गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में मायावती की मूर्ति को कालिख पोती, लोगों में आक्रोश

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कितनी विडंबना है कि जिसने गौतम बुद्ध के आदर्शों पर इस विश्वविद्यालय की स्थापना की, कैंपस में लगी उसी की मूर्ति के साथ छेड़छाड़ की गई है।

19 मार्च 2022 को खींची गई यह तस्वीर उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के केंद्र में लगी महापुरुषों की मूर्तियों में से एक की है। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की इस मूर्ति के चेहरे को कालिख से विकृत किया गया है।

गौरतलब है कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना मायावती के शासन काल में 2008 में की गई थी और वर्तमान में इसके चांसलर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं।

विश्वविद्यालय में कड़ी सुरक्षा के बीच मूर्ति से हुई इस छेड़छाड़ को लेकर जिस तरह की लापरवाही दिखती है वो हैरान करने वाली है।

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प्रतिक्रिया

बहुजन समाज पार्टी के गौतमबुद्ध नगर ज़िला अध्यक्ष लखमी सिंह ने कहा किअभी तक उनके संज्ञान में ये प्रकरण नहीं आया है लेकिन ऐसा हुआ है तो कमिश्नर, वीसी और प्रशासन के सामने ये बात उठाई जाएगी।

उन्होंने कहा कि “जिस व्यक्ति ने इस यूनिवर्सिटी को बनाया है और जहां देश विदेश से इतने सारे बच्चे पढ़ते हैं, और यह विश्व स्तर की यूनिवर्सिटी है वहां ऐसा कृत्य होता है और प्रशासन सो रहा है। कितनी गंदी सोच होगी उस व्यक्ति की जिसने ऐसी हरकत की है।”

लखमी सिंह ने कहा कि “ये शर्मशार कर देने वाली हरकत है। यूनिवर्सिटी के अंदर मूर्ति पर कालिख पोतने का मतलब है कि शासन प्रशासन की कितनी बड़ी नाकामी और कितना बड़ा निकम्मापन है जो इस तरह की हरकत हुई है।”

उन्होंने सवाल किया कि यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार और अन्य प्रशासनिक अधिकारी क्या कर रहे हैं अगर ऐसी घटना कैंपस के अंदर घटित हो रही है?

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साजिश का आरोप

आज़ाद समाज पार्टी के  ग़ाज़ियाबाद जिला अध्यक्ष मुकेश गौतम कहते हैं कि ये बहुत ग़लत है, “जिसने भी ये घृणित कृत्य किया है उसके ख़िलाफ़ सख़्त से सख़्त कार्यवाही होनी चाहिए। अगर प्रशासन इसमें कोई देरी करता है तो हम आंदोलन को मज़बूर होंगे।”

उन्होंने कहा कि, “ये प्रशासन करा रहा है या अपराधियों के हौसले बुलंद हो गए हैं। ऐसा लगता है कि योगी सरकार के शासन में जैसे बहुजन समाज पर अत्याचार के लिए अलग से कुछ असमाजिक तत्वों का संगठन तैयार कर दिया गया है जो जगह जगह ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।”

मुकेश गौतम के अनुसार, “कहीं मूर्तियों पर कालिख पोती जा रही है, कहीं उन्हें तोड़ा जा रहा है तो कहीं बच्चियों को अगवा कर सामूहिक बलात्कार जैसी घटनाएं हो रही हैं। योगी आदित्यनाथ के दूसरे शपथ ग्रहण से पहले ऐसी घटना होने का मतलब है कि आगे आने वाले पांच सालों में बहुजन समाज का सुरक्षित रह पाना असंभव नज़र आ रहा है।”

उल्लेखनीय है कि बीते दो साल से यूनिवर्सिटी का कैंपस बंद है और इस दौरान यूनिवर्सिटी की रख रखाव का काम भी प्रभावित नज़र आ रहा है। अभी विश्वविद्यालय का कैंपस धीरे धीरे खुल रहा है।

गाज़ियाबाद बामसेफ़ के पूर्व अध्यक्ष वीर सिंह का कहना है कि “ये कारगुजारियां दिखाती हैं कि भारतीय समाज में नफ़रत किस चरम सीमा तक पहुंच गई है और समाज किस कदर वर्ग संघर्ष की तरफ़ बढ़ रहा है। एक वर्ग विशेष से नफ़रत करना बेहद ख़तरनाक है। प्रशासन को चाहिए कि इस स्थिति से बचने के उपाय करे और ऐसी हरकत दोबारा न हो, इस पर नज़र रखनी चाहिए। जो सामजिक और राजनीतिक लोग हैं उनकी ज़िम्मेदारी बनती है कि वो समाज में भाईचारे को पुनर्जीवित करने के लिए आगे आएं।”

इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन के एडिमिन विभाग से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनका कोई जवाब नहीं मिला। जैसे विश्वविद्यालय प्रशासन का जवाब आता है, ये स्टोरी अपडेट कर दी जाएगी।

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