MCD POLLS: चुनाव लड़ने पर दलित सफाई कर्मी को JNU ने किया निलंबित

सीपीआई एमएल से एमसीडी चुनाव में लाडो सराय से चुनाव लड़ रहे एक दलित सफाई कर्मचारी जितेंद्र कुमार को जेएनयू प्रशासन ने नौकरी से निकाल दिया है। इतना ही नहीं प्रशासन ने उनको तीन दिनों का समय देते हुए कारण बताओ नोटिस भी दिया है। जिसमें उनसे पूछा गया है कि उनकी नौकरी क्यों नहीं समाप्त की जानी चाहिए क्योंकि वह एमसीडी चुनाव लड़ रहे हैं।

जितेंद्र बीते लम्बे समय से रक्षक ठेकेदार के ठेका कर्मी के तौर पर जेएनयू  में सफाई का काम करते है।

जेएनयू प्रशासन की कृत्य का CPI ML ने कड़ी निंदा की है। पार्टी का कहना है कि रक्षक ठेकेदार और जेएनयू प्रशासन का यह कृत्य जितेंद्र कुमार के संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांत का भी उल्लंघन है।

जेएनयू की इस जातिवादी और जितेंद्र कुमार को धमकाने के खिलाफ भाकपा विधायक ने राज्य चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाने का फैसला लिया है।

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जारी प्रेस विज्ञापित के मुताबिक, जेएनयू प्रशासन द्वारा किराए पर लिए गए निजी ठेकेदार रक्षक ने जितेंद्र कुमार को कल यानी 26 नवंबर को कारण बताओ नोटिस भेजा था।

कारण बताओ नोटिस में कहा गया है कि जितेंद्र की “राजनीतिक चुनाव में भाग लेने से न केवल कर्तव्यों को पूरा करने में बाधा उत्पन्न होती है, बल्कि आचार संहिता द्वारा राजनीतिक / विधायक / स्थानीय नगरपालिका चुनाव में भी भाग लेना संविदा कर्मियों के लिए निषिद्ध है। एक कार्यकर्ता चुनाव एजेंट के रूप में काम नहीं कर सकता है। पोलिंग एजेंट और काउंटिंग एजेंट ड्यूटी पर रहते हैं।”

पार्टी ने उत्पीड़न का लगाया आरोप

CPI ML के सदस्यों का आरोप है कि जितेंद्र को दिया गया कारण बताओ नोटिस पूरी तरह झूठ से भरा है जिसे निजी कंपनी द्वारा उनके निलंबन और आगे उत्पीड़न के लिए आधार दिखाने के लिए बनाया गया है।

उनका कहना है कि जितेंद्र कुमार  MCD चुनाव में अपना  नामांकन भरने  के बाद से अपने ड्यूटी रोस्टर पर लगातार हस्ताक्षर कर रहे हैं और नियमित रूप से काम भी कर रहे हैं। वह ड्यूटी पूरी करने के बाद प्रचार और अन्य चुनावी गतिविधियों का काम करते हैं।

पार्टी का मानना है कि देश का कोई भी कानून ठेका कर्मियों को मतदाता, चुनाव एजेंट या उम्मीदवारों के रूप में चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने से नहीं रोक सकता है।

पार्टी का कहना है कि “JNU प्रशासन की इस हरकत के साफ है कि जेएनयू प्रशासन और रक्षक दलित अनुबंध सफाई कर्मचारी को लोकतंत्र में उनकी आवाज से वंचित रखना चाहता है।”

CPI ML का तर्क है कि रक्षक ठेकेदार ने किस आधार पर जितेंद्र को कारण बताओ नोटिस भेजा है? पार्टी का आरोप है कि क्या निजी ठेकेदार जेएनयू के साथ सांठगांठ कर एक दलित ठेका कर्मचारी को उसके संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने यानी चुनाव लड़ने से परेशान करने, डराने-धमकाने और चुप कराने के लिए है?

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पार्टी द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक JNU में काम करने वाले ठेका कर्मियों को समय पर वेतन मिलता है फिलहाल मेस, साफ-सफाई, कूड़ा-करकट उड़ने वाले सभी ठेका कर्मियों को बीते चार महीने से वेतन नहीं मिला है और यदि ठेका कर्मचारी अपने अधिकारों के लिए विरोध करते हैं, तो JNU प्रशासन कर्मचारियों को काम से निकालने की धमकियां देता है। अब जब ठेका कर्मियों की आवाज़ उठाने के एक सफाई कर्मचारी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है तो जेएनयू प्रशासन उनको काम से निकाल दिया गया है।

गौरतलब है कि आगामी 4 दिसंबर को दिल्ली में MCD के चुनाव होने वाले हैं। वर्तमान में दिल्ली के MCD में बीजेपी की सरकार है।

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