इंकलाबी मजदूर केंद्र का छठवां सम्मेलन रुद्रपुर में संपन्न

रुद्रपुर में इंक़लाबी मज़दूर केंद्र का छठा केंद्रीय सम्मेलन 2-3 अक्टूबर को रुद्रपुर में संम्पन्न हुआ। सम्मेलन में विभिन्न राज्यों के मजदूर प्रतिनिधियों ने भागीदारी की। झंडारोहण हुआ और अध्यक्षीय भाषण के साथ छठे सम्मेलन की शुरुआत हुई।

सम्मेलन में पिछले 3 साल के अंतरास्ट्रीय-राष्ट्रीय घटनाओं-परिघटनाओं पर बिस्तार से परिचर्चा की गयी। साथ ही सांगठनिक रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई।

सम्मेलन ने अगले 3 सालों के लिए अपने नई कार्यकारिणी का चुनाव किया जिसमें अध्यक्ष खिमानंद, उपाध्यक्ष पंकज कुमार, महासचिव रोहित एवं कोष सचिव सुरेंद्र सिंह निर्वाचित हुए।

बढते हिंदू फासीवाद के खतरे के विरोध में, नई श्रम संहिता के विरोध में, श्रीलंका में पूंजीवादी शासको के विरुद्ध जनता के जबरदस्त संघर्ष के समर्थन में, अग्निपथ योजना के विरोध में, शहीदों को श्रद्धांजलि, लुटेरे साम्राज्यवादी के बीच अन्याय पूर्ण युद्ध के विरोध में सम्मेलन ने 6 प्रस्ताव सर्व समत्ति से पारित किये।

खुले सत्र में विभिन्न संगठनों ने की भागीदारी

इंकलाबी मजदूर केंद्र ने 3 अक्टूबर को अपना खुला सत्र अंबेडकर पार्क रुद्रपुर में किया। कार्यकर्ता शहर के विभिन्न हिस्सों से जुलूस निकालकर अंबेडकर पार्क पहुंचे जहाँ खुले सत्र की कार्यवाही जोरदार नारों के साथ शुरू हुई।

खुले सत्र में आईएमके के नवनिर्वाचित अध्यक्ष खिमानंद ने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था का संकट इस दौरान गहराता जा रहा है। कोरोना काल ने इस संकट को और अधिक घनीभूत कर दिया है। उसके बावजूद भी शासक वर्ग द्वारा उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण की नीतियों को ही तेज गति से आगे बढ़ाया जा रहा है।

मजदूर सहयोग केंद्र के अध्यक्ष मुकुल ने कहा की इंकलाबी मजदूर केंद्र ने अपना छठा सम्मेलन एक कठिन और चुनौती पूर्ण दौर में किया। आम जनता रसातल में जा रही है और अडानियों-अंबनियों की पूँजी छलांगें मारकर बढ़ रही हैं। सिडकुल रुद्रपुर में भगवती माइक्रोमैक्स एवं इन्टरार्क मजदूरों के पक्ष में उच्च न्यायालय के आदेश के उपरांत भी शासन-प्रशासन मौन है।

कहा कि 13 नवंबर को मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) द्वारा 4 मजदूर विरोधी श्रम कोड्स को रद्द कराने के लिए देश की राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति भवन पर राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन किया जाएगा।

उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय महासचिव प्रभात ध्यानी ने कहा कि केंद्र सरकार मजदूर, किसान, नौजवान, महिला छात्र, दलित एवं आदिवासी विरोधी है।

इन्टरार्क मजदूर संगठन से वीरेंद्र पटेल ने 13 महीने से जारी इन्टरार्क मज़दूरों के संघर्ष को रखा। कहा कि शासन-प्रशासन कोर्ट के आदेश का पालन कराने की जगह मज़दूरों के दमन पर ही उतारू है।

भगवती श्रमिक संगठन के माहसचिव दीपक सनवाल 45 माह से छँटनी के खिलाफ जारी संघर्ष और न्यायालयों से जीत के बावजूद कार्यबहाली न होने पर आक्रोश जताया।

बेलसोनिका मजदूर यूनियन गुडगांव के अध्यक्ष अजीत ने मारुति मज़दूरों के एक दशक के संघर्षों की चर्चा करते हुए मज़दूरों की वर्गीय एकजुटता पर जोर दिया।

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की रिचा ने कहा कि यह एक ऐसा काला दौर है जब मंदिर में बलात्कारियों को मंदिर में तिरंगा लपेटकर सम्मानित किया जाता है। जनतंत्र की परिभाषा बदल गई है और जन गायब हो गया है सिर्फ तंत्र बचा है।

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सम्मेलन में भेल मजदूर ट्रेड यूनियन अध्यक्ष राजकिशोर, फूड्स श्रमिक यूनियन आईटीसी के अध्यक्ष गोविंद सिंह, क्रांतिकारी किसान मंच के आनंद, सामाजसेवी सुब्रत विश्वास, ऑटोलाइन इम्पालाइज यूनियन के महामंत्री प्रकाश मेहरा, ठेका मजदूर कल्याण समिति के अध्यक्ष अभिलाख, ऑल इंडिया बीएसएनएल पेंशनर एसोसिएशन गुड़गांव के अध्यक्ष जय सिहं, आनंद निशिकवा इम्पालाइज यूनियन के गंगा सिंह, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के महासचिव भूपाल, परिवर्तनकामी छात्र संगठन के महासचिव महेश आदि ने संबोधित किया।

इसके अलावा विभिन्न ट्रेड यूनियन के पदाधिकारी एवं सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता उपस्थित रहे। प्रगतिशील सांस्कृतिक मंच ने क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत किए।

खुले सत्र का संचालन इंकलाबी मजदूर केंद्र के नवनिर्वाचित महासचिव रोहित द्वारा किया गया।

(साभार मेहनतकश)

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