कर्मचारियों को कंपनियां दे रहीं बिटक्वाइन में सैलरी, टेक कंपनियों में चलन बढ़ा

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ऑस्ट्रेलिया में ऐसे एम्प्लायर्स की तादाद बढ़ रही है, जो अपने कर्मियों को सैलरी में विकल्प के तौर पर बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी चुनने को कह रहे हैं।

संडे मार्निंग हेराल्ड की एक ख़बर के मुताबिक, हालांकि ऐसे कर्मचारियों की संख्या अभी कम है लेकिन उम्मीद है कि जल्दी ही इसमें तेजी आएगी।

खासकर फिनटेक, यानी फाइनेंस और टेक्नोलॉजी से जुड़ी कंपनियां इस विकल्प को अपनाने में आगे आ सकती हैं, जिनके कर्मचारी ज्यादातर युवा और तकनीकी तौर पर दक्ष होते है।

कम्ंपरीसन वेबसाइट फिंउर ने अपने 350 कर्मियों को सैलरी का 25 फीसद बिटक्वाइन के तौर पर लेने का ऑफर दिया है। बिटक्वाइन की बिल पेमेंट करने वाली कंपनी, लिविंग रूम लगातार बेहतर होती जा रही है।

इसने तो अपने यहां काम करने वाले लगभग आधा दर्जन कर्मियों को उनकी पूरी सैलरी क्रिप्टोकरेंसी में देने का ऑफर दिया है। इसके ज्यादातर कर्मचारी सैलरी का पांच से 20 फीसदी हिस्सा बिटक्वाइन के रूप में ले रहे हैं।

बिटक्वाइन का विकल्प चुनने वाले कर्मियों को कंपनी की पे-स्लिप और अकांउटिंग ऑस्ट्रेलियन डॉलर में की जा रही है। कंपनी के संस्थापक डेनियल एलेक्सी अपनी सारी सैलरी बिटक्वाइन में लेते है। वह लंबे समय से क्रिप्टोकरेंसी में यकीन रखने वालों में से एक है।

एलेक्सी कहते हैं कि हालांकि बिटक्वाइन का मूल्य परिवर्तनशील रहता है लेकिन काफी समय से इसका मूल्य बढ़़ ही रहा है। हालांकि पिछले कुछ समय से बिटक्वाइन की कीमतों में लगातार गिरावट देखी जा रही है।

क्वाइन डेस्क डाटा के अनुसार बिटक्वाइन की कीमतों में एक बार फिर 14 फीसदी की गिरावट आई है। क्वाइन डेस्क डाटा के मुताबिक एक बिटक्वाइन की कीमत अब 39,522.19 डॉलर हो गई है।

9 फरवरी के बाद बिटक्वाइन की कीमत अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। इस गिरावट की वजह चीन में लगाए गए प्रतिबंध को बताया जा रहा है। अप्रैल में बिटक्वाइन की कीमत अपने सबसे ऊंचे स्तर 64,829.14 डॉलर थी।

क्या है बिटक्वाइन

बिटक्वाइन एक डिजिटल करेंसी या वर्चुअल करेंसी है। जैसे भारत में रुपया, अमरीका में डॉलर, ब्रिटेन में पाउंड चलता है और ये फ़िज़िकल करेंसी होती हैं जिसे आप देख सकते हैं, छू सकते हैं और नियमानुसार किसी भी स्थान या देश में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन क्रिप्टो करेंसी की कहानी कुछ अलग है।

दूसरी करेंसी की तरह इसे छापा नहीं जाता और यही वजह है कि इसे आभासी यानी वर्चुअल करेंसी कहा जाता है।

बिटक्वाइन के बारे में दो बातें सबसे अहम हैं – एक तो ये कि बिटक्वाइन डिजिटल यानी इंटरनेट के ज़रिए इस्तेमाल होने वाली मुद्रा है और दूसरी ये कि इसे पारंपरिक मु्द्रा के विकल्प के तौर पर देखा जाता है।

जेब में रखे नोट और सिक्कों से जुदा, बिटक्वाइन ऑनलाइन मिलता है। बिटक्वाइन को कोई सरकार या सरकारी बैंक नहीं छापते। एक्सपीडिया और माइक्रोसॉफ़्ट जैसी कुछ बड़ी कंपनियाँ बिटक्वाइन में लेन-देन करती हैं।

इन सब प्लैटफ़ॉर्म पर यह एक वर्चुअल टोकन की तरह काम करता है। हालांकि बिटक्वाइन का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल निवेश के लिए किया जाता है।

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