मारुति की तीनों यूनियनों ने किसान मोर्चे को 51,000 रु. की दी आर्थिक सहायता

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मारुति सुज़ुकी की तीनों यूनियनों ने मिलकर शुक्रवार को टिकरी बॉर्डर बहादुरगढ़ पकौड़ा चौक पर लगे भारतीय किसान यूनियन एकता उगरहां को 51,000 रुपये का आर्थिक सहयोग किया।

तीनों यूनियनों ने 17-17 हज़ार रुपये का योगदान किया। मारुति के मानेसर कार प्लांट से नवीन, मारुति गुड़गांव प्लांट से जगतार और मारुति पॉवरट्रेन प्लांट से ललित त्यागी व बलिंदर, व बेल सोनिका यूनियन से अतुल कुमार व मोहिंदर कपूर ने धरना स्थल पर जाकर यह आर्थिक सहयोग भेंट की।

इससे पहले भी मारुति सुजुकी यूनियन के तीनों प्लांटों की तरफ से राशन आदि का सहयोग मसानी के धरनास्थल पर दिया गया था।

इसमें इन तीनों यूनियनों के अलावा कुल 7-8 यूनियनों- मारुति सुजुकी कार प्लांट यूनियन मानेसर, मारुति सुजुकी यूनियन गुड़गांव, पॉवर ट्रेन यूनियन मानेसर, सुजुकी बाइक यूनियन गुडगांव, बेलसोनिका यूनियन मानेसर, एफएमआई यूनियन मानेसर, मुंजाल शोवा गुड़गांव, कपारो मारुति गुड़गांव आदि ने मिलकर 50,000 रुपये का राशन और अन्य सामग्री दी गई थी।

उल्लेखनीय है कि पिछले महीने 14 नवंबर को गुड़गांव मिनी सचिवालय पर ऑटो सेक्टर के मज़दूरों और किसानों की पंचायत की थी और इसमें संयुक्त किसान मोर्चा के दिग्गज नेता डॉ. दर्शनपाल, जोगिंदर सिंह उगरहां और युद्धवीर समेत दर्जन भर नेता शामिल हुए थे और ऑटो सेक्टर के मज़दूरों के साथ अपनी एकजुटता प्रदर्शित की थी।

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यह पंचायत औद्योगिक इलाके में ढकी छुपी छंटनी, तालाबंदी, चार लेबर कोड के ख़िलाफ़ आयोजित की गई थी, जिसमें गुड़गांव धारूहेड़ा मानेसर बेल्ट की कई यूनियनें शामिल हुई थीं।

जबसे तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने, MSP पर सरकारी खरीद की गारंटी का क़ानून बनाने व बिजली विधेयक संसोधित 2020 को वापस किए जाने की मांग को लेकर 26 नवंबर 2020 से किसानों का संघर्ष शुरू हुआ है, गुड़गांव मानेसर, बावल औद्योगिक इलाके की यूनियनें लगातार किसानों का समर्थन और सहयोग करती आ रही हैं।

बीते 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि कानूनों को वापिस लेने की बात कही थी। संसद की कानूनी प्रक्रिया द्वारा सरकार ने इन्हें वापिस भी ले लिया है परंतु MSP व बिजली संसोधन विधेयक 2020 व एक साल के लंबे संघर्ष के दौरान जो किसान शहीद हुए हैं उनके परिवारों को उचित मुआवजा अन्य मांगों पर अभी सरकार कुछ बोलने पर राजी नहीं है। हालांकि एक कमेटी बनाने पर बात चल रही है।

इस एक साल चले लंबे व जुझारू संघर्ष ने सरकार को कृषि कानून वापिस लेने पर मजबूर किया। किसानों के संघर्ष में व अन्य मेहनतकश जनता व न्याय प्रिय लोगों का भी समर्थन रहा है।

यूनियनों का कहना है कि तीन कृषि क़ानूनों में आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन की वजह से आवश्यक खाने पीने की चीजों की जमाखोरी बढ़ती और इसका सीधा असर मज़दूर वर्ग पर पड़ता। इसलिए ये लड़ाई संयुक्त है।

यही वहज रही है कि किसान आंदोलन में मजदूरों की भी भागीदारी बड़े पैमाने पर रही है। पंजाब की ट्रेड यूनियनें तो प्रत्यक्ष तौर पर सिंघु बॉर्डर पर बड़ी उपस्थिति के साथ मौजूद रहीं और आर्थिक सहयोग भी किया। कपूरथाला रेलवे कारखाने की यूनियन ने पहले दिन से लगातार सहयोग और समर्थन दिया है।

गुड़गांव औद्योगिक इलाके की कई एक यूनियनों ने किसान आंदोलन में आर्थिक सहायता कर किसान आंदोलन के साथ अपनी एकजुटता प्रदर्शित की है। मारुति सुजुकी की जॉइंट वेंचर कंपनी बेलसोनिका में कार्य करने वाले श्रमिकों की यूनियन ने किसान आंदोलन में लगातार सभी मोर्चों पर जाकर अपनी एकजुटता प्रदर्शित की और आर्थिक सहयोग भेंट किया।

बेलसोनिका यूनियन के दर्जनों मजदूरों ने पहली बार दिसंबर 2020 में टिकरी बॉर्डर पर पहुंच कर एकजुटता प्रदर्शित की थी। इसी तरह मारुति सुजुकी मज़दूर संघ भी सिंघु बॉर्डर पर पहुंच कर अपना समर्थन दिया था। मारुति सुजुकी कार प्लांट के नेता अजमेर यादव ने तो यहां तक कहा था कि अगर किसानों की मांगें नहीं मानी जातीं तो मारुति मज़दूर हड़ताल पर भी जाने की सोच सकते हैं।

इन स्वतंत्र ट्रेड यूनियनों के अलावा केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ भी संयुक्त किसान मोर्चा का तालमेल था और आगामी फरवरी में दो दिवसीय आम हड़ताल में मोर्चा ने पूरी तरह शामिल होने की सैद्धांतिक सहमति भी दे दी थी। इन एक सालों में कई प्रदर्शनों में किसान मोर्चे और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने तालमेल के साथ काम किया।

बेलसोनिका यूनियन के प्रधान अतुल कुमार का कहना है कि ‘किसान विरोधी कृषि कानून केवल किसान ही नहीं बल्कि मजदूर व आम जन विरोधी भी है। आवश्यक वस्तु अधिनियम मेहनतकश जनता को भुखमरी में धकेल देगा। मोदी सरकार खेती को भी इंडस्ट्री (उद्योग) में तब्दील करना चाहती है। उसने कृषि कानूनों के साथ साथ मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिताओं को भी पारित कर मजदूर वर्ग को 100 साल पीछे की अधिकारविहीनता की स्थिति में धकेलने पर उतारू है। तीन कृषि कानून व 4 लेबर कोड कॉरपोरेट के हितों के लिए बनाए गए हैं। इसलिए मजदूर व किसानों का दुश्मन भी एक है तो उनका संघर्ष भी सांझा है।’

उन्होंने बताया कि बेलसोनिका यूनियन ने दिल्ली के चार बॉर्डर पर बैठे किसान मोर्चे को अबतक एक लाख 33 हज़ार रुपये की आर्थिक मदद की है और यह किसान संघर्ष में मज़दूरों की एकजुटता को ही प्रदर्शित करता है।

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