताल का आह्वान करने वाली यूनियनों में इँटक, एआईटीयूसी, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, एमईसी, एलपीएफ़, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू आदि संगठन शामिल थे.

नरेला, वज़ीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया में हज़ारों मज़दूर सड़कों पर उतरे और अपनी मांगों के पक्ष में नारे लगाए.

संयुक्त ट्रेड यूनियनों ने की प्रमुख मांगें-

  1. घोषित न्यूनतम वेतन 13,896 रुपये हो और ये सभी कारखानेदारों, दुकानों, संस्थानों पर सख्ती से लागू हो. महंगाई बढ़ने की वजह से न्यूनतम वेतन 20,000 रुपये प्रति माह की घोषणा की जाए.
  2. सभी मज़दूरों को रिहाईशी मकान और राशन कार्ड दिया जाए.
  3. दिल्ली सरकार त्रिपक्षीय कमेटियों का निष्पक्ष तरीके से गठन करे.
  4. केंद्र सरकार मज़दूर विरोधी कानूनी संशोधनों को वापस ले.
  5. ठेका मज़दूरों को पक्का किया जाए.
  6. समान काम समान वेतन लागू किया जाए.
  7. बोनस की पात्रता और भुगतान की सीमा हटाई जाए.
  8. स्कीम वर्कर्स, आंगनवाड़ी, आशा वर्कर्स, मिड डे मील में लगे लोगों को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए.
  9. रेहड़ी पटरी वालों का पंजीकरण और लाइंसेस दिया जाए.
  10. बिजली, पानी, डीटीसी, परिवहन एवं अन्य सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण बंद हो. ऐसे सारे फैसले वापस हों. सभी क्षेत्रों में एफ़डीआई लाने के फैसले वापस लिए जाएं.
  11. एमसीडी में कार्यरत सफाई एवं स्वास्थ्य कर्मचारियों को पूर्ण कर्मचारी की सुविधा दी जाएं.
  12. दिल्ली मेट्रो कर्मचारियों को ट्रेड यूनियन बनाने का अधिकार दिया जाए.
  13. दवाओं पर जीएसटी शून्य प्रतिशत किया जाए और दवा प्रतिनिधियों को कर्मचारी का दर्जा देकर कुशल कर्मचारी घोषित किया जाए और काम के घंटे 8 निर्धारित किए जाएं.
  14. होटल उद्योग में 10 प्रतिशत सर्विस चार्ज लागू किया जाए और इसका लाभ कर्मचारियों को दिया जाए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.