आनंद तेलतुंबडे आये जेल से बाहर, गौतम नौलखा जेल से निकले पर रहेंगे हाउस अरेस्ट

भीमा-कोरगांव मामले में जेल में बंद प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे को को शनिवार को नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल से रिहा कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने तेलतुंबडे की मिली जमानत को चुनौती देने वाली राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (INA) की अर्जी शुक्रवार को खारिज कर दिया।

ज्ञात हो कि बीते 18 नवम्बर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने तेलतुंबडे जमानत दे दी थी। लेकिन कोर्ट ने एनआईए के निवेदन पर अपने फैसले पर रोक लगा दी है ताकि जांच एजेंसी का पक्ष जान सके।

जिसके बाद तेलतुंबडे ने सुप्रीम कोर्ट में रिहाई की याचिका दायर की थी। अप्रैल 2020 में गिरफ्तार किया गए तेलतुंबडे पर आरोप है कि उन्होंने वह 31 दिसंबर 2017 को पुणे में भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद के कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण दिया था।

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31 महीनों के बाद हुए जेल से रिहा

ढाई साल तक सलाखों के पीछे रहने के बाद तेलतुंबडे (73) दोपहर करीब एक बजकर 15 मिनट पर जेल से बाहर आये। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रिहा होने के बाद तेलतुंबडे ने मीडियाकर्मियों से कहा कि 31 महीनों के बाद जेल से रिहा होने पर मैं खुश हूं। यह होना ही था लेकिन दुख की बात यह है कि यह सबसे झूठा मामला है और इसने हमें सालों तक सलाखों के पीछे रखा है।’’

तेलतुंबडे को बंबई उच्च न्यायालय से मिली जमानत को चुनौती देने वाली एनआईए की अर्जी शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दी थी। इसके बाद, जमानत औपचारिकताएं पूरी करने पर उन्हें रिहा कर दिया गया।

आनंद तेलतुंबडे का बचाव करते हुए उनके वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सभी ईमेल उनके पास से बरामद नहीं हुए हैं । सिर्फ दो ईमेल हैं, जो फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के पास हैं।

सिब्बल ने कहा कि जहां भी दलितों के मामले हैं, वह वहां मौजूद रहते हैं क्योंकि वह शिक्षाविद हैं न कि आतंकवादी। उन्होंने पेरिस यात्रा भी शैक्षिक कार्यक्रम के सिलसिले में ही की थी। आयोजकों ने भी यही कहा था। मुझे मालूम नहीं कि मेरे भाई मिलिंद टी ने मजिस्ट्रेट के सामने दिए अपने 164 के बयान में क्या कहा? एजेंसी सिर्फ मिलिंद के बयान को ही सबूत बना रही है। उसी से मुझे लिंक किया जा रहा है। एजेंसी के पास एक ही चिट्ठी है जिसमें मुझे ‘ माई डियर कॉमरेड ‘ संबोधित किया गया है। क्या इतने भर से में आरोपी हो गया?

सिब्बल ने तेलतुंबडे की लिखी किताबें, दुनियाभर की यूनिवर्सिटी में किए गए काम का जिक्र करते हुए कहा कि 73 साल के आनंद पिछले दो साल से ज्यादा समय से जेल में हैं। भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा का समय वो वहां थे भी नहीं।

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गौतम नवलखा को किया रिहा

इस मामले में जेल में बंद गौतम नवलखा को शनिवार (19 नवंबर) को जेल से बाहर हाउस अरेस्ट का आदेश दिया गया था। वह नवी मुंबई की तलोजा सेंट्रल जेल में बंद थे। हालांकि, गौतम नवलखा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार घर में नजरबंद रहेंगे।

नवलखा नवी मुंबई में एक घर में रहेंगे। वहीं, एनआईए (NIA) ने उनकी टीम के इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई थी कि वह एक सीपीएम कार्यालय में रहते हैं। जिसके बाद से वह सीपीएम कार्यालय कई शर्तों के साथ नज़रबंद हैं।

दरअसल, एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव लड़ाई के 200 साल पूरे होने के मौके पर एक कार्यक्रम में हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान पुलिस वालों ने आंसू गैस और लाठी चार्ज भी किया।

इसमें एक की मौत हो गई थी और 10 पुलिसकर्मियों सहित कई घायल हो गए थे। भीमा-कोरेगांव में झड़पों के बाद जनवरी में राज्यव्यापी बंद के दौरान पुलिस ने 162 लोगों के खिलाफ 58 मामले दर्ज किए थे।

इस मामले में पुणे पुलिस ने गौतम नवलखा, आनंद तेलतुंबडे, सुधा भारद्वाज समेत अन्य कई सामाजिक कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज किया था. बाद में इनका संबंध माओवादियों से होने के आरोप लगाया गया था।

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