सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की कीमत पर निजी अस्पातालों का धंधा बढ़ाते पीएम मोदी

फरीदाबाद ने बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा एक निजी अस्पताल अमृता अस्पताल का उद्घाटन किया गया। कहा जा रहा है कि यह एशिया का सबसे बड़ा प्राइवेट अस्पताल है।

केरल की आध्यात्मिक नेता माता अमृतानंदमयी देवी ने इसे स्थापित किया जिन्हें अम्मा के नाम से जाना जाता है।

यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के बाहरी इलाके फरीदाबाद में 130 एकड़ में बना है।

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अब तक इसमें कुल 4,000 करोड़ रुपये खर्च क‍िये जा चुके हैं। यह 2,600 बिस्तरों वाला अस्पताल है और भी बहुत कुछ अस्पताल के बारे में कहा जा रहा है। कहा जा रहा है कि अब तो गरीबों को मुफ्त इलाज मिलेगा।

क्या ऐसा होगा?

निजी अस्पतालों का उद्घाटन साफ तौर पर यह जाहिर करता है कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में भी निजीकरण को बढ़ावा दे रही है!  एक तरफ सरकारी अस्पतालों को बजट कम कर बर्बाद करने में लगी है।

दूसरी ओर सरकार प्राइवेट अस्पताल खोलने की पूरी छूट दे रही है। प्रधानमंत्री स्वयं इसके प्रचार काम कर रहे है।

गौरतलब है कि कोरोना महामारी को कोई कैसे भूल सकता है जब दवाईयां, अस्पतालों में बेड न मिलने से 45 लाख लोगों की जान चली गई।

उस समय सरकारी अस्पतालों की अपर्याप्ता पर बहुत चर्चा हुई। स्वास्थ्य सेवाओं पर बजट खर्च करने की बातें हुई। दूसरी तरफ निजी अस्पताल पहले तो आम तौर पर बन्द रहे और बाद में खूब लूट मचाई।

फरीदाबाद में जिला अस्पताल की हालत जर्जर

आप को बता दें कि फरीदाबाद शहर में 20 लाख आबादी रहती है। जहां केवल एक जिला अस्पताल है जिसकी हालात बहुत ही खराब है। जांच के उपकरण तक नहीं हैं। डाक्टर, स्टाफ व दवाईओं की भारी कमी है। लाखों आबादी वाले शहर में गरीबों के लिए एकमात्र अस्पताल है जहां हजारों गरीब लोग धक्के खाते रहते हैं।

इन 8 सालों में एक भी सरकारी अस्पताल व डिस्पेंसरियां नहीं खुलीं उल्टे कई डिस्पेंसरियां बंद हो चुकी हैं। लगातार डाक्टरों व स्टाफों की संख्या बढ़ाने के लिए मांग उठती रहती है।

फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों के पैसे चलने वाले दो बड़े ईएसआई अस्पताल हैं, जो एक बड़े अस्पताल सैक्टर – 8 हरियाणा राज्य के अधीन हैं जिसकी बिल्डिंग जर्जर हालत में है दवाईयां नहीं है।

डाक्टर-स्टाफों की भारी कमी है। राज्य सरकार ईएसआई के लिए लगातार बजट कम करती जा रही है।

प्रधानमंत्री का आना गरीब लोगों के लिए बनी शामत

अब सोचने वाली बात यह है कि जब फरीदाबाद में उद्घाटन के लिए जब सारी तैयारियाँ चल रही थीं, तो आस-पास के इलाकों के गरीब-झोंपड़ी उजाड़ दिया गया। रेहड़ी-पटरी वालों को एक हफ्ते से भगा दिया है। 5 किमी. के दाँए-बाँए बसे कालोनियों के रास्ते बंद कर दिये गये।

पूरे इलाके में पुलिस की छावनी बना दी। बस्तियों में घूम-घूम कर गरीब मजदूरों की तलाशी ली गई है व आइडी जमा करने के लिए कहा गया। भवन निर्माण के कामों को रोक दिया गया।

जनता के हकों की आवाज उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं के ऊपर का पहरा लगा दिया गया। उनको बुलाकर पूछताछ की गई। कहीं आप प्रधानमंत्री के खिलाफत करने की योजना तो नहीं बना रहे हो आदि।

किसी जमाने में कोई नेता-मंत्री आते थे, तो आस-पास की जनता स्वागत के लिए उसके अंदर खुशी होती थी। लेकिन अब तो कोई मंत्री-प्रधानमंत्री का आना गरीब लोगों के लिए शामत है!

सरकारी अस्पताल खोलकर हर व्यक्ति को बेहतर स्वास्थ्य देने के विपरीत निजी अस्पताल का प्रधानमंत्री द्वारा उद्धघाटन बेहद शर्मनाक है। यह निजी अस्पताल के प्रचार के अलावा कुछ नहींं। यह गरीबों के खिलाफ सरकार की घोषणा है कि वह उसे बीमार मरने देगी और दौलत कमाने के लिए निजी अस्पताल ही खोलेगी।

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