बोनस के ऐलान के साथ रेलवे में बजा यूनियन मान्यता चुनाव का बिगुल, पांच नवंबर को प्रकाशित होगी फाइनल वोटर लिस्ट

By आशीष आनंद

भारतीय रेल में उत्पादकता बोनस मिलने की घोषणा के अगले ही दिन से चुनावी सरगर्मी शुरू हो गई। अब हर यूनियन मान्यता चुनाव में ताल ठोकने वाली यूनियनें बोनस दिलाने से लेकर छोटे मोटे कामों तक के लिए क्रेडिट लेने की होड़ में उतर चुकी हैं। साथ ही एक दूसरे की खिंचाई और लूपहोल गिनाने का प्रचार भी शुरू हो गया है।

रेलवे ने गुरुवार को कहा कि उसके गैर-राजपत्रित कर्मचारियों में से 11.58 लाख को वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 78 दिनों के वेतन के बराबर बोनस देने का निर्णय हुआ है। उत्पादकता से जुड़े बोनस का अनुमान 2,081.68 करोड़ है। रेल मंत्रालय के सभी पात्र गैर-राजपत्रित रेलवे कर्मचारियों वित्तीय वर्ष 2019-2020 के लिए बोनस मिलेगा। भुगतान के लिए निर्धारित मजदूरी गणना सीलिंग 7,000 प्रति माह है। अधिकतम देय राशि 95 दिनों के लिए 17,951 है।

बोनस का भुगतान प्रत्येक वर्ष नवरात्र से पहले होता रहा है। लेकिन इस बार जिस तरह लॉकडाउन के चलते डीए फ्रीज हो गया और समय पर बोनस की घोषणा नहीं हुई तो इस मांग के लिए प्रदर्शन शुरू हो गए। यही नहीं ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन ने 22 अक्टूबर को चक्काजाम करने का अल्टीमेटम दे दिया था। लेकिन उससे पहले ही कैबिनेट की बैठक में बोनस देने का निर्णय घोषित कर दिया गया। बताया गया कि बोनस अक्टूबर के वेतन के साथ ही कर्मचारियों को मिल जाएगा।

एआईआरएफ महामंत्री ने सोशल मीडिया पर किया चुनावी उद्घोष

रेलवे कर्मचारियों के सबसे बड़े और पुराने फेडरेशन ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा ने फेसबुक पेज के जरिए यूनियन मान्यता चुनाव में उतरने का उद्घोष किया है। इसकी पुख्ता जानकारी बतौर उन्होंने रेलवे प्रशासन की ओर से जारी ताजा गाइडलाइन की कॉपी भी सार्वजनिक की है। चुनाव संबंधी मॉडलिटीज में हुए सुधार के साथ रेल प्रशासन ने अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन की तिथि पांच नवंबर घोषित की है। संशोधन में साफ किया गया है कि तीस सितंबर तक कार्यरत या भर्ती हुए कर्मचारी को मतदाता माना जाएगा। इसमें वे भी शामिल होंगे जो भारतीय रेल से संचालित कंपनियों में कार्यरत हैं।

बोनस की मांग पर जीत के दावे पर दागे जा रहे सवाल

सोशल मीडिया पर जैसे ही बोनस पर जीत की बधाइयां शुरू हुई, मान्यता प्राप्त से लेकर गैर मान्यता प्राप्त फेडरेशन और यूनियनें क्रेडिट लेने को प्रचार में उतर गईं। एआईआरएफ ने चक्काजाम की चेतावनी के बाद बोनस मिलने का दावा किया तो तमाम कर्मचारियों ने इसे फर्जी करार दे दिया।

कुछ ने कहा कि जब सरकार इतना ही डरती है चक्काजाम से तो नई पेंशन स्कीम, निजीकरण आदि के मुद्दे पर क्यों नहीं करते। किसी ने कहा कि सरकार ने बोनस देने को मना ही नहीं किया था तो क्रेडिट क्यों लिया जा रहा है। कई कर्मचारी फेडरेशन को खास मुद्दों की ओर ध्यान दिलाने की कोशिश कर रहे हैं।

एआईआरएफ के अधिकृत फेसबुक पेज पर एक कर्मचारी ने टिप्पणी की, ‘जुलाई 2017 से हम सभी रेलवे कर्मचारी को रात्रि भत्ता नहीं देने का रेलवे बोर्ड ने पत्र जारी किया है कि जिनका मूल वेतन 43600 सेअधिक हो गया है उन्हें रात्रि भत्ता नहीं मिलेगा। हम 70 प्रतिशत रेलवे कर्मचारी इस मूल वेतन को पार कर गए हैं। इसके अलावा जुलाई 2017 एरियर भी काटने का संकेत है। आपसे निवेदन करते हैं कि हम सभी कर्मचारियों के रात्रि भत्ता का कोई सिलिंग नहीं रखा जाए।”

एक अन्य ने टिप्पणी की है,” सभी साथी जानते ही होंगे कि हमारा रेल अप्रेंटिस का मुद्दा जो एआईआरएफ के महामंत्री ने मुद्दा उठाया था और हम सबने दिन रात ट्वीट भी किया । लेकिन अब शिव गोपाल मिश्रा जी रेल अपेट्रिस के विषय की कोई जानकारी नहीं देते हैं। हम सब मिश्रा जी से जवाब चाहते हैं कि इस विषय में अब क्या कर रहे हैं।”

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