गुड़गांव: कमला नेहरू पार्क में माकपा ने जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आयोजित की सभा

मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों और लगातार बढ़ती महंगाई के बीच मज़दूरों की बिगड़ती स्थिति के विरोध में शनिवार को माकपा ने कमला नेहरू पार्क, गुड़गांव में एक रैली कर जनविरोधी सभा का आयोजन किया।

यह सभा सीपीआई (एम) के नेतृत्व में खाद्य कीमतों में वृद्धि, जन स्वास्थ्य के बिगड़ते बुनियादी ढांचे, सार्वजनिक शिक्षा पर हमले और निजीकरण जैसे विभिन्न मुद्दों के खिलाफ मज़दूरों की आवाज उठाने के लिए हुई। इस जन रैली में गुड़गांव, फरीदाबाद, रेवाड़ी, पलवल और नूंह से सैकड़ों मज़दूरों ने भाग लिया।

ये भी पढ़ें-

सीटू नेता और माकपा गुड़गांव सचिव एसएल प्रजापति के नेतृत्व में रैली की अध्यक्षता सीटू पलवल के कामरेड धर्मचंद, गुड़गांव की नेता उषा सरोहा और सीटू फरीदाबाद के सदस्य शिव प्रसाद ने की। पहले यह रैली 25 सितंबर को होने वाली थे लेकिन भारी बारिश के कारण रैली को 9 अक्टूबर को आयोजित किया गया। लेकिन सभा के दौरन खराब मौसम और भारी बारिश होने के बावजूद भी रैली में सैकड़ों मज़दूरों ने अपना योगदान दिया।

‘एकजुट होकर लड़ने की जरूरत’

हरियाणा सीटू के नेता सतबीर सिंह मज़दूरों से कहा कि मोदी सरकार द्वारा मजदूरों के अधिकारों पर किए जा रहे हमलों को समझने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने 2024 के आम चुनाव में भाजपा सरकार के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की जरुरत है।

फरीदाबाद में सीटू के सचिव शिव प्रसाद ने कहा कि फरीदाबाद के औद्योगिक क्षेत्रों में तालाबंदी की बढ़ती आवृत्ति पर चर्चा होनी चाहिए साथ ही मज़दूरों के अधिकारों पर हो रहे लगातार हमलों के खिलाफ नए और तीव्र संघर्षों को जारी करने की आवश्यकता है।

रैली में शामिल कॉमरेड सविता का कहना है कि देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। उन्होंने मज़दूरों को बताया कि भारत की 75 वीं स्वतंत्रता दिवस पर सरकार बिलकिस बानो के बलात्कारियों को रिहा करके देश में दोषियों का हौसला बढ़ाया है। उसी दिन मोदी ने महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा पर बहुचर्चित भाषण दिया था।

भाजपा सरकार की महिला विरोधी नीतियों पर झज्जर के मिड डे मील यून्यन सेक्रेटेरी सरोज ने और जोर दिया। उन्होंने बेहतर वेतन के लिए मिड डे मील मज़दूरों के लंबे और कठिन संघर्ष पर भी चर्चा की। उनके संघर्ष के कुछ अधिनायक अभी भी सरकार द्वारा उन पर थोपे गए मुकदमों से लड़ रहे हैं।

रैली में शामिल हुई पोलित ब्यूरो की सदस्य और पूर्व सांसद सुभाषिनी अली ने मज़दूरों को जनता नौकरियों, बढ़ती हुई महंगाई और राशन की आपूर्ति के बारे में जानना जरुरी मुद्दा हैं। उनका आरोप है को मोदी सरकार ‘मस्जिद में नए खोजे गए शिवलिंग’ जैसे फिजूल मुद्दों को हवा देकर जनता के असली मुद्दों से ध्यान हटाना चाहती है ताकि उन्हें जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न पूछने से रोका जा सके।

किसान आंदोलन से लेनी चाहिए प्रेरणा

उन्होंने कहा कि कैसे अतीत में सरकार “हम दो, हमारे दो” की नीति का पालन करती थी और वर्तमान सरकार “वो दो उनके दो” के आधार पर कैसे काम करती है। यानी अमित शाह और मोदी , अंबानी और अडानी के हितों के लिए काम करते हैं। उन्होंने यह भी कहा जनसंघर्षों को किसान आंदोलन से प्रेरणा लेनी चाहिए, जो एक साल तक जारी रहा और मोदी सरकार को कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया।

chakka jam kisan morcha

 

हालांकि इस आंदोलन को भी जाति, सांप्रदायिकता और लिंग के आधार पर तोड़ने की कोशिश की गई। बिलकिस बानो के अपराधियों की रिहाई कानूनसम्मत नहीं है। सजा अब अपराध के आधार पर नहीं बल्कि अपराधी और पीड़ित की जाति के आधार पर दी जाती है।

सभा में शामिल मज़दूर नेताओं का आरोप है कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण जारी रखे हुए है, और शिक्षा के निजीकरण ने मजदूर वर्ग को नुकसान पहुंचाया है। राज्य सरकार प्राथमिक स्तर पर सरकारी स्कूलों को बंद कर रही है, जबकि महंगे निजी स्कूलों को बढ़ावा दे रही है।

केरल में गरीबों के हित में नीति लागू

उनका कहना है कि इसकी तुलना में, केरल की कम्युनिस्ट सरकार के इरादे साफ हैं। उन्होनें गरीबों के हित की नीतियों को लागू किया है। भाजपा सरकार ने जहां आवश्यक खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी लगाई है, वहीं केरल की राज्य सरकार ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया है। सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा को बढ़ावा देना वाम मोर्चा सरकार की गरीब समर्थक नीतियों को दर्शाता है।

CPIM हरियाणा के राज्य सचिव सुरेंद्र सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार जनविरोधी नीतियां लागू कर रही है। चाहे कृषि कानून हों, श्रम कानून हों या निजी लाभ के लिए व्यवसायियों को सार्वजनिक संपत्ति बेचकर कंपनी राज बढ़ावा देना हो। उन्होंने कहा कि सत्ता की ग़लत नीतियों के खिलाफ बोलने वाले बुद्धिजीवियों को जेलों में डाला जा रहा है और जनादेश की अवहेलना कर राजनेताओं को खरीदा और बेचा जा रहा है।

ये भी पढ़ें-

कार्यकर्म के अंत में कॉमरेड अली को आदिवासी महिला प्रभा एक्का के परिवार ने ज्ञापन सौंपा, जिनकी 1 सितंबर को गुड़गांव में बलात्कार के बाद बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। जनवादी महिला समिति व आदिवासी मंच के साथ मिलकर उनके परिवार ने उन्हें न्याय दिलाने के लिए कई बार कैंडल मार्च निकाले हैं।

सभा की अध्यक्षा कॉमरेड उषा सरोहा ने अपने ओजस्वी भाषण के साथ रैली का समापन किया, उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की विभाजनकारी राजनीति व फुटपरस्त नीतियों के खिलाफ लड़ाई जारी रखने का आग्रह किया।

वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें

(वर्कर्स यूनिटी के फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर सकते हैं। टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.