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देश और दुनिया में बढ़ती असमानता और मानवाधिकार का संघर्ष

By कमल सिंह अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की शुरुआत 10 दिसंबर, 1950 को हुई। इससे 2 साल पहले 10 दिसंबर, 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा ने मानव अधिकार …

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झारखंड के हाईस्कूलों में नियुक्त 3,684 शिक्षकों की एक साल में ही नौकरी छिनी

By रूपेश कुमार सिंह, स्वतंत्र पत्रकार हरियाणा के 1,983 पीटीआई शिक्षकों की तरह ही झारखंड के हाईस्कूलों में नियुक्त 13 अनुसूचित जिलों के 3,684 शिक्षकों का भविष्य कोर्ट के एक …

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अब आराम का समय नहीं, युद्ध की रेखाएं खिंच चुकी हैं, अब कोई रास्ता नहीं बचा है: ट्रेड यूनियनें

सरकार की मजदूर मेहनतकश विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों से चेतावनी देने के बाद अब केंद्रीय ट्रेड यूनियन महासंघों ने फैसलाकुन संघर्ष का ऐलान किया है। राज्य इकाइयों को …

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रोज़गार देने के मामले में आसिफ़उद्दौला से भी गए गुजरे निकले नरेंद्र दामोदर दास मोदी?

By लखमीचंद प्रियदर्शी डॉ. बीआर अम्बेडकर के शब्दों में ‘कार्य करने की वास्तविक स्वतंत्रता केवल वहीं पर होती है जहाँ पर शोषण का समूल नाश कर दिया जाता है, जहाँ …

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आज मज़दूरों-किसानों का जेल भरो आंदोलन, 5 अगस्त का जवाब 9 अगस्त से देने की तैयारी

श्रम क़ानूनों को ख़त्म करने, सार्वजनिक उपक्रमों को ताबड़तोड़ बेचने, कोरोना के समय में मज़दूरों के साथ सरकारी दुर्व्यवहार को लेकर मज़दूरों और किसानों का देशव्यापी प्रदर्शन है। रविवार को …

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ग्रामीण भारत को अपनी पीठ पर ढोती दलित महिला मज़दूरों के लिए नहीं हैं श्रम क़ानून

By दिव्या और रनी ग्रामीण भारत का बोझ अपनी पीठ पर ढोने वाली दलित महिला मज़दूरों का शोषण पुरुषों के मुकाबले कई गुना अधिक होता है और 24 घंटे काम …

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