बेलसोनिका कंपनी में बीच चुनाव लगाया वीआरएस का नोटिस, मज़दूरों को क्या मिलेगा?

बेलसोनिका कंपनी में बीच चुनाव लगाया वीआरएस का नोटिस, मज़दूरों को क्या मिलेगा?

                                                                                                                                                                                      By अभिनव कुमार 

आईएमटी मानेसर में अग्रणी कार निर्माता कंपनी मारुति के लिए कंपोनेंट बनाने वाली बेलसोनिका ऑटो प्रा. लि. कंपनी में प्रबंधन ने बुधवार को वीआरएस का नोटिस चस्पा कर दिया है।

लॉकडाउन के समय से ही फ़ैक्ट्री में यूनियन और प्रबंधन के बीच छंटनी को लेकर तीखा संघर्ष देखने को मिला था और हाल ही में वहां एक नई यूनियन का रजिस्ट्रेशन हुआ है।

प्रबंधन ने अपनी नोटिस में वीआरएस लाने के पीछे बढ़ती श्रम लागत, कठिन व्यवसायिक परिस्थितियों, कच्चे माल और आर्थिक मंदी आदि का हवाला दिया है।

प्रबंधन का कहना है कि ‘कंपनी मुश्किल दौर से गुजर रही है। इस स्थिति से उबरने के लिए एक प्रयास के तौर पर हम स्वैच्छिक सेवानिवृति योजना (VRS) लाने का फैसला कर रहे हैं। इसका मुख्य उदेश्य है कि हम अपने संसाधनों का पुनर्संगठित कर सके और जो भी कर्मचारी समय से पहले अपने नौकरी का परित्याग करना चाहते हैं, उनके हितों का भी ध्यान रखा जाये।’

कंपनी में दो यूनियनें हैं जिनमें एक का रजिस्ट्रेशन अभी हाल ही में हुआ है जबकि पुरानी यूनियन का रजिस्ट्रेशन श्रम विभाग ने रद्द कर दिया था। वीआरएस स्कीम को लेकर नई यूनियन ने अपना पक्ष नहीं दिया है।

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पुरानी यूनियन ने क्या कहा?

वही प्रबंधन के इस फैसले के बाद बेलसोनिका यूनियन (पुरानी यूनियन) ने बयान जारी करते हुए कहा कि “कंपनी पहले भी नित्य नए प्रयोग कर मज़दूरों की छंटनी करती रही है। इससे पहले ऐसे ही मंदी का बहाना बना कर 2019 में भी 350 ठेका मज़दूरों को नौकरी से निकाल दिया था और नीम ट्रेनिंग और प्रशिक्षण के नाम पर फोकट के मजदूरों की भर्ती कर अथाह मुनाफा बनाती रही है।”

यूनियन ने प्रबंधन के घाटे में होने के दावे को पूरी तरह से झूठा बताते हुए कहा कि, “बेलसोनिका फैक्ट्री, मारुति सुजुकी की जॉइंट वेंचर कंपनी के साथ-साथ शेयरों में भी हिस्सेदारी है। एक तरफ मारुति सुजुकी फैक्ट्री मुनाफे में है तो दूसरी ओर बेलसोनिका फैक्ट्री कैसे घाटे में हो गई? बेलसोनिका फैक्ट्री में लगातार तीनों शिफ्टों में मजदूर कार्य कर रहे हैं। दिन-रात फैक्ट्री में उत्पादन हो रहा है और सारा उत्पादित माल मारुति में हाथों हाथ बिक रहा है फिर भी फैक्ट्री घाटे में कैसे? असल में फैक्ट्री में कोई घाटा नहीं है। बेलसोनिका प्रबंधन स्थाई मज़दूरों की छंटनी कर, उनके स्थान पर नीम ट्रेनिंग, ठेका व स्कीम आदि मज़दूरों को भर्ती कर करना चाहता है।”

यूनियन से जुड़े मज़दूरों ने बताया कि ‘इससे पहले प्रबंधन वर्ष 2021 में कैजुअल/ ठेका मज़दूरों की छंटनी की मंशा से ऐसा ही VRS प्लान लेकर आया था। यूनियन के भारी विरोध के बाद जब प्रबंधन इसमें सफल नहीं हो पाया तो फर्जी दस्तावेज़ के नाम पर मजदूरों की छंटनी की गई।’

नई यूनियन ने क्या कहा?

अभी हाल ही में नई बनी यूनियन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

लेकिन एक वरिष्ठ अगुवा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उनकी यूनियन न तो वीआरएस का विरोध करती है न ही इसका समर्थन। लेकिन अगर जोर जबरदस्ती होती है तो यूनियन इसका विरोध करेगी।

उन्होंने कहा कि बीते तीन साल में तीन बार टूल डाउन हुआ और एक बार हड़ताल भी हुई लेकिन प्रबंधन से कोई बात नहीं बन पाई। इस बीच कंपनी में मज़दूरों के बीच एकता को देखते हुए कोई ठोस लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती, ऐसा लगता है।

उन्होंने कहा कि बीते कई महीनों से कई मज़दूरों को फर्जी दस्तावेज के नाम पर जांच हुई और कंपनी ने कार्रवाई की है। इसे लेकर श्रम विभाग की ओर से भी विपरीत फैसले आए।

उनके अनुसार, जिन मज़दूरों के कागजात सही हैं, उनपर अगर कंपनी जोर जबरदस्ती करती है तो यूनियन उनके साथ खड़ी है। यूनियन ने प्रबंधन से बात की है लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है।
नेताओं में टकराव, नई यूनियन का गठन

उल्लेखनीय है कि पुरानी यूनियन ने एक ठेका मज़दूर को यूनियन की सदस्यता दे दी थी जिसे लेकर कंपनी प्रबंधन ने श्रम विभाग में शिकायत की और फिर यूनियन की सदस्यता रद्द हो गई।

यही नहीं पुरानी यूनियन के जितने भी बॉडी मेंबर थे, उनमें से अधिकांश को या तो सस्पेंड कर दिया गया या उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। पिछले ही दिनों इस यूनियन ने 100 दिन तक गुड़गांव मिनी सचिवालय के बाहर धरना दिया था। निकाले गए इस यूनियन से संबद्ध मज़दूरों की संख्या 26 के आस पास है।

इसे लेकर कई मज़दूरों में यूनियन को लेकर विरोध पैदा हो गया और फिर एक नई यूनियन के रजिस्ट्रेशन की अपील की गई और जहां नई यूनियन का रजिस्ट्रेशन पाने के लिए सालों तक संघर्ष करना पड़ता है उसके बावजूद रजिस्ट्रेशन नहीं मिलता, आश्चर्यजनक रूप से नई यूनियन को आनन फानन में रजिस्ट्रेशन नंबर मिल गया।

अब नई यूनियन कंपनी में मज़दूरों के बीच एकता बनाने की कोशिश कर रही है लेकिन मतभेद का आलम ये है कि एक मुद्दे पर दोनों गुट एक साथ बैठने को तैयार नहीं हैं।

वीआरएस प्लान में क्या है?

कंपनी प्रबंधन अपने VRS प्लान की जानकारी देते हुए कहा है कि ‘यह योजना स्थाई कर्मचारियों के लिए है। पीएफ से सम्बंधित लाभ EPF & MP एक्ट, 1952 और ग्रेच्युटी 1972 के एक्ट क तहत देय होंगे। इसके साथ ही बकाया वेतन, बोनस, बकाया LTA इत्यादि सभी का समाधान किया जाएगा।’

लेकिन इसके साथ ही प्रबंधन ने एक शर्त रखी है कि ‘जो भी मज़दूर इस VRS योजना को अपनाते हैं उनके हस्ताक्षर करते ही सभी सामूहिक लंबित चल रहे मांग पत्रों/शिकायतों जोकि श्रम विभाग न्यायालय, गुरुग्राम या अन्य किसी भी कोर्ट/अथॉरिटी में लंबित हैं उनका भी निपटारा समझा जायेगा और ऐसा माना जायेगा कि कोई भी देय बकाया नहीं है। साथ वो बेलसोनिका ग्रुप की अन्य किसी इकाई में पुनर्नियोजन के लिए दावा नहीं कर सकेंगे।’

इसके साथ ही इस VRS नोटिस में यह भी कहा गया है कि कर्मचारियों को सेवा के प्रत्येक पूर्ण वर्ष के लिए केवल 2.5 महीने की सकल वेतन का भुगतान किया जायेगा। इस प्रकार देखा जाये तो जिस भी कर्मचारी ने कंपनी में 10 वर्ष काम किया है , उसे 7.5 लाख जबकि 20 वर्ष काम करने वाले को 15 लाख रूपए मिलेंगे।

वर्कर्स यूनिटी के साथ बात करते हुए कुछ मज़दूरों ने बताया ‘ कंपनी का VRS नोटिस मज़दूरों के मुआवज़ा सम्बन्धी अधिकारों के सारे नियमों को ताक पर रख कर बनाये गए हैं। मज़दूरों ने कंपनी के VRS नोटिस को पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया है लेकिन हमारे ऊपर प्रबंधन के द्वारा इसे स्वीकार करने का लगातार दबाव बनाया जा रहा है’।

पुरानी यूनियन ने अपने बयान में बताया कि ‘यूनियन बीते 3 सालों से कंपनी प्रबंधन के छंटनी के खिलाफ संघर्ष कर रही है लेकिन मज़दूरों की एकता की वजह से अब तक प्रबंधन को मुंह की खानी पड़ी है। प्रबंधन एक बार फिर से इस VRS योजना के नाम पर मज़दूरों की छंटनी के अपने प्रयास पर आगे बढ़ रही है। प्रबंधन VRS के रूप में कुछ अमाउंट/पैसा लेकर आया ताकि मज़दूर उससे सहमत हो जाएं और उसकी छंटनी की इस मंशा को स्वयं खुशी से स्वीकार करें।’

बेलसोनिका यूनियन ने इस योजना का विरोध किया है और पूछा है कि प्रबंधन के वे अधिकारी जो मज़दूरों के बीच इस योजना का प्रचार कर रहे हैं, इसके फायदे गिनवा रहे हैं, वे बताएं कि यह योजना इतनी अच्छी है तो वो स्वयं इसका लाभ क्यों नहीं उठा रहे हैं?
पुरानी यूनयिन ने रविवार को गुड़गांव मिनी सचिवालय के बाहर इस स्कीम के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है।

नई यूनियन का जैसे ही कोई बयान आता है, हम इस ख़बर को अपडेट करेंगे।

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Abhinav Kumar

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