दिल्लीः कोरोना में कर्मचारियों ने जान गंवाई, पर 214 में से सिर्फ 58 को मिला मुआवज़ा, RTI से हुआ खुलासा

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दो साल बीतने को हैं, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान कोविड ड्यूटी पर तैनात रहने के कारण कोरोना के कारण जन गंवाने वाले सरकारी कर्मचारियों में सिर्फ एक तिहाई के परिजनों को ही मुआवज़ा मिल सका है।

मुआवजा देने वाली योजना की घोषणा के ढाई साल बीत चुके हैं। योजना के तहत दिल्ली सरकार ने मृतकों के परिजनों को एक करोड़ रुपये की राहत राशि देने का एलान किया था।

इस योजना के प्रति आवेदन करने वाले 214  परिवारों में से 156 परिवारों को अभी तक दिल्ली सरकार की ओर से मंजूरी तक नहीं मिली है।

इस संबंध में ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन कर के दिल्ली सरकार से इसका जवाब मांगा था।

गौरतलब है कि 13 मई, 2020 को दिल्ली मंत्रिमंडल ने इस बात का फैसला लिया था कि यदि कोई भी व्यक्ति, “डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, सुरक्षा / स्वच्छता कर्मचारी या पुलिस अधिकारी कोई अन्य सरकारी अधिकारी दिल्ली सरकार द्वारा कोविड ड्यूटी पर काम के दौरान कोरोना कि चपेट में आने से मर जाता है तो उसके परिवार वालों को एक करोड़ का मुआवज़ा दिया जायेगा।”

इस योजना के तहत अस्थाई / स्थाई दोनों तरह के कर्मचारियों को शामिल किया गया था।

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दो तिहाई आवेदन फ़ाइलों में दबे

RTI के जवाब में दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग के तहत राहत शाखा ने कहा कि 29 दिसंबर 2022 तक मुआवजे के कुल 214 दावे उन व्यक्तियों से प्राप्त हुए थे, जो दिल्ली सरकार द्वारा कोविड प्रबंधन से संबंधित कामों में तैनात किए गए कर्मचारी के परिजन थे।

दिल्ली सरकर ने जवाब में कहा कि इनमें से 30 आवेदकों को मुआवजे की राशि का भुगतान किया जा चुका है और 28 आवेदनकर्ताओं को मंजूरी दी गई।

जिसका मतलब है कि कुल 214 आवेदकों में से 73 फीसदी मुआवजे के लिए 156 आवेदनों को मंजूरी दी जानी बाकी है।

वही, जब द इंडियन एक्सप्रेस कि टीम ने जब दिल्ली सरकार के अधिकारियों से संपर्क किया गया, तो उन्होंने बताया कि पिछले साल के अंत में यह मसला दिल्ली उच्च न्यायालय में पहुंचा, तब मुआवजे के वितरण की प्रक्रिया में तेजी आई थी।

बुधवार, 18 जनवरी को एक सरकारी बयान में कहा गया कि कुल 73 आवेदन – कुल आवेदनों का 34 प्रतिशत अब तक अनुग्रह मुआवजे के लिए स्वीकृत किए गए हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि मुआवजे का दावा करने के लिए जरूरी दस्तावेज़ों के वेरिफिकेशन में समय लगने के कारण बाकि बचे आवेदकों को मुआवजे का भुगतान नहीं किया जा सका है।

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जब मामला हाईकोर्ट पहुंचा, तब जागी सरकार

दरअसल, मुआवजा देने वाली योजना के तहत आवेदन करने वाले परिवारों के पास पोस्टमार्टम रिपोर्ट, चिकित्सा अधीक्षक/अस्पताल/चिकित्सा संस्थान के प्रभारी की रिपोर्ट, वास्तविक लाभार्थी के बारे में जानकारी, एक रद्द चेक, पूर्ण खाता विवरण और आधार कार्ड की एक प्रति शामिल हैं।

इसके अलावा दिसंबर 2022 में इस मामले में जब तूल पकड़ा जब 2020 में लॉकडाउन लागू करने के दौरान कोविड-19 से मरने वाले पहले दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी की पत्नी ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। जिसके बाद दिल्ली सरकार ने 13 जनवरी को 14 और दावों को मंजूरी दे दी।

वहीं बीते बुधवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत और पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कोविड ड्यूटी के दौरान मरने वाले स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी, दिल्ली परिवहन निगम के एक कंडक्टर और एक सरकारी स्कूल के शिक्षक के परिवार वालों से मुलाकात की और उनको मुआवजे की राशि का भुगतान किया।

गौरतलब है कि देशभर के लिए महामारी का दौर बहुत डरावना रहा। इस दौरान कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी। कई राज्य सरकारों ने ड्यूटी के दौरान मरने वाले कर्मचारियों के परिवारवालों को मुआवजा देने की घोषणा की थी।

लेकिन अभी तक सभी को मुआवज़े का भुगतान नहीं किया गया है।

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