विपक्ष के बायकॉट के बीच मोदी सरकार ने पास कराए तीन लेबर कोड, ट्रेड यूनियनों का आज विरोध प्रदर्शन

trade union protest at jantar mantar

भारतीय मज़दूर वर्ग के लिए मंगलवार का दिन किसी दुःस्वप्न की शुरुआत से कम नहीं रहा है और इसी दिन ट्रेड यूनियनों और विपक्ष के भारी विरोध के बीच मोदी सरकार ने लोकसभा से तीन श्रम संहिताएं यानी लेबर कोड बिल पास करा लिए। अब इसे राज्य सभा भेजा जाएगा।

नए क़ानूनों में ऐसे बदलाव किए गए हैं जिससे मज़दूरों कर्मचारियों को मिल रही कागज़ी सुरक्षा भी ख़त्म हो जाएगी और देश की तीन चौथाई कंपनियों में बंधुआ मज़दूरी जैसे हालात बन जाएंगे जहां मज़दूरों को निकालना और नौकरी पर रखने की कंपनियों को मनमानी छूट मिल जाएगी।

संसद में मंगलवार को ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन्स कोड 2020, इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020 और कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी बिल, 2020 पास हो गए। इसके अलावा वेज कोड बिल 2020 पिछले सत्र में ही संसद से पास कराया जा चुका है।

ट्रेड यूनियनों ने 44 श्रम क़ानूनों को ख़त्म कर इन लेबर कोड को बंधुआ मज़दूरी क़ानून बताया है और इसके ख़िलाफ़ जुझारू संघर्ष का ऐलान किया है, जिसके तहत 23 सितम्बर को देश भर में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया गया है।

इससे पहले संसद में कृषि अध्यादेशों को सरकार ने राज्यसभा से बिना मतविभाजन पास कराया था और जिसे लेकर पूरे देश में आक्रोश जताया गया। किसान संगठनों ने 25 सितम्बर को भारत बंद का आह्वान किया है।

कंपनी राज

मंगलवार को भारी हंगामे और कुछ विपक्षी दलों के वॉकआउट के बीच श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने दावा किया कि नए क़ानून मज़दूरों के कल्याण के लिए मील का पत्थर साबित होंगे।

सरकार का दावा है कि नए लेबर कोड में नौकरी से निकाले गए मज़दूरों के लिए विशेष फंड की व्यवस्था करने का प्रवाधान किया गया है। और साथ ही भारी वित्तीय घाटा, कर्ज या लाइसेंस पीरियड खत्म होने जैसी वजहों से कंपनी बंद होने की हालत में मुआवजा देना अनिवार्य होगा।

इसके अलावा सोशल सिक्युरिटी कोड में सुरक्षा के दायरे में असंगठित क्षेत्र के सभी मज़दूरों को लाने की बात कही गई है लेकिन इस बारे में भी कोई स्पष्ट बात नहीं है।

मज़दूर संगठन जिस बात का विरोध कर रहे हैं वो है- 300 मज़दूरों से कम संख्या वाली कंपनियों में हायर एंड फ़ायर की नीति को लागू करने और मनर्ज़ी के मुताबिक कंपनी बंद करने और काम के घंटे बढ़ाकर 9 घंटे किया जाना।

इससे भी ख़तरनाक प्रावधान है हड़ताल को कठिन बनाना और ट्रेड यूनियन एक्ट को लगभग रद्दी कागज बना देना।

इन क़ानूनों के अनुसार, समूचे औद्योगिक उत्पादन को आवश्यक आपूर्ति सेवा क्षेत्र की तर्ज पर हड़ताल का अधिकार लगभग छीन लिया गया है। हड़ताल करने के लिए छह हफ़्ते पहले पहले सूचित करना होगा या 14 दिन पहले नोटिस देना होगा।

देश में लगभग तीन चौथाई कंपनियां मध्य एवं लघु उद्योग के दायरे में आती हैं जहां कार्यबल की संख्या काफ़ी कम होती है और इस तरह देश की तीन चौथाई कंपनियां श्रम क़ानूनों के दायरे से सीधे बाहर चली जाएंगी।

ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि पहले ही इन कंपनियों में हायर एंड फ़ायर, मनमानी तालाबंदी, मनमाने काम के घंटे, बदतर काम के हालात और शोषण चरम पर रहा है और मोदी सरकार ने इन्हें क़ानूनी बनाने की ठान ली है।

ख़त्म हो जाएंगे ये श्रम क़ानून

प्रस्तावित लेबर कोड के आने के बाद पहले के इम्प्लाई स्टेट एंश्योरेंस क़ानून, पीएफ़ एक्ट, कंपनसेशन एक्ट, मैटर्निटी बेनेफ़िट ऐक्ट, ग्रेच्युटि एक्ट, असंगठित क्षेत्र के वर्करों के लिए सामाजिक सुरक्षा एक्ट, निर्माण मज़दूरों के कल्याण के लिए वर्कर्स वेलफ़ेयर सेस एक्ट, बीड़ी वर्कर वेलफ़ेयर सेस एक्ट, आयर ओर माइंस, मैग्नीज़ ओर माइंस और क्रोम ओर माइंस वेलफ़ेयर फंड एक्ट, माइका माइंस लेबर वेलफेयर सेस एक्ट, लाइमस्टोन एंड लोटोमाइट माइंस लेबर वेलफेयर फंड एक्ट और सीने वर्कर्स वेलफ़ेयर फंड एक्ट को समाप्त कर दिया जाएगा।

सरकार का तर्क है कि इन सभी क़ानूनों को ख़त्म कर आसान क़ानून बनाए जाएंगे और इससे उद्योग धंधों को संचालित करने में उद्योगपतियों को आसानी होगी और इससे निवेश बढ़ेगा।

अब इन सभी क़ानूनों को समेट कर एक यूनिवर्सल कोड में लाने का प्रस्ताव है। इस नए क़ानून को लागू करने के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल बनेगी जिसके पास वित्तीय और नियामक शक्तियां होंगी।

ट्रेड यूनियनों का कहना है कि इतने अलग अलग किस्म के उद्योगों में लगे मज़दूरों के हितों की रक्षा एक काउंसिल कैसे कर पाएगी।

इसके अलावा ट्रेड यूनियनें इसलिए भी चिंतित हैं क्योंकि जिन क्षेत्रों के मज़दूरों के बारे में सरकार फैसले लेने जा रही है, उनसे या उनकी ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों से सरकार ने कोई भी बात करने से इनकार कर दिया है।

ट्रेड यूनियन नेताओं का कहना है कि ये मोदी सरकार की मनमानी है और इससे मज़दूरों के हालात बंधुआ मज़दूरी से भी बदतर हो जाएंगे।

ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं ने इन क़ानूनों को अंग्रेज़ी राज का क़ानून बताया है और कहा है कि जिन क़ानूनों को गोरे भी लागू नहीं कर पाए उन्हें मोदी सरकार अंजाम दे रही है।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

2 Comments on “विपक्ष के बायकॉट के बीच मोदी सरकार ने पास कराए तीन लेबर कोड, ट्रेड यूनियनों का आज विरोध प्रदर्शन”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.