मुंडका में दर्दनाक हादसा, सीवर की सफाई के लिए उतरे दो मजदूरों की दम घुटने से मौत

worker death

आउटर दिल्ली के मुंडका स्थित एक अपार्टमेंट में सीवर सफाई के लिए उतरे एक ठेका सफाई मज़दूर और सिक्योरिटी गार्ड की मौत का दर्दनाक मामला सामने आया है।

हादसे के वक्त दोनों मज़दूरों ने सुरक्षा के कोई उपकरण नहीं पहने हुए थे और न ही उनको सोसायटी द्वारा व विभाग वालों ने कोई उपकरण दिये गए थे।

सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची दिल्ली पुलिस दोनों को अस्पताल ले गई जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद दोनों को मृत घोषित कर दिया।

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बचाव के लिए उतरे गार्ड की भी मौत

हरियाणा झज्जर के रहने वाले अशोक कुमार (30) डीडीए में सिक्योरिटी गार्ड तौर पर काम करते थे और बक्करवाला जेजे कॉलोनी निवासी रोहित (32) एक ठेका सफाई मज़दूर के तौर पर काम करते थे।

इंडियन एक्स्प्रेस से मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस का कहना है कि शुक्रवार को सोसाइटी का सीवर सफाई का काम चल रहा था। स्थानीय लोगों के बार बार दबाव के बाद रोहित सीवर के अंदर जा कर सफाई के लिए राजी हो गए। सीवर में जहरीली गैस होने के कारण वो अंदर ही बेहोश हो गए।

तभी पास खड़े सिक्योरिटी गार्ड अशोक कुमार देखा कि काफी समय बीतने के बाद जब रोहित सीवर से बाहर नहीं आये तो रोहित को बचने के लिए सिक्योरिटी गार्ड अशोक भी सीवर में उतरे और वह भी बेहोश हो गए।

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खोदकर शवों को निकाला बाहर

स्थानीय लोगो ने दोनों को बहार निकाले के काफी कोशिश की। लेकिन दोनों सीवर की गहराई में थे। जिसके बाद लोगो ने घटना की जानकारी नज़दीकी थाने में दी।

स्थानीय पुलिस का मामले की सूचना फायर ब्रिगेड को दी। जिसके बाद सीवर के आसपास की जगह को खोदकर अंदर फंसे रोहित और अशोक को निकाला गया। उन्हें तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

गौरतलब है कि 2010 में आये राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग द्वारा लगाए गए प्रतिबन्ध के बाद भी सफाई मज़दूरों को सीवेज में उतने के लिए मज़बूर किया जाता है।

सफाईकर्मी अपनी जान हथेली पर लेकर सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करने उतरते हैं और आय दिन इस दौरान उनकी मौत की घटनाएं सामने आती रहती हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 5 सालों में भारत में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 347 लोगों की मौत हुई है, जिसमें 40 फीसदी मौतें उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली में हुई हैं।

लोकसभा में 19 जुलाई को एक सवाल के जवाब में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री, वीरेंद्र कुमार ने कहा कि 2017 में 92, 2018 में 67, 2019 में 116, 2020 में 19, 2021 में 36 और 2022 में अब तक 17 सफाईकर्मियों की मौतें सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान दर्ज की गई है।

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