तेज गर्मी मे सरकार के पास नहीं है कोई “मज़दूर बचाओ प्लान”

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रविवार को देश की राजधानी दिल्ली का पारा 49 डिग्री के पार पहुंचा गया। जहाँ दोपहर 12 बजे के बाद आम लोगों का घरों से बहार निकलन मुश्किल हो रहा था, वही झुलसती धूप में दिल्ली की सड़कों पर मज़दूरों को काम करते देख AC में बैठे लोगों की भी हालात ख़राब हो जाये। हालात यह है कि बढ़ता पारा और झुलसा देने वाली गर्म हवाओं ने जीना दुश्वार कर दिया। चिलचिलाती धूप और गर्म हवा की वजह से दिल्ली में गर्मी का रिकॉर्ड हर रोज़ टूटता जा रहा है। इससे पहले शनिवार को दिल्ली का अधिकतम तापमान 44.2 डिग्री दर्ज किया गया था।

जहां एक तरफ देश की सरकार मेक इन इंडिया और मज़दूरों के जीवन में सुधार लाने का दावा करती है , वहीं दूसरी तरफ मज़दूरों को जलती धूप में तपने के लिए छोड़ दिया गया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का सपना है कि दिल्ली को दुनिया का सबसे बेहतर शहर बनाया जाए। हर मिडिल क्लास परिवार और मज़दूरों को भी वह सुविधा मिले जिसके वो हक़दार है, लेकिन यहाँ सपना केवल कागजों पर ही देखने को मिलता है।

पिछले तीन सालों से पूरा देश कोरोना के कहर से परेशान है। जिसके कारण देश की जनता अपने घरों में रहने को मज़बूर है। इन कुछ बीते हुए सालों में होम डिलीवरी सेक्टर के काम ने सबसे ज्यादा रफ़्तार पकड़ी है। इस क्षेत्र में काम करने वाले डिलीवरी बॉय सबसे ज्यादा मौसम और बीमारी की मार झेलते हैं। मगर राज्य सरकार को इसका ख्याल नहीं है। जिस तरह से तापमान में वृद्धि हो रही है इसके चलते न केवल मज़दूरों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा बल्कि उनके काम और रोज़ की देहाड़ी मज़दूरी पर भी प्रभाव दिखेगा।

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एक ऑनलाइन फ़ूड डिलीवर कंपनी में काम करने वाले प्रदीप का कहना है कि ” इतनी तेज धूप में अगर कोई बहार निकल रहा है तो वह उसका शौक नहीं मज़बूरी है। वह रोज़ 15 आर्डर डिलीवर करता है। उसके पास साइकिल है। ऐसी चिलचिलाती धूप में काम करना बहुत कठिन है। साथ ही उसनेअपना दर्द व्यक्त करते हुए कहा कि अगर किसी का खाना पहुंचने में देर हो जाती है तो लोग पैसे भी काट लेते है।”

वही मेट्रो निर्णाणस्थल में काम कर रहे अनिल कुमार का कहना है कि “इतनी तेज गर्मी में काम करना बहुत मुश्किल है। एक तरफ परिवार कि चिंता और दूसरी तरफ समय से काम पूरा करने का दबाव हम लोगों को काम करने के लिए मज़बूर कर देता है। ”

कड़ी दोपहरी में गर्मी के बीच काम करने से मजदूरों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचता है। कोई मजदूर दिन भर में जितना काम करता है, उसी आधार पर मजदूरी मिलती है। ऐसे में अगर गर्मी बढ़ जाती है तो मज़दूरों को कठोर परिस्थितियों में अपना काम पूरा करना होता यदि वह ऐसा नहीं करते तो ठेकेदार उनकी देहाड़ी काटने में बिलकुल नही हिचकते।

क्या हो सकते हैं समाधान

* पहला उपाय तो यह हो सकता है कि मज़दूरों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कड़ी दोपहर में काम करने की जगह उन्हें उस वक्त आराम दिया जाए और उस वक्त की भरपाई सुबह या शाम को जब तापमान ज्यादा नहीं होता तब काम लेकर की जा सकती है।
*उनके काम के वक्त में बदलावों को इस तरह से किया जाना चाहिए जिससे उनकी व्यक्तिगत जरूरतें और दिनचर्या भी प्रभावित न हो। वर्ना उसका खामियाजा अन्य रूपों में भरना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए यदि किसी मजदूर को काम करने के लिए बहुत सुबह बुला लिया जाए, जिससे उसकी नींद पूरी न हो तो उसके चलते काम करते वक्त दुर्घटना होने की सम्भावना भी बढ़ सकती है।
यदि सरकार इन बिन्दुओ पर ध्यान दे तो राज्य के काम की रफ़्तार में सुधार और मज़दूरों का काम करना भी आसान हो जायेगा।

हालांकि ऐसा नहीं होता तो मज़दूरों को कड़ी दोपहर में भी काम करने को मजबूर किया जायेगा, जिसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ेगा। इसके चलते काम के दौरान दुर्घटना, उनके स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान या फिर यहां तक की उनकी मृत्यु तक हो सकती है।

देश के अन्य राज्यों का तापमान
उत्तर-पश्चिम मध्य प्रदेश और दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में भी लू की स्थिति देखी गई जिन स्थानों पर अधिकतम तापमान 47 डिग्री सेल्सियस से ऊपर दर्ज किए गए, वे हैं :

राजस्थान – गंगानगर (48.3),  बीकानेर (48.2),  चुरू (47.5),  फलोदी और  जैसलमेर (दोनों 47.4),  पिलानी (47.3)

मध्य प्रदेश – भिंड (48.7),  नौगांव और खजुराहो (दोनों 47.6)

दिल्ली  – मुंगेशपुर (49.2), नजफगढ़ (49.1)

हरियाणा – सिरसा (47.8), हिसार (47.5)

झांसी – (47.3)

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