छत्तीसगढ़ में चुनाव से पहले रावघाट के युवा पूछ रहे हैं खदान के बदले नौकरी पर सवाल!

दशकों पहले सेल की एक उपक्रम कम्पनी “भिलाई इस्पात संयंत्र” ने बस्तर स्थित रावघाट पहाड़ में लोह अयस्क खनन के लिये आवेदन करते हुए, और उसके बाद हर आवेदन पत्र में, इस परियोजना के महत्त्व को दो मुख्य बिंदुओं पर टिकाया है: बस्तर का विकास और युवाओं को नौकरी।

इस परियोजना के लिए आज तक किसी भी प्रभावित क्षेत्र की ग्राम सभा ने अपनी अनुमति नहीं दी है। इसके बावजूद खनन संबंधित कार्य 2022 से जबरन शुरू किया गया है।

आज तक प्रभावित क्षेत्र के अधिकतर युवाओं को किसी भी तरह की स्थाई नौकरी नहीं मिली है। और न ही स्थाई नौकरी के लिए रावघाट क्षेत्र के युवा-युवतियों को प्रशिक्षण दिया गया है जिस से कि वे नौकरी के लिए तैयार हो सके।

दल्ली राजहरा का इतिहास बता रहा है कि जब बीएसपी द्वारा स्थाई नौकरी दी भी जाती है, तो भी एक ही पीढ़ी लाभ ले पाती है – दूसरी पीढ़ी के लिये न तो नौकरी, न ज़मीन और न ही जंगल बचता है।

कंपनी द्वारा संचालित अस्पताल और स्कूल भी तभी तक चलते हैं, जब तक लौह अयस्क का खनन होता है, और आने वाली पीढ़ियों को सरकार और कंपनी, दोनों ही भूल जाते हैं।

हमने दल्ली जाकर देखा कि वहाँ जो चम-चमाता विकास दिखता है, उसका लाभ ठेकेदार और सेठ लोग ही लेते हैं । वहाँ के स्थाई ग्रामीणों और आदिवासियों के हिस्से में तो केवल घरों में दरारें, खेतों मे लालपानी और आँख-कान-नाक में धूल मिट्टी ही है।

अगले महीने हो रहे चुनाव में सारी पार्टियां जम कर लोगों से वादे कर रही हैं, पर हम पूछना चाहते हैं सारी चुनावी पार्टियों से कि बस्तर में वे आदिवासी समुदाय के लिए कया बदलाव लाएंगी?

बस्तर में एक तरफ न तो युवायों के लिए नौकरी के अवसर हैं और न ग्राम सभाओं के प्रस्तावों को माना जाता है, और दूसरी तरफ जल-जंगल-जमीन को बचाने के लिए लड़ रहे लोगों पर पुलिस-प्रशासन का दवाब है – फर्जी केस में फसाया जाता है, फर्जी मुठभेड़ में मरवाया जाता है।

पर्यावरण और वन अधिकार संबंधित कानूनों के आधार पर बिना ग्राम सभा अनुमति के इस परियोजना को शुरू नहीं किया जाना है । ग्राम सभा की सहमति के लिये ऐसा विकास चाहिये जिसमें सभी स्थाई लोगों को पीढ़ी दर पीढ़ी लाभ मिले।

हम सारी चुनावी पार्टियों से भी यही मांग करते हैं की रावघाट परियोजना के मामले में आदिवासी समुदाय के अधिकारों को सुनिश्चित करे, प्रशासन-कंपनी की दादागिरी जिसके कारण लोग अपना विरोध दर्ज नहीं कर पा रहे हैं को बंद कराए और बस्तर में विकास का प्रश्न लोकतान्त्रिक तरीके के सुलझाया जाए।

(युवा प्रकोष्ट सतत विकास समिति, परियोजना रावघाट, जिला उत्तर बस्तर की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति)

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