उत्तरप्रदेश के मजदूरों की बड़ी जीत, काम के घंटे 12 करने का आदेश वापस

By आशीष सक्सेना

संविधान का उल्लंघन कर काम के घंटे आठ से बढ़ाकर 12 करने का आदेश योगी सरकार को वापस लेना पड़ गया। इस सिलसिले में वर्कर्स फ्रंट की जनहित याचिका के बाद सरकार ने 15 मई को आदेश वापसी का पत्र जारी कर दिया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सरकार को नोटिस जारी किया था। वर्कर्स यूनिटी प्रतिनिधि से बातचीत में वर्कर्स फ्रंट  के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर ने इस जीत पर कहा कि सरकार संविधान के आर्टिकल 213, आॢटकल 354 का खुला उल्लंघन करने की कोशिश में थी, जो कि नाकाम हो गई।

राज्य सरकार को समवर्ती सूची के अधिनियमों को बदलने का अधिकार नहीं है, क्योंकि ये केंद्र सरकार के अधीन होते हैं। न ही आपातकाल की घोषणा हुई है। अगर आपातकाल घोषित भी हो जाए तो भी सशस्त्र विद्रोह होने पर ही सरकार ऐसे नियमों में बदलाव की बात कर सकती है। इस संबंध में 1978 में संशोधन किया जा चुका है।

आपातकाल लागू होने पर भी आर्टिकल 21 लागू रहेगा, जो जीने का अधिकार है। सरकार की संविधान के प्रति निष्ठा की कमजोरी ने ही श्रम कानूनों को बदलने की हिम्मत को बढ़ावा दिया है।

दिनकर कपूर ने बताया कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई की तिथि 18 मई निर्धारित की थी। जनहित याचिका में अधिवक्ता प्रांजल शुक्ला व विनायक मित्तल द्वारा बहस की गई।

नोटिस जारी करने के बाद हरकत में आयी प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव श्रम ने मुख्य स्थायी अधिवक्ता, इलाहाबाद उच्च न्यायालय को आज जारी अपने पत्र में काम के घंटे बारह करने की अधिसूचना वापस लेने की सूचना दी है। पत्र में इसकी सूचना माननीय उच्च न्यायालय को देने का अनुरोध किया गया है।

worker front state president dinkar kapoor

याचिकाकर्ता व वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने कहा कि आखिर योगी सरकार को काम के घंटे बारह करने का मजदूर विरोधी, मनमाना, विधि विरूद्ध और तानाशाहीपूर्ण फैसला वापस लेना पड़ा। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों पर कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा कि आरएसएस-भाजपा की सरकार को इतना अमानवीय नहीं होना चाहिए।

अगर उनकी सरकार मजदूरों को मदद नहीं कर सकती तो कम से कम उनका उत्पीडऩ तो न करे। उन्होंने कहा कि आज जो मजदूरों की त्रासद स्थिति है उसके लिए सिर्फ और सिर्फ मोदी सरकार जिम्मेदार है, जिसने चार घंटे का वक्त देकर लाकडाउन लागू किया।

उन्होंने कहा कि श्रम कानूनों को खत्म करने का अध्यादेश भी अगर सरकार लाती है तो उसे भी चुनौती दी जायेगी। सरकार की मनमानी और तानाशाही को परास्त किया जायेगा और मेहनतकशों के लोकतांत्रिक अधिकारों और उनके जीवन की रक्षा के लिए चैतरफा प्रयास किया जायेगा।

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