शनिवार को मोदी सरकार और 50 किसान संगठनों के बीच पांचवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा ख़त्म हुई, हालांकि दोनों पक्षों में 9 दिसम्बर को फिर से बातचीत करने पर सहमति बनी है।
लेकिन किसान संगठनों ने 8 दिसम्बर को भारत बंद का आह्वान किया है और दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने इसे सक्रिय समर्थन देने की घोषणा की है।
ट्रेड यूनियनों की ओर से जारी एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि मज़दूर वर्ग किसानों की मांगों का समर्थन करता है।
सेंट्रल ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र सेक्टोरल फ़ेडरेशनों, एसोसिएशनों के मंच ने किसान आंदोलन को दिल से समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता को फिर दुहराया है और मनमाने तीन कृषि क़ानूनों, बिजली संशोधन बिल 2020 को तुरंत रद्द किए जाने की मांग की है।
बयान में कहा गया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को क़ानून बनाया जाए।
ट्रेड यूनियनों ने कहा है कि 27 नवंबर के बाद से ही कर्मचारियों, मज़दूरों और उनकी यूनियनों की ओर से किसान आंदोलन के पक्ष में एकजुटता प्रदर्शित करते हुए लगभग हर प्रदेश में धरना प्रदर्शन हो रहा है। जबकि कई राज्यों में प्रदर्शनकारियों को पुलिस की धमकी और गिरफ़्तारियों का सामना करना पड़ रहा है।
ट्रेड यूनियनों के मंच ने अपनी प्रतिबद्धता को फिर से दुहराते हुए इस आंदोलन को देश के कोने कोने में और जुझारू तरीक़े से ले जाने पर ज़ोर दिया है।
ये बयान इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एक्टू, एलपीएफ़, यूटीयूसी और अन्य स्वतंत्र फ़ेडरेशन और एसोसिएशनों की ओर से आया है।
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