क्या भाजपा राज में ट्रेड यूनियनें और लेबर एक्टिविस्ट ‘अर्बन नक्सल’ हो गए हैं?
By नित्यानंद गायेन वैसे तो कोई भी सत्ता ‘किसान-मज़दूर हितैषी’ नहीं होती, हालांकि वो इन्हीं दो वर्गों के कंधों पर टिकी रहती है। वाबजूद इसके कोई भी सत्ता इनकी परवाह …
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