तेलंगाना केमिकल फ़ैक्ट्री में भीषण विस्फोट में 40 कर्मचारियों की मौत, क्या कंपनी की लापरवाही ने ली इतनी जान?

तेलंगाना में संगारेड्डी ज़िले के पासामईलरम के औद्योगिक क्षेत्र में सोमवार को एक रिएक्टर में विस्फोट के कारण भीषण आग में 40 लोगों की मौत हो गई जबकि 33 लोग बुरी तरह झुलस गए हैं।
जिला प्रशासन ने बताया है कि सिगाची केमिकल्स फैक्ट्री में हुई इस दुर्घटना में मारे गए चार लोगों के डीएनए टेस्ट किए जा रहे हैं।
बुधवार को कंपनी ने बयान जारी कर हताहतों की संख्या की पुष्टि की और कहा कि मृतकों के परिजनों को एक करोड़ रुपये का मुआवज़ा दिया जाएगा और घायलों के इलाज का पूरा खर्च कंपनी उठाएगी।
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से प्रत्येक मृतक के परिजनों को दो-दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि और घायलों को 50-50 हज़ार रुपये देने की घोषणा की गई है।
इसके साथ ही बिहार सरकार ने घोषणा की है कि बिहार के रहने वाले मृतकों के आश्रितों को दो-दो लाख रुपये और घायलों को 50-50 हज़ार रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।
यह हादसा मोदी सरकार के लेबर कोड को आक्रामक तरीक़े से आगे बढ़ाने के कारण सुरक्षा मानकों की अनदेखी से होने वाले हादसों की तरह ही है।
स्थानीय मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार, हादसे से पहले रिएक्टर में कुछ गड़बड़ियां सामने आई थीं और उसे सुधारने के लिए कहा गया था लेकिन कंपनी ने अपना प्रोडक्शन बिना रोके जारी रखा।
जब यह हादसा हुआ तो वहां कुल 143 लोग मौजूद थे, लेकिन धमाके की आवाज सुनकर कई लोग तुरंत भाग गए।
सिगाची कंपनी, पाशमिलाराम में स्थित है, जो फार्मास्युटिकल सामग्री यानी दवाएं बनाती है।
तेलंगाना अग्निशमन विभाग के डीजी नागी रेड्डी ने बीबीसी को बताया कि इस उद्देश्य से यहां माइक्रोक्रिस्टलाइन सेलुलोज ड्रायर यूनिट का संचालन किया जा रहा है। स्थानीय पुलिस ने बीबीसी को बताया कि यह दुर्घटना सोमवार सुबह 9 से 9:30 बजे के बीच हुई।
हादसे के बाद फ़ैक्ट्री के बाहर के हालात
ओडिशा की एक महिला गेट के पास फूट-फूट कर रो रही है और पुलिस से अंदर जाने देने की गुहार लगा रही है।
उनके पति प्रशांत महापात्रो उसी कंपनी में काम करते हैं। दुर्घटना के बाद से ही वे अपने पति को खोजने की कोशिश कर रही हैं। उनके पति मृतकों में शामिल नहीं थे। उन्हें अस्पताल में भी नहीं देखा गया।
यह सोचकर कि वह कंपनी में फंस गई होगी, वह दौड़कर आई और फैक्ट्री के सामने गिरकर अपने पति को याद करते हुए रोने लगी।
लक्ष्मी मुखिया के चचेरे भाई श्याम सुंदर भी अपने परिवार के साथ वहां इंतजार कर रहे हैं। वह बिहार के रहने वाले हैं। लक्ष्मी मुखिया भी इसी कंपनी में काम करते हैं। उनका पता नहीं चल पाया है।
कुछ देर तक चिल्लाने से थककर वे दर्द से कराहते हुए एक तरफ बैठ गए।
उत्तरी क्षेत्र के मजदूरों के कई अन्य परिवार के सदस्य अपने फोन पर फोटो दिखाते और नाम बताते हुए वहां के अधिकारियों से अपने प्रियजनों का पता पूछते देखे गए।
साथी कर्मचारी आंसू बहा रहे श्रमिकों के परिवारों को सांत्वना दे रहे हैं।
वे कंपनी से बाहर निकल रही एंबुलेंस के पीछे दौड़ रहे थे, यह देखने के लिए कि कहीं वे उनकी ही तो नहीं हैं। जब एंबुलेंस को वहां रुकने नहीं दिया गया, तो कुछ लोगों ने गुस्से में उन पर पत्थर भी फेंके।
ये सभी दृश्य सिगाची कंपनी में दुर्घटना के बाद देखे गए।
हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस घटना की जांच की मांग की है और दोषी लोगों पर कार्रवाई करने को कहा है।
उधर अस्पताल में भर्ती मज़दूरों को देखने के लिए राजनीतिक पार्टियों के नेताओं की लाइन लगी है लेकिन कोई भी ये नहीं कह रहा है कि ऐसे हादसों पर रोक कैसे लगेगी और इसका कारण क्या था।
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