कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) सिर्फ 0.05 फीसदी की बढ़ोतरी की है। वहीं ईपीएफओ द्वारा 2021-22 में लगभग 197 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया गया है।
दरअसल, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने मंगलवार, 28 मार्च को अपनी बैठक में 2022-23 के लिए ईपीएफ पर 8.15 फीसदी की दर से ब्याज देने का निर्णय लिया है।
ईपीएफओ 2021-22 के लिए अपने करीब पांच करोड़ अंशधारकों के ईपीएफ पर ब्याज दर को घटाकर मार्च, 2022 में चार दशक से भी अधिक समय के निचले स्तर 8.1 फीसदी पर ले आया था।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ईपीएफओ द्वारा 2021-22 में लगभग 197 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज करने के बावजूद 2021-22 के लिए 350-400 करोड़ रुपये के अनुमानित अधिशेष के मुकाबले ब्याज दर में वृद्धि की गई है, जबकि मार्च 2022 में वर्ष के लिए 8.1 फीसदी ब्याज दर की सिफारिश की गई थी। 2021-22 के लिए जून 2022 में वित्त मंत्रालय द्वारा अनुमोदित 8.1 फीसदी की दर, चार दशकों में सबसे कम थी।
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वहीं, मार्च 2021 में सीबीटी ने 2020-21 के लिए भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर को 8.5 फीसदी कर दिया था।
अब सीबीटी के निर्णय के बाद, 2022-23 के लिए ईपीएफ जमा पर ब्याज दर की जानकारी वित्त मंत्रालय के पास मंजूरी के लिए भेजी जाएगी। सरकार की मंजूरी मिलने के बाद 2022-23 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर ईपीएफओ के पांच करोड़ से अधिक अंशधारकों के खातों में डाल दी जाएगी।
गौरतलब है कि EPFO का अधिकतम फंड अडानी ग्रुप की दो कंपनियों में झोंका जा रहा है। इसको लेकर भारी प्रतिरोध भी चल रहा है। लेकिन गोदी मीडिया इससे सम्बन्धी खबरों के बजाये अतीक अहमद की पल पल की खबर को दिखा रहा है।
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