अब मनरेगा में बिना आधार भी हो सकेगा पेमेंट, विरोध प्रदर्शनों से पीछे हटी मोदी सरकार

राजधानी दिल्ली में मनरेगा मज़दूरों के ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए अनिवार्य आधार-आधारित वेतन भुगतान प्रणाली के खिलाफ ज़ोरदार प्रदर्शन ने बीच एक राहत देने वाली खबर समाने आई है। केंद्र सरकार ने मनरेगा में बिना आधार आधारित प्रणाली से मज़दूरों को मज़दूरी का भुगतान करने की योजना बनाई है।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक बीते रविवार, 19 मार्च को केंद्र सरकार ने मनरेगा मज़दूरों की मज़दूरी के भुगतान के लिए 31 मार्च तक “मिश्रित मॉडल” अपनाने का फैसला किया।

इस मॉडल के अनुसार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत श्रमिकों को आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वचालित समाशोधन गृह (एनएसीएच) के बीच से भुगतान किया जा सकता है।

एनएसीएच भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम द्वारा स्थापित एक फंड समाशोधन मंच है और यह आवर्ती इंटरबैंक लेनदेन की इलेक्ट्रॉनिक रूप से सुविधा प्रदान करता है। जबकि ABPS फंड ट्रांसफर के लिए लाभार्थियों की पहचान के लिए आधार संख्या का उपयोग करता है, NACH बैंक खाते के विवरण का उपयोग करता है।

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100 दिवसीय धरना जारी

उल्लेखनीय है कि दिल्ली के जंतर मंतर पर मनरेगा मज़दूरों का 100 दिवसीय धरना जारी है। नरेगा संघर्ष मोर्चा के बैनर तले देश के अलग अलग राज्यों से आये मज़दूरों के धरने का आज 26वां दिन है।

दरअसल, केंद्र सरकार ने 1 फरवरी 2023 से नरेगा मजदूरी के भुगतान के लिए ABPS के उपयोग को अनिवार्य करने का निर्णय लिया था।

नरेगा संघर्ष मोर्चा का कहना है कि “मजदूर मांग कर रहे हैं कि NMMS ऐप को तत्काल हटाया जाये (ii) 3 फरवरी, 2023 के आदेश को वापस लेने के लिए आधार के आधार पर सभी नरेगा भुगतान की आवश्यकता है। भुगतान प्रणाली (एबीपीएस), और (iii) मजदूरी का समय पर भुगतान और एक वर्ष से अधिक समय से लंबित मजदूरी की तत्काल भुगतान किया जाये।”

वहीं ग्रामीण विकास मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा, “महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एनआरईजीएस) के तहत मजदूरी भुगतान के लिए, सरकार ने राज्यों के अनुरोध पर, भुगतान मार्ग के लिए एक मिश्रित मॉडल बनाने का फैसला किया है।

31 मार्च, 2023, MGNREGS के तहत प्रत्येक मज़दूर को मजदूरी का भुगतान आधार आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) के साथ-साथ मज़दूर की ABPS स्थिति के आधार पर राष्ट्रीय स्वचालित समाशोधन गृह (NACH) का उपयोग करके किया जा रहा है।

बयान में कहा गया है: “महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत सक्रिय मज़दूरों की संख्या 14.96 करोड़ है। भारत सरकार महात्मा गांधी नरेगा के तहत प्रत्येक श्रमिक को समय पर मजदूरी भुगतान सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। 14.96 करोड़ श्रमिकों में से, 14.27 करोड़ श्रमिकों (95.4%) की आधार सीडिंग नरेगासॉफ्ट में की गई है, जिसमें कुल 10.05 करोड़ श्रमिकों को एबीपीएस के तहत पंजीकृत किया गया है।

फरवरी 2023 में वेतन भुगतान के लिए कुल 4.60 करोड़ लेनदेन हुए, जिनमें से 3.57 करोड़ लेनदेन (77.6%) एबीपीएस के माध्यम से किए गए।

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