केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का 9 जुलाई को आम हड़ताल का आह्वान, श्रमिक विरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का 9 जुलाई को आम हड़ताल का आह्वान, श्रमिक विरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग

नौ जुलाई यानी इसी बुधवार को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के मंच ने देशव्यापी आम हड़ताल बुलाई है।

इस हड़ताल को 20 मई को आयोजित करना था लेकिन उससे पहले केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र सेक्टोरल फेडरेशनों/संघों के संयुक्त मंच की बैठक 15 मई को हुई थी जिसमें इसे 9 जुलाई तक स्थगित कर दिया गया था।

इस मंच में इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआइयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ़ और यूटीयूसी शामिल हैं।

संयुक्त मंच ने बयान में पहलगाम में निर्दोष लोगों पर हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की थी और सरकार से अपील की थी कि वह देश के भीतर इस संकट की घड़ी में नफरत फैलाने वाले अभियान चला रहे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।

मोदी सरकार की ओर से आक्रामक तरीक़े से लागू किए जा रही चार लेबर कोड्स यानी श्रम संहिताओं से ट्रेड यूनियनों और मज़दूर संगठनों में व्यापक गुस्सा और असंतोष है।

इन लेबर कोड्स में फ़ैक्ट्री मालिकों को मनमानी करने की छूट दी गई है और सरकार की ओर से नियुक्त किए गए लेबर इंस्पेक्टर को भी सिर्फ मालिकों की सेवा तक सीमित कर दिया गया है।

इसके अलावा फ़ैक्ट्रियों और कारखानों में सुरक्षा मानकों को प्रबंधन के हवाले छोड़ दिया गया है, लेबर इंस्पेक्टर अब उसी बात को मानेंगे जो प्रबंधन लिख कर देगा। छंटनी, तालाबंदी, बोनस, छुट्टी, काम के घंटे और काम के हालात की शर्तें अब मालिक यानी कंपनी प्रबंधन तय करेगा।

तीन कृषि क़ानूनों के साथ ही संसद में पास हुए बदनाम चार लेबर कोड्स का क़ानून अभी तक पूरे देश में लागू नहीं हो पाया है लेकिन देश के अंदर सामाजिक, जातिगत और धार्मिक विभाजन और पाकिस्तान के साथ संघर्ष की आड़ में मोदी सरकार तेज़ी से इन क़ानूनों को लागू करने की कोशिश में है।

ट्रेड यूनियनों ने बयान में कहा है कि अत्यंत दुखद है कि देश में आतंकवादी हमले और उससे उत्पन्न संवेदनशील स्थिति के बावजूद कंपनी मालिकों का वर्ग, केंद्र और कई राज्यों की सरकारों के सहयोग से, श्रमिकों पर हमले जारी रखे हुए हैं । काम के घंटे एकतरफा रूप से बढ़ाए जा रहे हैं; वैधानिक न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा लाभों का उल्लंघन किया जा रहा है। विशेष रूप से ठेका मज़दूरों की छंटनी बेरोक-टोक की जा रही है।

यह सब बदनाम श्रम संहिताओं को चुपके से लागू करने के प्रयास हैं। वहीं, बार-बार आग्रह करने के बावजूद न तो सरकार ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों से मिलने की जहमत उठाई, न ही भारतीय श्रम सम्मेलन का आयोजन किया, जबकि देश के कोने-कोने से हड़ताल की नोटिसें दी जा चुकी हैं।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र सेक्टोरल फेडरेशनों/संघों का संयुक्त मंच ने देशभर के कामगारों और उनकी यूनियनों से अपील की है कि वे आम हड़ताल की तैयारियों को और तेज करें और 9 जुलाई 2025 की देशव्यापी आम हड़ताल को ऐतिहासिक रूप से सफल बनाएं।

साथ ही मंच ने सरकार से अपील की है कि वो मज़दूर विरोधी इन संहिताओं को तुरंत वापस ले और कामकाजी स्थितियां, वेतन को लेकर सकारात्मक क़दम उठाए।

https://i0.wp.com/www.workersunity.com/wp-content/uploads/2023/04/Line.jpg?resize=735%2C5&ssl=1

https://i0.wp.com/www.workersunity.com/wp-content/uploads/2023/04/Line.jpg?resize=735%2C5&ssl=1

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटरऔर यूट्यूबको फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहांक्लिक करें

Workers Unity Team

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.