किसान संसद मार्च स्थगित, बाकी 6 मांगों पर बातचीत के लिए तुरंत वार्ता बुलाने की अपील

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शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में 29 नवंबर को संसद मार्च की योजना को टाल दिया गया है। साथ ही संयुक्त मोर्चा ने बाकी छह मुद्दों को हल करने के लिए बातचीत का आह्वान किया है।

मोर्चा ने द्विपक्षीय चर्चाओं को दरकिनार करने और महत्वपूर्ण मुद्दों को अनसुना करने के सरकार के प्रयासों की निंदा की। एसकेएम ने कहा, “लोकतंत्र में, यह चुनी हुई सरकार का कर्तव्य है कि वह विरोध करने वाले किसानों से परामर्श करे और विवादों को सौहार्दपूर्ण तरीके से हल करे”।

तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के बारे में प्रधानमंत्री की घोषणा, और कैबिनेट की मंजूरी के बाद, मोर्चा ने संसद के लिए ट्रैक्टर मार्च को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उठाये गए छह मांगों को दोहराया है।

इनमें C2 + 50% फॉर्मूला के आधार पर सभी उत्पादों के लिए MSP की कानूनी गारंटी, बिजली संशोधन विधेयक, 2020/2021 के मसौदे को वापस लेना, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम 2021 में किसानों पर भारी ज़ुर्माने वाले प्रावधानों को हटाना, आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ झूठे मामलों की वापसी, राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी और बर्खास्तगी, किसान आंदोलन के शहीदों के परिवारों को मुआवजा एवं पुनर्वास तथा उनकी स्मृति में सिंघू मोर्चा पर स्मारक निर्माण के लिए भूमि आवंटन का मुद्दा अहम है।

एसकेएम ने मांग की है कि सरकार इन लंबित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बिना किसी देरी के वार्ता प्रक्रिया को फिर से शुरू करे। चार दिसंबर को होने वाली एसकेएम की अगली बैठक में, मोर्चा संसद की कार्यवाही समेत आगे के घटनाक्रमों का संज्ञान लेगा, और आगे की कार्रवाई पर निर्णय लेगा।

उधर आज मुंबई के आजाद मैदान में विशाल किसान-मजदूर महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है। संयुक्त शेतकारी कामगार मोर्चा (एसएसकेएम) के बैनर तले 100 से अधिक संगठनों द्वारा आयोजित कार्यक्रम को एसकेएम के कई प्रमुख नेता संबोधित कर रहे हैं।

महापंचायत में पूरे महाराष्ट्र के किसानों और श्रमिकों की भारी भागीदारी हो रही है और इसमें चार लेबर कोड को वापस लेने की भी मांग रखी गई है।

28 नवंबर को महान समाज-सुधारक महात्मा ज्योतिराव फुले की पुण्यतिथि भी है। यह महापंचायत एक महीने से अधिक लम्बे कार्यक्रमों की परिणति है जो 27 अक्टूबर को पुणे में महात्मा फुले के जन्म स्थान से शहीद कलश यात्रा को हरी झंडी दिखाने के साथ शुरू हुई थी।

शहीद कलश यात्रा को महाराष्ट्र के हर जिले में ले जाया गया, और लखीमपुर खीरी हत्याकांड में न्याय की मांग करते हुए, किसान आंदोलन के संदेश को आम लोगों के बीच फैलाया गया। ये सभी यात्राएं मुंबई पहुंच गई हैं और शिवाजी पार्क में छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा, चैत्य भूमि में डॉ बीआर अंबेडकर के स्मारक, शहीद बाबू जेनू के स्मारक, जिन्हें 1930 में मुंबई में एक ब्रिटिश संचालित ट्रक द्वारा कुचल दिया गया था जब वे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश कपड़े का विरोध कर रहे थे, और मंत्रालय के पास महात्मा गांधी की प्रतिमा, पर श्रद्धांजलि अर्पित की गईं।

इस बीच, खाद्य अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक, माइकल फाखरी ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के भारत सरकार के फैसले का स्वागत किया और सरकार से किसान आंदोलन के हताहतों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

12 नवंबर, 2021 को, फाखरी ने तीन कृषि कानूनों के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करते हुए भारत सरकार को एक पत्र लिखा था, यह कहते हुए कि, “ये कानून भारत के किसानों, विशेष रूप से महिलाओं और जो देश में बहुसंख्य छोटे किसान हैं, के भोजन के अधिकार में, और सभी परस्पर संबंधित मानवाधिकारों में, हस्तक्षेप कर सकते हैं”।

कल किसान आंदोलन के समर्थन में आयोजित कार्यक्रमों के बारे में भारत के विभिन्न राज्यों और विभिन्न देशों से और खबरें आ रही हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और असम के कई जिलों में विरोध कार्यक्रम आयोजित किए गए। तमिलनाडु में खराब मौसम और भारी बारिश के बावजूद चेन्नई और डिंडीगुल समेत कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए।

ब्रिटेन में, भारतीय उच्चायोग के सामने विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए, अमेरिका में, ब्रिटिश कोलंबिया में एक “स्लीप आउट” कार्यक्रम आयोजित किया गया, जबकि इटली और फ्रांस में एकजुटता कार्यक्रम आयोजित किए गए। भारत का किसान आंदोलन, सही मायने में, एक वैश्विक और ऐतिहासिक घटना बन गया है, और दुनिया भर में जन-आंदोलनों के लिए आशा की किरण बन गया है।

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