“अगर हम 4000 में अपना परिवार चला सकतें है तो प्रधानमंत्री-सांसद क्यों नहीं”

aidwa protest

दिल्ली के जंतर मंतर पर बीते 5 अक्टूबर को देश के अलग -अलग राज्यों से आई महिलाओं ने अपने मुद्दों को लेकर प्रदर्शन किया.

प्रदर्शन के दौरान हरियाणा के झज्जर से आई आशा कार्यकर्त्ता अनीता कहती हैं” हम पिछले 60 दिनों से अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. हमें हर महीने केवल 4,000 रुपये का भुगतान किया जाता है, आप बताइये क्या इतनी महंगाई में इतने पैसे में गुजारा संभव है? लेकिन इस सरकार के कान पर जूंतक नहीं रेंग रही.”

मालूम हो की नरेंद्र मोदी सरकार और उसकी नीतियों के खिलाफ जंतर-मंतर पर 26 राज्यों की 7,000 से अधिक महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था.

अनीता ने आगे कहा “हमें हर महीने कम से कम 27,000 रुपये दिए जाने चाहिए, क्योंकि यह वह राशि है जो हमारे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का दावा है कि चार या पांच लोगों के परिवार को अच्छे से चलाने के लिए जरुरी है. हमारे सांसदों और विधायकों को संसद में सेवा करते हुए अपना वेतन बढ़ाने में कोई हिचक नहीं है. तो आम लोगों की मजदूरी भी क्यों नहीं बढ़ाई जाती है? अगर एक आशा कार्यकर्ता 4,000 रुपये से काम चला सकती है, तो हमारे प्रधानमंत्री भी कर सकते हैं. अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद और विधायक अपने वेतन को 4,000 रुपये प्रति माह तक सीमित करने का संकल्प लेते हैं, तो हम अपना विरोध समाप्त कर देंगे.”

अखिल भारतीय जनवादी महिला संघ (एआईडीडब्ल्यूए) द्वारा आयोजित इस विरोध प्रदर्शन को मुख्यधारा के मीडिया से ज्यादा तवज्जो नहीं मिली.

हिमाचल प्रदेश की फलमा चौहान ने कहा, “2014 के बाद से, हमने इस ‘नया भारत’ में महिलाओं के खिलाफ हिंसा में तेजी से वृद्धि देखी है. कीमतें आसमान छू रही हैं, खाद्य पदार्थ इतने महंगे हो गए हैं. हम यह भी चाहते हैं कि प्रधानमंत्री हिमाचल प्रदेश को आपदा क्षेत्र घोषित करें.”

उन्होंने आगे कहा ‘मणिपुर में महिलाओं के साथ भयावह बलात्कार और उसके बाद उनके परिवार के सदस्यों की हत्या हमें उनके बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ नारे के खोखलेपन को दिखाती है. हमारी महिला पहलवान यहां जंतर-मंतर पर विरोध में बैठ गईं और उन्हें अभी भी न्याय नहीं मिला है. हर दिन महिलाओं पर हमला किया जा रहा है, युवा लड़कियों के साथ बलात्कार किया जा रहा है. कृपया अपने खोखले नारों से हमें बख्श दें और हमें मूर्ख बनाने की कोशिश न करें.”

पश्चिम बंगाल के कोयल विश्वास ने कहा “हमारी मांगें केवल महिलाओं की मांगों तक ही सीमित नहीं हैं, वे पूरे देश की मांग हैं. यह सरकार देश के संस्थानों को निजी हाथों में बेच रही है. अमीर और अमीर होते जा रहे हैं और गरीबन और गरीब होते जा रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि जारी है. यह सरकार क्या कर रही है? ”

विरोध प्रदर्शन के दौरान कई महिलाओं ने छोटे समूहों में अपने गृह राज्यों के स्थानीय नृत्य गाए और प्रदर्शन किए.

एआईडीडब्ल्यूए की महासचिव मरियम धावले ने कहा: “हमारी महिलाएं सेनानी हैं.वे जिन गीतों को गा रही हैं और नृत्य कर रही हैं. वे मुक्ति, न्याय और एक नई दुनिया के निर्माण के गीत हैं.”

आगे बात करते हुए उन्होंने बताया की ‘हमारी 26 राज्यों में मौजूदगी है. पिछले कई महीनों से हमने उन सभी राज्यों में महिलाओं से बात करने के लिए, उनकी समस्याओं को समझने के लिए हजारों बैठकें, स्कूटर रैलियां और पदयात्राएं की हैं. आज हम यहां जिन मुद्दों को उठा रहे हैं, वे ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें पूरे भारत में महिलाओं ने उठाया है. हिंसा, महंगाई, बेरोजगारी और निजीकरण जैसे मुद्दों पर हम इस सरकार से सवाल करने आएं हैं. आज आप जिन महिलाओं को यहां देख रहे हैं, वे विभिन्न पृष्ठभूमियों से आती हैं.’

हरियाणा के एक सेवानिवृत्त शिक्षक सुदेश ने कहा, “मोदी जी, आम आदमी मर रहा है. उसके लिए रोटी नहीं है. आप केवल भाजपा के ‘स्टार प्रचारक’ हैं और किसी देश के प्रधानमंत्री की तरह व्यवहार नहीं कर रहे हैं. आपको सिर्फ भाजपा के बारे में नहीं बल्कि पूरे देश के बारे में सोचने की जरूरत है. यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आप फिर से प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे.”

(द वायर की खबर से साभार)

ये भी पढ़ेंः-

वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें

(वर्कर्स यूनिटी के फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर सकते हैं। टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.