
भावी पीढ़ियों के नाम- बर्तोल्त ब्रेख्त की कविता
सचमुच कितना अन्धेरा समय है जिसमें जी रहा हूं मैं! निष्कपटता अब एक अर्थहीन शब्द भर है। एक सौम्य माथा परिचायक है हृदय की कठोरता का। वह जो हंस पा …
भावी पीढ़ियों के नाम- बर्तोल्त ब्रेख्त की कविता पूरा पढ़ेंWorkers Unity Website
सचमुच कितना अन्धेरा समय है जिसमें जी रहा हूं मैं! निष्कपटता अब एक अर्थहीन शब्द भर है। एक सौम्य माथा परिचायक है हृदय की कठोरता का। वह जो हंस पा …
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