राजस्थान में पारित हुआ न्यूनतम आमदनी गारंटी कानून, मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा देश के लिए मॉडल होगा ये बिल

बीते गुरुवार को राजस्थान विधानसभा में राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी बिल-2023 पारित हो गया.

इसके तहत राज्य के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों खास कर 18 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों को सालाना काम से कम 125 दिन का गारंटी काम दिया जायेगा साथ ही साथ बुजुर्गों,विधवा महिलाओं और शारीरिक रूप से विकलांग लोगों को 1000 रुपये हर महीने दिए जायेंगे.

इस योजना के तहत न्यूनतम मजदूरी का अधिकार प्राप्त होगा साथ ही 15 दिन के भीतर रोजगार की गारंटी दी जाएगी.

न्यूनतम आय गारंटी योजना के तहत सरकार की ओर से अधिसूचित महात्मा गांधी न्यूनतम आय गारंटी योजना, इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी स्कीम, मुख्यमंत्री ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम के साथ वृद्धावस्था, विशेष योग्यजन, विधवा एकल महिला के पात्र वर्गों को शामिल किया गया है.

क्या है बिल में

बिल बताता है की ग्रामीण क्षेत्रों के जिन परिवारों ने MGNRES के तहत 100 का रोजगार पा लिया है,उन्हें 25 दिनों का अतिरिक्त काम मुख्यमंत्री ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की तरफ से दिया जायेगा.

वही शहरी क्षेत्रों में निवास कर रहें परिवारों को इंदिरा गाँधी शहरी रोजगार गारंटी योजना (IGUEGS) के तहत सालाना 125 दिनों का काम दिया जायेगा.

इस दौरान बिल के तहत आवेदन प्राप्त होने के 15 दिन के भीतर यदि सरकार उन्हें रोजगार प्रदान करने में विफल रहती है तो, वह व्यक्ति बेरोजगारी भत्ता प्राप्त करने का अधिकारी होगा.

इसके लिए सरकार ने 2500 करोड़ रुपए का वित्तीय प्रावधान रखा है. इसमें समय के साथ बढ़ोतरी होगी।

सामाजिक सुरक्षा पेंशन की गारंटी का अधिकार

राज्य सरकार ने न्यूनतम आय गारंटी विधेयक 2023 में सामाजिक सुरक्षा पेंशन (वृद्धावस्था, विशेष योग्यजन, विधवा महिला पेंशन) के अंतर्गत आने वाले पेंशन के लिए हकदार होंगे.

वित्तीय वर्ष 2025 से शुरू होने वाले प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 15% प्रतिवर्ष की दर से दो किस्तों में यानी जुलाई में 5% और जनवरी में 10% की वृद्धि की जाएगी.

2007 के बाद से नहीं हुई है पेंशन में बढ़ोतरी

मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक सदस्य निखिल डे ने मिडिया से बात करते हुए कहा कि “विधेयक का पारित होना राज्य में एक ऐतिहासिक क्षण है साथ ही ये बिल अन्य राज्य सरकारों पर न्यूनतम आय सुनिश्चित करने वाले कानून बनाने का दबाव भी बढ़ाएगा.

आगे उन्होंने बताया की ” यह कानून दशकों के संघर्ष का नतीजा है.राज्य सरकार द्वारा 1000 पेंशन देने से केंद्र की मोदी सरकार पर भी दबाव बढ़ेगा जो गरीबी रेखा से नीचे के बुजुर्गों को हर महीने मात्र 200 पेंशन देती है. 2007 के बाद से केंद्र सरकार द्वारा इस राशि में एक रुपये की बढ़ोतरी नहीं की गई है”.

रेवड़ी नहीं जनता का अधिकार है सामाजिक सुरक्षा

बिल के ध्वनिमत से पारित होने के बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा की ” राजस्थान देश का एकमात्र ऐसा राज्य है,जहाँ इस तरह की एक योजना है. बाकि क्षेत्रों की तरह हम सामाजिक सुरक्षा के मामलें में भी देश के सामने एक मिसाल रखना चाहते है. रोजगार और सामाजिक सुरक्षा जनता का अधिकार है.ये बिल विकसित देशों अमेरिका,जर्मनी,इंग्लैंड और यूरोपीय देशों में जनता को दी जा रही सामाजिक सुरक्षा सरीखा है”.

प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा की” प्रधानमंत्री मोदी विश्वगुरु का दम भरते रहते है लेकिन बढ़ती महंगाई, कुपोषण और बेरोजगारी पर चुप्पी साधे रखतें हैं. आखिर 140 करोड़ की जनसंख्या वाले इस देश में सामाजिक सुरक्षा जैसा कोई कानून क्यों नहीं बनाते”.

वही सीपीआई(M) के राज्य सचिव और पूर्व विधायक अमरा राम ने मिडिया से बात करते हुए बताया की “उन्हें राज्य सरकार की वायदे और दावे पर संदेह है. इससे पहले भी मुख्यमंत्री द्वारा किसानों के कर्ज माफ़ी की घोषणा की गई थी ,लेकिन वो भी एक शिगूफा साबित हुई”.

मालूम हो की राजस्थान सरकार विधानसभा के इसी सत्र के दौरान गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा देने सम्बन्धी कानून लाने जा रही है, जिसके लिए कई सामाजिक संगठन और यूनियन लम्बे समय से मांग कर रही थी.

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