पंजाबः घी की फैक्ट्री लगाने का वादा कर लगा दी शराब की फैक्ट्री, 40 गांव प्रदूषण की महामारी की चपेट में

पंजाब के फ़िरोज़पुर जिले के मंसूरवाल कलां गांव में एक शराब फ़ैक्ट्री से पैदा होने वाली भंयकर बीमारियों के चलते छह महीने से आंदोलन चल रहा है। मंगलवार को फ़ैक्ट्री के सामने हज़ारों की तादात में इकट्ठे इकट्ठे किसानों पर पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया।

इस लाठीचार्ज का वीडियो वायरल हो रहा है और पंजाब में आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की चौतरफा आलोचना हो रही है।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब यहं फ़ैक्ट्री लगाई जा रही थी तो कहा गया कि घी बनाया जाएगा, लेकिन असल में शराब की थी। 2006 में लगी इस फैक्ट्री का 40 गांव के लोगों द्वारा विरोध किया जा रहा है।

तहसील जीरा के लोगों के अलावा कई किसान संगठनों के कार्यकर्ता भी इसका विरोध कर रहे हैं। संगठनों की मांग है कि शराब फैक्ट्री को तत्काल बंद किया जाना चाहिए।

इलाके में शराब की फैक्ट्री होने के कारण गांव के लोग गन्दा पानी पीने को मज़बूर हैं। जिसके कारण ग्रामीणों को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। जिसमें पीलिया, कैंसर,चमड़ी उतने की और लीवर सम्बन्धी रोग हैं।

इन बीमारियों के कारण कई लोगों की मौतें भी हो चुकी हैं। गांव वालों का कहना है कि शराब की फैक्ट्री लगाने से पहले ऐसे किसी भी बीमारी ने गांव में दस्तक नहीं दिया था।

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महीनों से गांव वालों के विरोध और बढ़ते दबाव के बीच पंजाब विधानसभा में भी इस पर सवाल किये गए।

अमृतसर लोकसभा क्षेत्र से सांसद गुरजीत सिंह औजला का कहना है कि शराब फैक्ट्री हटाने का मामला अब संसद तक पहुंच गया है। सांसद ने मांग की थी कि शराब फैक्ट्री के मामले में संसद में एक कमिटी का गठन किया जाना चाहिए।

कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने धरने पर बैठे लोगों को इस बात की जानकारी दी कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने पांच कमेटियां बनाई हैं। इन पांच कमेटियों में किसान और 40 गावं की पंचायतें अपने सदस्यों का नाम भी दे सकती हैं ।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल NGT ने इस मामले में पंजाब के मुख्य सचिव से भी जवाब मांगा है और एनजीटी कोर्ट 2 महीने के भीतर इस पर सुनवाई करेगा।

बोरिंग से निकलने लगा है काला पानी

दरअसल, इस फैक्ट्री का विरोध तब शुरू हुआ जब बीते 6 महीने पहले पास के गांव मियांवाला में बोरिंग करते समय जमीन से काले रंग का पानी निकला। स्थानीय लोगों का कहना है कि बोर से निकलने वाले काले पानी से कच्ची शराब जैसी गंध आ रही थी। जिसकी जानकारी तत्काल ही प्रशासन को दी गई।

लेकिन जब प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो 40 गांव के लोगों के लोगों ने धरना देने शुरू कर दिया। बीते 6 जुलाई से सैकड़ों लोग फैक्ट्री को बंद करने की मांग कर रहे हैं।

इस संबंध में क्षेत्र के 40 गांवों की पंचायतों ने पंजाब के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर बताया कि शराब फैक्ट्री के कारण जमीन का पानी गन्दा हो रहा है। इस मुद्दे पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जमीन से निकलने वाले पानी और मिट्टी के खराब होने के मुद्दे पर पंजाब के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा था।

वहीं शराब फैक्ट्री प्रबंधन हड़ताल के खिलाफ पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट गए थे। जिसके बाद कोर्ट ने पंजाब सरकार पर करीब 15 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।

इस मुद्दे को लेकर बीबीसी पंजाबी से राज्य के कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा, “हम इस मामले की भी जांच करेंगे कि वे कौन लोग थे जिन्होंने कारखाना लगाते समय स्थानीय लोगों की राय लेना जरूरी नहीं समझा। उनका कहना है कि इस संबंध में जो भी दोषी पाया जाएगा उसे किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।”

घी की फ़ैक्ट्री लगाने की अनुमति थी

दरअसल, 2006 में जीरा के पास के गांव मंसूरवाल कलां में घी की फैक्ट्री लगाने के लिए की अनुमति ली गयी थी। लेकिन वहां घी की फैक्ट्री की जगह शराब की फैक्ट्री लगा दी गयी।

संबंधित विभाग का कहना है कि फैक्ट्री लगाने की अनुमति लोगों की सहमति और मानदंडों को पूरा करने के बाद ही दी गई थी।

पूरे इलाके में गंदे पानी और दूषित हवा के कारण लोगो का जीना मुश्किल हो गया है। इतना ही नहीं पालतू पशुओं पर भी इसका गहरा प्रभाव देखने को मिल रहा है। कई किसान परिवार ने आरोप लगाया कि तीन -चार पशुओं की गन्दा पानी पीने का कारण मौत भी हो चुकी हैं।

भारतीय किसान यूनियन एकता-उगराहां के प्रदेश महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां का कहना है कि “जैसे ही उन्होंने सोशल मीडिया पर खबर सुनी कि पुलिस ने फैक्ट्री बंद करने का विरोध कर रहे लोगों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया है। उसके बाद से ही किसान संगठन हड़ताल पर आ गये हैं। उनका कहना है कि जब तक फैक्ट्री को बंद नहीं किया जायेगा संगठन आंदोलन को जारी रखेंगे। किसान संगठनों का आरोप है कि पंजाब सरकार हाई कोर्ट के बहाने पूंजीपतियों का पक्ष ले रही है।”

ट्राली टाइम्स ने अपने यू ट्यूब चैनल पर एक विस्तृत डॉक्यूमैंट्री भी जारी की है।

कायदे कानून के मुताबिक शराब फैक्ट्री गावों के काफी दूर होने चाहिए। लेकिन फैक्ट्री के एक किलोमीटर के दायरे में एक सरकारी स्कूल है। जहां लगातार बच्चों के बीमार होने के मामले सामने आ रहे हैं।

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आरओ भी नहीं आ रहा काम

स्कूल के टीचर्स का कहना है कि स्कूल में RO लगा है जिसका फिल्टर हर 15 दिन में बदलवाना पड़ता है। गंदे पानी और दूषित हवा के कारण बच्चे बीमार हो रहे है और स्कूल आने में असमर्थ हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि ये बहुत हैरान करने वाली बात है कि 3 साल तक के बच्चों को लीवर सम्बन्धी बीमारियां हो रही हैं।

शराब फैक्ट्री में काम करने वाली लोगों का कहना है कि फैक्ट्री के बंद होने से उनके ऊपर रोज़गार का संकट आजायेगा।

वहीं कुछ मज़दूर ऐसे भी हैं जिनको फैक्ट्री में काम करने के कारण कई तरह की गंभीर बीमारियों से झूझना पड़ रहा है। कुछ ने तो पेट सम्बन्धी बीमारियों के कारण फैक्ट्री में काम करना बंद कर दिया है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए नोटिस के अनुसार, पानी और मिट्टी के सैंपल्स की जाँच की गयी है और सम्बन्धी रिपोर्ट को अदालत में पेश किया गया है।

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गौरतलब है कि फैक्ट्री के कारण गावं में फैलती गंभीर बीमारियों का यह पहला मामला नहीं है। झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 290 किलोमीटर दूर गिरिडीह जिले का गिरिडीह शहर है।

जहां आदिवासी और कोल जाति के 50 – 60 परिवार रहते हैं। यहाँ से लगभग एक किलोमीटर दूर बालमुकुंद स्पांज एंड आयरन प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री है। जिससे निकलने वाले काले धुएं के कारण काफी लोग गंभीर बीमारियों का सामना कर रहे हैं।

यहां फैक्ट्री हटाने का विरोध मजदूर संगठन समिति और ग्रामीणों द्वारा किया जा रहा है। जिसको ले कर वर्कर्स यूनिटी ने ग्राउंड रिपोर्ट भी प्रकाशित की है।

(स्टोरीः शशि कला सिंह)

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