एसकेएम: कृषि को विश्व व्यापार संगठन से बाहर रखें या भारत विश्व व्यापार संगठन से बाहर आये

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एसकेएम द्वारा 26 फरवरी 2024 को ‘डब्ल्यूटीओ छोड़ो’ दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया गया है. कृषि को डब्ल्यूटीओ से बाहर रखने की मांग करते हुए राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों पर दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक बिना यातायात बाधा के ट्रैक्टर प्रदर्शन किया जायेगा.

एसकेएम का मानना है कि डब्ल्यूटीओ को एमएसपी, सरकारी खरीद, पीडीएस जैसे सब्सिडी वाले खाद्य कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लागू करने से सरकार को रोकना चाहिए.

इसके साथ ही एसकेएम ने यह भी मांग रखी कि सरकार को घरेलू उत्पादकों की सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए व्यापार प्रतिबंधों का उपयोग करने के अपने अधिकारों की दृढ़ता से रक्षा करनी चाहिए. भारत सरकार को 2034 के अंत तक कृषि को समर्थन देने के लिए सदस्य देशों की पात्रता में 50% कटौती के प्रस्ताव का विरोध भी करना चाहिए.

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने अपनी प्रेस रिलीज जारी करते हुए मोदी सरकार से मांग की है कि ” 26-29 फरवरी को अबू धाबी में होने वाले विश्व व्यापार संगठन के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में कृषि को डब्ल्यूटीओ से बाहर रखने के लिए विकसित देशों पर दबाव डाला जाए. भारत की खाद्य सुरक्षा और मूल्य समर्थन कार्यक्रम डब्ल्यूटीओ में बार-बार विवाद का विषय रहा हैं. प्रमुख कृषि निर्यातक देशों ने 2034 के अंत तक कृषि को समर्थन देने के लिए डब्ल्यूटीओ सदस्यों के अधिकारों में वैश्विक स्तर पर 50% की कटौती का प्रस्ताव दिया है”.

एसकेएम ने बताया ‘ सार्वजनिक स्टॉक-होल्डिंग का मुद्दा भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण है, खासकर एमएसपी को सी-2+50% स्तर पर तय करने और सभी किसानों के लिए एमएसपी की वैधानिक गारंटी के लिए किसानों और , मजदूरों के चल रहे देशव्यापी संघर्ष इस परिपेक्ष्य में बेहद महत्वपूर्ण हैं’.

वास्तव में भारत में 90% किसान ए-2+एफएल+50% पर आधारित एमएसपी की वर्तमान प्रणाली के दायरे से भी बाहर हैं और गंभीर कृषि संकट और ऋणग्रस्तता का सामना कर रहे हैं.

एसकेएम के अनुसार ” मोदी शासन के दस वर्षों के दौरान बढ़ती बेरोजगारी, गरीबी और गांवों से शहरों की ओर प्रवास ने ग्रामीण इलाकों में संकट और अनिश्चितता की स्थिति पैदा कर दी है. भारत सरकार को अपने किसानों की सुरक्षा और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने अधिकारों की दृढ़ता से रक्षा करनी चाहिए. इनके रास्ते में किसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था या समझौते को बाधा बनने की इजाजत नहीं दी जा सकती”.

भारत सरकार को अपवाद के रूप में वर्ष 2014 में 5 वर्षों के लिए एक छूट दी गई थी, जिससे उसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली को नकद हस्तांतरण में परिवर्तित न करने की अनुमति मिल गई थी.

पीडीएस के लिए भारत के खाद्य भंडारण कार्यक्रम को अस्थायी रूप से विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों द्वारा चुनौती से छूट दी गई है.

एसकेएम का मानना है कि ‘ इस डब्ल्यूटीओ मीटिंग के बाद इसके उलटे जाने की संभावना है और यदि ऐसा होता है, तो भारत को डब्ल्यूटीओ के नियमों को अपने खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों और कृषि उत्पादन में हस्तक्षेप करने से रोकने के लिए विश्व व्यापार संगठन को छोड़कर उससे बाहर आने की जरूरत है’.

किसान नेताओं का कहना है कि ‘ भारत सरकार को इन मुद्दों के स्थायी समाधान के लिए सामूहिक रूप से लड़ने के लिए दूसरे कम विकसित देशों के साथ मिलकर समर्थन जुटाना चाहिए.ताकि विकासशील देशों को न केवल अपने मौजूदा कार्यक्रमों को बनाए रखने की अनुमति दी जाए, बल्कि उन्हें बड़े पैमाने पर अपने किसानों और लोगों की व्यापक रूप से मदद करने के लिए उन्हें मजबूत करने की अनुमति भी दी जाए’.

किसान संगठनों ने बताया कि ‘ वर्तमान में चल रहे देशव्यापी संघर्ष के हिस्से के रूप में पूरे भारत के किसान 26 फरवरी 2024 को ‘डब्ल्यूटीओ छोड़ो दिवस’ मनाएंगे और दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक राष्ट्रीय और राज्य मार्गों पर यातायात में बाधा डाले बिना ट्रैक्टर रखेंगे. यह संघर्ष मोदी सरकार से किसानों के संघर्ष पर राज्य के दमन को रोकने और 9 दिसंबर 2021 को एसकेएम के साथ हस्ताक्षरित समझौते को लागू करने की मांग के लिए भी है, जिसमें सभी फसलों के लिए एमएसपी@सी2+50% के साथ कानूनी गारंटी वाली खरीद और व्यापक ऋण माफी शामिल है’.

एसकेएम ने बताया ‘कृषि पर समझौते (एओए) पर बातचीत के बाद से कृषि वस्तुओं की वैश्विक कीमतें तेजी से बढ़ी हैं. 2021-23 में, एफएओ खाद्य मूल्य सूचकांक, समर्थन के स्तर की गणना के लिए एओए में उपयोग किए जाने वाले संदर्भ वर्ष 1986-88 की कीमतों से 2.54 गुना अधिक था. यह देखते हुए कि वर्तमान वैश्विक मूल्य स्तर संदर्भ कीमतों से बहुत अधिक है, वर्तमान विश्व बाजार कीमतों पर प्रदान किए गए किसी भी मूल्य समर्थन के परिणामस्वरूप वर्तमान डब्ल्यूटीओ नियमों के तहत प्रतिबंधों का उल्लंघन होता है’.

‘इसे देखते हुए भारत की राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा प्रणाली जिसमें एमएसपी और सार्वजनिक खरीद की प्रणाली और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के माध्यम से अनाज का वितरण शामिल है. डब्ल्यूटीओ में बार-बार विवाद का विषय रही है.

एसकेएम का कहना है कि ‘विकसित और प्रमुख निर्यातक देशों ने कृषि के लिए सार्वजनिक समर्थन के स्तर में और कटौती के प्रस्ताव दिए हैं. ऐसे प्रस्ताव भी हैं कि भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं को न्यूनतम सीमा से अधिक ‘व्यापार-विकृत’ समर्थन को खत्म करना चाहिए. ऐसे प्रस्तावों को भारत और दूसरे अल्प-विकसित देशों द्वारा दृढ़ता से अस्वीकार किया जाना चाहिए. जैसा कि कुछ विकसित देशों द्वारा मांग की जा रही है, भारत को टैरिफ में कमी के माध्यम से निर्यातकों के लिए बाजार तक पहुंच बढ़ाने के प्रस्तावों का भी दृढ़ता से विरोध करना चाहिए’.

( एसकेएम के प्रेस रिलीज से साभार)

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