जब पूरे देश में दीपों का पर्व मनाया जा रहा है, हरियाणा से लेकर उत्तराखंड तक मज़दूर काली दिवाली मनाने पर मज़बूर हैं।
हज़ारों मज़दूर वेतन समझौते को लेकर, छंटनी तालाबंदी, लॉक आउट को लेकर धरनारत हैं।
सरकार, प्रशासन और मैनेजमेंट में उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।
डेल्टा कंपनी, रामनगर, उत्तराखंड
उत्तराखंड के रामनगर में स्थित डेल्टा, कंपैक्ट और स्मार्ट कंपनियों के निकाले गए लगभग 4,500 मजदूर रामनगर तहसील पर क्रमिक अनशन पर बैठे हैं।
छोटी दीपावली के एक दिन पहले सुनीता देवी, तुलसी चिम्बवाल, सीमा अफसाना, रोहतास, मीना देवी, रवि कुमार, रजनी, सुमन बिष्ट और दीपक पाठक अनशन पर बैठे।
सोमवार को डेल्टा-कंपैक्ट-स्मार्ट बचाओ समिति के तत्वाधान में मजदूर तहसील पर पहुंचे।
उन्होंने अनशन पर बैठे लोगों को समर्थन देते हुए कहा कि प्रशासन की अनदेखी के चलते जो रोज़गार था वो भी छिन रहा है।
ये कर्मचारी विरोध स्वरूप दिवाली के दिन स्थानीय विधायक को काले दिये ले जा कर देंगे।
एचएमटी, हल्द्वानी
उत्तराखंड के ही हल्द्वानी में एचएमटी कामगार संघ के महामंत्री मुकेश तिवारी ने बताया कि 2016 से अब तक प्रबंधन ने 146 कर्मचारी का वेतन नहीं दिया है।
दीपावली से पहले वर्करों ने कंपनी परिसर में ही धरना देना शुरू कर दिया है।
गुस्साए एचएमटी कर्मचारी सोमवार को रानी बाग में एचएमटी परिसर में ही सुबह 9:00 बजे से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए।
स्पार्क मिंडा और इंटरार्क, रुद्रपुर
इसी तरह उत्तराखंड के रुद्रपुर में इंटररार्क बिल्डिंग प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के सिडकुल पंतनगर और किच्छा के कर्मचारी आक्रोशित हैं।
कर्मचारियों ने राष्ट्रपति को दिए 6 पेज के ज्ञापन में कहा है कि कंपनी मैनेजमेंट ने 700 से अधिक कर्मचारियों के वेतन में 2 महीने से 4,000 से लेकर 6,000 रुपये तक की गैरकानूनी रूप से कटौती की है।
इसके अलावा मैनेजमेंट ने वेतन कटौती और बोनस काटने का नोटिस भी चिपका दिया है।
कई मजदूरों की गैरकानूनी तरीके से गेटबंदी भी कर दी गई है।
उत्तराखंड में अभी निकाल निकाय चुनाव हो रहे हैं और इंतजार के मजदूरों ने चुनाव बहिष्कार की धमकी दी है।
इसी तरह रुद्रपुर में स्पार्क मिंडा से निकाले गए लगभग 200 कर्मचारी काली दीपावली मनाने पर मजबूर है।
यूनियन बनाने को लेकर इन कर्मचारियों को निकाल दिया गया था। लगभग 46 दिनों तक ये श्रम कार्यालय के बाहर बैठे रहे।
रिको ऑटो, धारूहेड़ा
इसी तरह हरियाणा के धारूहेड़ा में स्थित ऑटोमोबाइल कंपोनेंट बनाने वाली कंपनी रिको ऑटो के निकाले गए 104 मजदूर भी काली दिवाली मना रहे हैं।
रिको के मजदूरों ने टि्वटर पर अपनी शिकायत लिखते हुए कहा है कि खट्टर सरकार ने मजदूरों को काली दीपावली मनाने पर मजबूर किया है।
गुड़गांव, मानेसर, धारूहेड़ा, बावल और रोहतक तक के इंडस्ट्रियल बेल्ट में तकरीबन 9 फैक्ट्रियां पिछले 2 साल में बंद हुई हैं।
इनमें तकरीबन 5000 मज़दूर बेरोज़गार हुए हैं।
इनमें वो मजदूर भी शामिल हैं जो 20-20 साल से नौकरी कर रहे थे।
यानी परमानेंट मजदूरों को भी नौकरी से निकाल दिया गया।
आईसिन, रोहतक
रोहतक में एक जापानी फैक्ट्री है आइसिन।
इसमें 600 मज़दूर निकाल दिए गए।
पिछले दो सालों से ये वर्कर कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
इसमें 12 राज्यों के श्रमिक हैं और खट्टर सरकार की ओर से उन्हें अबतक कोई मदद नहीं मिली है।
रॉकमैन और नपीनो, बावल
हरियाणा के बावल में रॉकमैन नाम की फैक्ट्री है जिसमें सैकड़ों मजदूरों को निकाल दिया गया।
गुड़गांव में नपीनो नाम की फैक्ट्री है जिसमें अचानक एक दिन लॉक आउट कर दिया गया और 350 मजदूर सड़क पर आ गए।
यही हाल मानेसर के ओमैक्स कंपनी का है जिसमें 1200 से अधिक मजदूर निकाल दिए गए।
आरजीपी, गुड़गांव
गुड़गांव के आरजीपी कंपनी का तो हाल और भी दिलचस्प है।
यहां हर 2 से 5 साल में फैक्ट्री में लॉक आउट हो जाता है और कंपनी का नाम बदलकर नई कंपनी के नाम से प्रोडक्शन जारी रखा जाता है।
यहां भी 5-5 10-10 साल से काम कर रहे मजदूरों को लॉक आउट करके निकाल दिया गया।
अब मज़दूर कंपनी गेट, श्रम कार्यालय पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और क़ानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
एलजी और मोज़रबियर, नोएडा
उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स और मोज़रबियर कंपनियों में भी मज़दूरों को या तो निकाल दिया गया या वेतन रोक दिए गए।
एलजी में पिछले साल 3 लोगों को निकाल दिया गया था। लेकिन इस साल की शुरुआत में यूनियन बन जाने के बाद किश्तों में कई लोगों को निकाल दिया गया।
15 वर्कर कंपनी से बाहर चल रहे हैं।
मोज़रबेयर में कंपनी ने नौ महीने से वर्करों को वेतन नहीं दिया है।
कंपनी ने लिक्विडेशन की आर्जी दायर कर दी। ये 2280 वर्कर दर बदर हैं।
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