मोदी के ऐलान पर संयुक्त किसान मोर्चे का बयान

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भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जून 2020 में पहली बार अध्यादेश के रूप में लाए गए सभी तीन किसान-विरोधी, कॉर्पोरेट-समर्थक काले कानूनों को निरस्त करने के भारत सरकार के फैसले की घोषणा की है। उन्होंने गुरु नानक जयंती के अवसर पर यह घोषणा करने का निर्णय लिया।

संयुक्त किसान मोर्चा ने इस फैसले का स्वागत किया है और उचित संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से घोषणा के प्रभावी होने तक इंतज़ार करने को कहा है। अगर ऐसा होता है, तो यह भारत में एक वर्ष से चल रहे किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत होगी।

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मोर्चा ने एक बयान जारी कर कहा है कि इस संघर्ष में करीब 700 किसान शहीद हुए हैं। लखीमपुर खीरी हत्याकांड समेत, इन टाली जा सकने वाली मौतों के लिए केंद्र सरकार की ज़िद ज़िम्मेदार है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को यह भी याद दिलाया है कि किसानों का यह आंदोलन न केवल तीन काले कानूनों को निरस्त करने के लिए है, बल्कि सभी कृषि उत्पादों और सभी किसानों के लिए लाभकारी मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी के लिए भी है।

बयान के अनुसार, किसानों की यह अहम मांग अभी बाकी है। इसी तरह बिजली संशोधन विधेयक को भी वापस लिया जाना बाकी है। एसकेएम सभी घटनाक्रमों पर संज्ञान लेकर, जल्द ही अपनी बैठक करेगा और यदि कोई हो तो आगे के निर्णयों की घोषणा करेगा।

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